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अमदाबाद विमान हादसा : एआई ने गिराया एआई का प्लेन? … हादसा या षड्यंत्र?

एयरक्राफ्ट के टोटल पावर लाॅस पर उठ कई सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
अमदाबाद विमान हादसे को लेकल विशेषज्ञ कॉन्सिपिरेसी थ्योरी पर भी चर्चा कर रहे हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या एयर इंडिया का यह विमान किसी साजिश का शिकार हो गया? आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का जमाना है। दूसरी तरफ एयर इंडिया का संक्षिप्त रूप एआई है। ऐसे में सवाल इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि क्या एआई ने एआई का पलेन गिराया है?

इस विमान हादसे पर एविएशन विशेषज्ञ जेपी सिंह, कृष्ण मित्तल और सिकंदर रिजवी ने एक चर्चा के दौरान तोड़फोड़ की आशंका व्यक्त की है। असल में पहले एक थ्योरी पावर लॉस की चल रही थी। इसमें कहा जा रहा था कि विमान के इंजन में किसी कारणवश पावर की सप्लाई ठप हो गई होगी जिससे विमान नीचे आया होगा। मगर एक स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि विमान के इंजन से आवाज आ रही थी, जिससे पावर लॉस की थ्योरी खत्म हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल के विमान कंप्यूटराइज्ड हैं और उनकी प्रणाली को एआई के जरिए हैक करके हादसा करवाया जा सकता है।

एवियोनिक्स की हैकिंग संभव
इनमें नेविगेशन, इंजन कंट्रोल, फ्लाइट स्टेबिलिटी आदि शामिल हैं। अब सवाल है कि क्या ये सिस्टम हैक हो सकते हैं? तो जवाब है कि सैद्धांतिक रूप से हां हो सकते हैं।

सैद्धांतिक रूप से संभव
हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि यह बहुत ही मुश्किल है और इसकी संभावना न के बराबर है। एविएशन विशेषज्ञों के अनुसार, वास्तव में यह काम बहुत मुश्किल है। यदि कई सुरक्षा परतें एक साथ फेल हो जाएं तो सैद्धांतिक रूप से संभव है।

८० फीसदी सिस्टम डिजिटल
आधुनिक विमान जैसे बोइंग ७८७ या एयरबस ए३५० — में लगभग ८० फीसदी सिस्टम डिजिटल होते हैं, जिन्हें ‘फ्लाई बाई वायर’ तकनीक से चलाया जाता है। यानी कंप्यूटर के जरिए ही नियंत्रण होता है।

वाईफाई के जरिए
विमान में हो सकती है घुसपैठ!
-आतंकवादी कर सकते हैं करतूत
-विमान हादसे पर विशेषज्ञों की राय

अमदाबाद विमान हादसा किसी साजिश का परिणाम तो नहीं। इस बारे में एविएशन विशेषज्ञ तमाम तरह की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। आज कंप्यूटर और इंटरनेट के इस डिजिटल युग में विमान भी इसी के सहारे ऑपरेट किए जा रहे हैं।
असल में विमान में कई सिस्टम वाई-फाई/सेटेलाइट से जुड़े होते हैं। इनमें इनफ्लाइट एंटरटेनमेंट, इंटरनेट या ग्राउंड कम्युनिकेशन का समावेश है। कुछ शोधों में दिखाया गया है कि यदि विमान के कमजोर नेटवर्क या वाईफाई से वहां घुसपैठ कर लिया जाए, तो उस माध्यम से फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम तक पहुंचने की आशंका हो सकती है। विशेषज्ञ उदाहरण के तौर पर बताते हैं कि २०१५ में एक साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर क्रिस रॉबर्ट्स ने दावा किया था कि वह इनफ्लाइट एंटरटेनमेंट सिस्टम के जरिए विमान के इंजन को कुछ देर के लिए नियंत्रित कर सका। हालांकि, इसे आधिकारिक रूप से सिद्ध नहीं किया गया। विमान के क्रिटिकल सिस्टम (जैसे इंजन, नेविगेशन) को आमतौर पर पैसेंजर नेटवर्क से पूरी तरह अलग रखा जाता है।
मिलिटरी ग्रेड सुरक्षा
इनमें मिलिटरी-ग्रेड साइबर सुरक्षा होती है। मल्टी लेयर एन्क्रिप्शन, फायरवॉल, और हार्डवेयर-लेवल सिक्योरिटी होती है। पायलट मैन्युअल कंट्रोल से किसी भी डिजिटल सिस्टम को ओवरराइड कर सकता है। अब सवाल है कि क्या कोई एआई से विमान को दूर से ‘उड़वा’ सकता है? तो मौजूदा यात्री विमानों में ऐसा कोई रिमोट एआई कंट्रोल फीचर डिफॉल्ट रूप से नहीं होता।
आतंकी रच सकते हैं साजिश
अगर कोई आतंकी संगठन खुद विमान निर्माता, एयरलाइन नेटवर्क और एयरपोर्ट कम्युनिकेशन चैनल्स में सेंध लगा ले, तब थ्योरी में ऐसा संभव हो सकता है। लेकिन यह बहुत उच्च स्तरीय साइबर हमला होगा, जिसे अकेले या साधारण एआई टूल से नहीं किया जा सकता। एआई या टूल से विमान को दूर से कंट्रोल करना सैद्धांतिक रूप से संभव जरूर है, लेकिन आज की तारीख में यह काफी मुश्किल है। अंतर्राष्ट्रीय विमानन एजेंसियां (जैसे एफएफए, ईएएसए) लगातार ऐसे साइबर खतरों के खिलाफ सुरक्षा प्रणाली अपडेट करती रहती हैं।

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