नरेंद्र मोदी विश्वगुरु बन गए हैं, ऐसा डंका पीटनेवाले अंधभक्तों को सोचने पर मजबूर कर देनेवाली खबरें आ रही हैं। पूरी दुनिया में भारत के खिलाफ हवा बह रही है और प्रधानमंत्री मोदी बिहार में चुनाव प्रचार सभाओं में व्यस्त हैं। विश्वगुरु मोदी की लंका जल रही है और पूरी भाजपा चुप है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक वित्तीय संस्थाएं पाकिस्तान को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए आगे आई हैं। ‘एडीबी’ यानी एशियाई विकास बैंक ने पाकिस्तान को ८०० मिलियन डॉलर का ऋण स्वीकृत करके मोदी की विश्वगुरुता की खिल्ली उड़ाई है। दो दिन पहले एडीबी के अध्यक्ष मासातो कांडा ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। दोनों के बीच चर्चा हुई। मोदी ने मासातो कांडा के समक्ष विचार व्यक्त किया कि ‘यदि पाकिस्तान को वित्तीय सहायता मिलती है तो इसका दुरुपयोग होगा। इस धन का उपयोग फिर से आतंकवाद को पोषित करने के लिए किया जाएगा’, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि मोदी की बातें एक कान से सुनीं और दूसरे कान से निकाल दीं। मासातो कांडा ने अगले दो दिनों में पाकिस्तान के लिए ६,८६१ करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। भारतीय मंत्री आए दिन कहते हैं कि पाकिस्तान एक भिखारी, गरीब और कर्ज में डूबा हुआ देश है, लेकिन वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को इतनी बड़ी मदद मिलते देख भारत की चिंताएं बढ़ जाएंगी। चौंकानेवाली बात यह है कि रूस ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ २.६ बिलियन डॉलर की मेगा परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस जैसा भारत का पूर्व मित्र पाकिस्तान में औद्योगिक निवेश कर रहा है।
पाकिस्तान को आर्थिक दृष्टि से
सक्षम कर रहा है। अजरबैजान, तुर्की, चीन भी ऐसा कर रहे हैं। ‘एडीबी’ द्वारा पाकिस्तान को दिया गया ६,८६१ हजार करोड़ रुपए का पैकेज राष्ट्रपति ट्रंप की सहमति से दिया गया है। यह तस्वीर भारत के लिए खतरनाक है। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति की धुरी पाकिस्तान को दे दी गई है। पाकिस्तान आतंकवाद को पोषित करनेवाला देश है। भारत कई बार पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने की मांग के साथ संयुक्त राष्ट्र में गया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अब पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधक समिति का उपाध्यक्ष बना दिया है। यह प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की सीधी हार है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता भी पाकिस्तान को दी गई है। तालिबान प्रतिबंध समिति एक आधिकारिक समिति है जो अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरा बननेवाले व्यक्तियों, समूहों और संगठनों के वित्तीय प्रतिबंधों पर पैâसला करती है। तालिबान बनाने का श्रेय पाकिस्तान को जाता है। तालिबान, अल कायदा और हिजबुल जैसे आतंकवादी संगठनों के आश्रयदाता के तौर पर पाकिस्तान पर उंगली उठाई जाती है। फिर भी, भारत की नीति और भावनाओं की परवाह किए बिना पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ युद्ध का नेतृत्व सौंप दिया गया। अब भारत क्या करेगा और प्रधानमंत्री मोदी इस झटके को वैâसे पचा पाएंगे? यह पाकिस्तान को भारत के बराबर खड़ा करने और उसे सशक्त बनाने की एक अंतर्राष्ट्रीय चाल है। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह और अन्य की नीतियों के कारण भारत विश्व मंच पर नीचा दिख रहा है। मोदी विश्व मंच पर अपनी ‘वाह वाही’ करने जाते हैं। विश्व नेता मोदी के साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं, मोदी आगे चलते हैं और
दुनिया के नेता
मोदी के पीछे-पीछे चलते दिखाकर भारतीय मीडिया वैश्विक तौर पर भारत के लिए दिक्कतें पैदा कर देता है। इतना सब होने के बाद भी मोदी की ‘विश्वगुरु’ वाली छवि केवल उनके अंधभक्तों के बीच ही है। दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है। मोदी को राष्ट्रपति ट्रंप ने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित नहीं किया। जब मोदी ट्रंप से मिलने गए तो राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री का सम्मान के साथ स्वागत करने का सरल शिष्टाचार नहीं निभाया और प्रधानमंत्री मोदी को विश्वास में लिए बिना ही भारत-पाक युद्ध में युद्ध विराम की घोषणा कर दी। यह एक तरह से संप्रभु भारत का अपमान है। मोदी का ऐसा अपमान दुनिया में आए दिन हो रहा है। पाकिस्तान से युद्ध रोकने के बाद मोदी ने ५६ सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल दुनियाभर में भेजा, लेकिन इस प्रतिनिधिमंडल ने किसी भी देश के किसी महत्वपूर्ण नेता से मुलाकात नहीं की। मोदी के कार्यकाल में भारत की प्रतिष्ठा गिरने लगी है। वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान का मजबूत होना भारत को कमजोर करने जैसा है। अब कनाडा में होने वाले ‘जी-७’ शिखर सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित नहीं किया गया है। कनाडा १५ से १७ जून तक ‘जी-७’ की मेजबानी कर रहा है। इसमें वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा होगी। इस बैठक में अमेरिका, प्रâांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, कनाडा और जर्मनी के चांसलर शामिल हैं। इस सम्मेलन में ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अप्रâीका और यूक्रेन के राष्ट्रपति और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री को इस वैश्विक शिखर सम्मेलन से दूर रखा गया है। उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है। इसका सीधा संदेश यह है कि दुनिया मोदी को नहीं चाहती। यह भारत के लिए खतरे की घंटी है। मोदी-शाह ने भारत की प्रतिष्ठा को बर्बाद कर दिया है। अंधभक्तों को यह कभी भी समझ में नहीं आएगा।