धरती की बर्बादी शुरू…‘आग, बाढ़, तूफान’ ने किया बेहाल…एक दशक में २६ करोड़ लोग विस्थापित!

-प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया को बनाया निशाना

-आईडीएमसी की रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई

क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। यह धरती को बर्बाद कर रहा है। आग, बाढ़, तूफान, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हर देश परेशान है। दुनिया का लगभग हर देश इस समस्या का सामना कर रहा है। इसमें हो रहे बदलाव से बड़े स्तर पर जान-माल की हानि हो रही है। इसके साथ ही इसके प्रभाव के कारण लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह ठिकाना बनाना पड़ रहा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि २०१५ से २०२४ के बीच एक दशक में दुनिया में इसके कारण २६ करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। इसमें भारत में ३.२३ करोड़ लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।
२१० देश प्रभावित
इस मामले में कोई देश नहीं बचा है। जिनेवा स्थित आईडीएमसी (आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र) की रिपोर्ट में बताया गया है कि २०१५ से २०२४ के दौरान करीब २१० देशों से लोग विस्थापित हुए हैं या फिर उन्हें मजबूरी में अपना घर छोड़ना पड़ा है।
५४ लाख लोग हटे
भारत इस मामले में तीसरे नंबर पर है। गत वर्ष २०२४ में ही ५४ लाख लोग अपनी मूल जगह से हटकर दूसरी जगह पर चले गए। यह पिछले १२ वर्षों का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
दक्षिण एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित
इस मौसमी परिवर्तन का असर सबसे ज्यादा दक्षिण एशिया में देखने को मिला है। पिछले दशक में बांग्लादेश, चीन, भारत, फिलीपींस और अमेरिका में दर्ज विस्थापन के आंकड़े सबसे अधिक रहे हैं।
बाढ़ और तूफान से होते हैं ९० फीसदी विस्थापन!
प्राकृतिक आपदाओं से पूरी दुनिया परेशान है। आग, बाढ़ और तूफान के कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो रहे हैं। आईडीएमसी की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर ९० फीसदी आपदा और लोगों का विस्थापन बाढ़ और तूफानों के कारण हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान चीन में ४.६९ करोड़ लोगों का आंतरिक विस्थापन हुआ, जबकि फिलीपींस में यह आंकड़ा ४.६१ करोड़ दर्ज किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर ९० फीसदी आपदा के कारण होने वाला विस्थापन बाढ़ और तूफान की वजह से हुआ है। आईडीएमसी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले ९ सालों में अकेले तूफान के कारण १२ करोड़ तो वहीं बाढ़ के कारण ११ करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह रहना पड़ रहा है। इसमें २०१५ के बाद से ही लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया कि अकेले २०२४ में ही ४.५८ करोड़ लोगों का विस्थापन हुआ है। भारत में पिछले साल बाढ़, तूफान और अन्य आपदाओं के कारण ५४ लाख लोगों का विस्थापन दर्ज किया गया, जो १२ वर्षों में सबसे अधिक आंकड़ा है।
आईडीएमसी ने दी चेतावनी
आईडीएमसी ने चेतावनी दी है कि वर्तमान जलवायु परिस्थितियों में दुनियाभर में हर साल औसतन ३.२ करोड़ लोगों को नदी और तटीय बाढ़, सूखे और चक्रवाती तूफान के कारण आने वाले समय में विस्थापित होना पड़ेगा।

रोखठोक : ‘मुंबई’ को लेकर मदारियों का खेल!

