मुख्यपृष्ठनए समाचार"महाराष्ट्र में सरकार है या मोहित कंबोज राज?"

“महाराष्ट्र में सरकार है या मोहित कंबोज राज?”

सामना संवाददाता / विधान भवन

मुंबई–सरकार जनता की चलती है या फिर मोहित कंबोज की? विधान परिषद विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे ने ये सवाल उठाकर महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया विस्फोट कर दिया है। उनका आरोप है कि मोहित कंबोज के बिना जलसंपदा विभाग में पत्ता तक नहीं हिलता! अंबादास दानवे ने सीधे-सीधे दावा किया कि जलसंपदा विभाग के बड़े अधिकारी मोहित कंबोज से पूछे बिना कोई निर्णय नहीं लेते। उन्होंने सरकार से मांग की कि दीपक कपूर और मोहित कंबोज की बातचीत के कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) की जांच होनी चाहिए।
“कौन है ये मोहित कंबोज?”
दानवे ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि आखिर एक बाहरी व्यक्ति कैसे जलसंपदा विभाग के कामों में हस्तक्षेप कर सकता है? उन्होंने आरोप लगाया कि जलसंपदा विभाग के बड़े अधिकारी दीपक कपूर “मोहित कंबोज को पूछे बिना पानी भी नहीं पीते!” और तो और, जब विधानसभा में मोहित कंबोज का नाम लेने पर आपत्ति उठी, तो दानवे ने सीधा पलटवार किया, “क्या मोहित कंबोज आपका दामाद है?”
“फाइलें सरकार की नहीं, मोहित कंबोज की मंजूरी से आगे बढ़ती हैं!”
राज्य में बांध, नहरों और जलस्रोतों से जुड़े कई काम लंबित हैं, लेकिन फैसले सरकार नहीं, बल्कि मोहित कंबोज लेते हैं! दानवे ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर मैं बोलना शुरू करूं तो बहुत सारे घोटाले खुल जाएंगे! उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार मोहित कंबोज और दीपक कपूर की बातचीत की जांच करे, नहीं तो हम सबूत पेश करेंगे।
“महाराष्ट्र में प्रशासन ठप, घोटाले चरम पर!”
अंबादास दानवे ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राज्यपाल के भाषण का अपमान होता है, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद की बैठकें नहीं होतीं, और “दावोस में किए गए समझौते राज्य की खुली लूट का प्रमाण हैं!” उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “लाडकी बहन-लाडका भाऊ योजना में अब लाडके भाइयों को ही सताया जा रहा है!”
“महाराष्ट्र में लोकतंत्र है या ‘मोहितंत्र’?”
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि महाराष्ट्र की सत्ता आखिर चला कौन रहा है–”सरकार या फिर मोहित कंबोज?” इस आरोप से सरकार बैकफुट पर आ गई है और अब देखना ये होगा कि आगे क्या खुलासे होते हैं और इस मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति क्या करवट लेती है!

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