संजय राऊत

शासक कोई भी हों, आम लोग कीड़े-मकोड़ों की तरह मर ही रहे हैं और राजनेता केवल आंसू बहाने का ढोंग करते हैं। मुंबई में चलती लोकल ट्रेन से १३ यात्री गिर गए। उनमें से चार की मौत हो गई। राजनेताओं ने झूठे आंसू बहाए और फिर से राजनीति में मशगूल हो गए। कश्मीर घाटी के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में २६ मां-बहनों के माथे का सिंदूर मिटा दिया गया। बेंगलुरु में एक क्रिकेट टीम की जीत का जश्न मनाने के लिए हजारों लोग जमा हुए थे। उस भीड़ में ऐसी भगदड़ मची कि ११ लोगों की जान चली गई। मणिपुर में पुन: हिंसा भड़क उठी और लोग फिर से उसकी बलि चढ़ रहे हैं। ११ साल से सत्ता में काबिज मोदी इस भयावह तस्वीर से जरा भी विचलित नहीं हो रहे हैं। वे निर्विकार चेहरा लिए सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हैं। सिर्फ कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में ही नहीं, बल्कि बेंगलुरु, मुंबई, मणिपुर में हुई घटनाओं में मौतें हुर्इं और वहां भी किसी का सिंदूर मिटा दिया गया, लेकिन सरकार को उससे क्या! सरकार राजनीति और उससे पैसा जुटाने में मशगूल है। मुंबई से लेकर झारखंड, छत्तीसगढ़ के जंगलों तक, सरकार के लोग ठेकेदारों और उद्योगपतियों से पैसा वसूल रहे हैं।
संवेदना नहीं बची
सरकार में अब कोई भी संवेदना नहीं बची है। सरकार एक निर्दयी और अप्रभावी संस्था होती है। अब मुंबई महानगरपालिका की लड़ाई शुरू हो गई है। चार साल से मुंबई महानगरपालिका पर जनप्रतिनिधियों का शासन नहीं है। वहां मुख्यमंत्री को ‘रिपोर्ट’ करनेवाला प्रशासक है। इस दौरान ३४ हजार करोड़ रुपए कमीशनबाजी के जरिए संबंधितों की निजी तिजोरी में गए। इसमें से कितना हिस्सा फडणवीस को और कितना शिंदे को मिला, वो आंकड़ा समझ में आ गया तो जनता शासकों के कारनामों पर फूल बरसाने के लिए स्वतंत्र हो जाएगी। मुंबई से ३४ हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई की। महाराष्ट्र में २९ महानगरपालिकाओं के चुनाव नहीं हुए। ऐसे में कौन सी महानगरपालिका कितने करोड़ में लूटी गई, यह समझना दिलचस्प है। इस देश में जो काला धन निर्माण होता है, उसका मुख्य केंद्र मुंबई है। देश में हर घंटे पौने दो सौ करोड़ रुपए का कालाधन पैदा होता है। ऐसा पूरे ३६५ दिन होता है। इसमें मुंबई का हिस्सा सबसे ज्यादा है। अब तो भाजपा ने गौतम अडानी की बारात ही मुंबई में ला दी और उनको तोहफे में पूरी मुंबई दे दी है। अडानी अपनी लूट का हिस्सा इन राजनेताओं को देंगे। इसलिए सभी खुश हैं। महाराष्ट्र के मंत्री इस पैसे की पूजा करने के लिए गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर जाएंगे। यह देखकर लगता है – भारत की, खासकर महाराष्ट्र की राजनीति अब मतदाताओं पर निर्भर नहीं रही। वो अब सरकार के चहेते उद्योगपति, ज्योतिषी, तंत्र-मंत्र विद्या का इस्तेमाल करने वाले तय करते हैं। महाराष्ट्र में एक-दूसरे के खिलाफ तंत्र-मंत्र का इस्तेमाल किया जाता है, जो उस समय राघोबादादा ने किया था। बड़े माधवराव पेशवा की मौत हो जाए इसके लिए राघोबा ने अघोरी उपाय किए, तो आनंदीबाई जप करती बैठी रहीं।
हर जगह लूट
प्रशासक के कार्यकाल में मुंबई महानगरपालिका में लूट हुई। धारावी विकास के नाम पर गौतम अडानी को फडणवीस ने मुंबई के कई महत्वपूर्ण भूखंड दे दिए। धारावी का भूखंड माहिम, माटुंगा, दादर के करीब है। इसके अलावा कुर्ला डेयरी, दहिसर टोल नाका, मुलुंड डंपिंग ग्राउंड, मिठागर जैसी जमीनों का लाभ भी धारावी विकास के नाम पर अडानी को दिया जा रहा है। यह महाराष्ट्र की लूट है और यह खुलेआम चल रही है। इन सभी लेन-देन में भाजपा, फडणवीस, शिंदे, अमित शाह को कितना लाभ मिलेगा? यह सीधे तौर पर रिश्वतखोरी है। आज महाराष्ट्र के औद्योगिक और गृहनिर्माण क्षेत्रों और विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार चल रहा है। झोपड़पट्टी पुनर्विकास की एक भी फाइल बिना पैसे दिए आगे नहीं बढ़ती। मंत्रालय से लेकर एसआरए तक यही हो रहा है। गरीबों के घरों के लिए शुरू की गई योजनाएं बिल्डरों और भ्रष्ट अधिकारियों के हाथों में चली गईं। इसलिए मराठी माणुस मुंबई से बाहर हो गया। इसका दु:ख सभी को होना चाहिए। मुंबई महानगरपालिका चुनाव के परिप्रेक्ष्य में गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री फडणवीस और राज ठाकरे बांद्रा के ‘ताज’ होटल में मिले। दोनों ने मराठी लोगों के भविष्य पर चर्चा की होगी, लेकिन यह एकतरफा रही होगी। श्री. फडणवीस मुंबई से मराठी माणुस को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे गौतम अडानी के खुले समर्थक हैं। फडणवीस के काल में मुंबई की सारी जमीन अडानी को दे दी गई। क्या यह मुंबई को भिखारी बनाकर सारा माल गुजरात ले जाने की साजिश है? उम्मीद है कि फडणवीस से मुलाकात के दौरान राज ठाकरे ने यह सवाल पूछा होगा। फडणवीस वही करेंगे जो मोदी और शाह चाहेंगे और अमित शाह मुंबई को एक व्यवसाय के रूप में देखते हैं। फडणवीस-राज ठाकरे की मुलाकात में क्या चर्चा हुई, इसकी विस्तृत जानकारी मेरे पास है। फडणवीस एक साथ सबसे खेलते हैं। उन्हें लगता है कि महाराष्ट्र में हर पार्टी अपनी ही ताल पर चलती है और नेता भी उसी ताल में नाचते हैं। महाराष्ट्र में फिलहाल ऐसा ही मदारियों का खेल चल रहा है।
अडानी का लोकतंत्र
यह मानकर संतुष्ट हो जाना कि भारतीय लोकतंत्र अनपढ़ों का लोकतंत्र है फिर भी बुद्धिमान है, ऐसा ही है जैसे यह कहना कि दरवाजे पर बंधे प्राणियों में भी कितनी अच्छी समझ है। न्यूज चैनलों के एकतरफा प्रचार के कारण जहां अंधभक्त बने पढ़े-लिखे जानवर भी अपना सिर हिलाते हैं, वहां अनपढ़ों का क्या? उस पर यदि ‘फर्जी डिग्री’ वाला प्रधानमंत्री मिल जाए तो कोई पूछने की बात नहीं। इंदिरा गांधी जब दूरदर्शन पर दिखती थीं, तो पहले महिलाएं आदर में हाथ जोड़ती थीं। अब जब श्री. मोदी जी दिखते हैं, तो वे हाथ जोड़ लेती हैं, ऐसा मैंने भाजपा वालों से सुना है। पढ़े-लिखे होने के बावजूद एक बड़ा अज्ञानी वर्ग समाज में होता है। वह वर्ग आधा-अधूरा पढ़ता है, कुछ गलत सुनता है और उस पर अपनी राय बनाकर कुछ बोलता है। इन सबने मिलकर भारतीय लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया है और देश के अंधभक्त इसकी सराहना करते हैं। प्रे. ट्रंप ने दबाव डालकर भारत को पाकिस्तान के खिलाफ शुरू लड़ाई को रोकने के लिए कहा। यह लड़ाई जमीन के लिए नहीं थी, बल्कि भारत की सीमा में पाकिस्तान के दहशतवाद के खिलाफ थी। प्रे. ट्रंप ने इसे रुकवा दिया। विपक्षी दल इस पर तीखे सवाल न पूछें इसके लिए मोदी ने सर्वदलीय सांसदों को विश्वभ्रमण पर भेज दिया और भारत में शांति स्थापित की। विदेश से लौटे सभी सांसदों को मोदी ने मंगलवार शाम को दिल्ली में चाय पर आमंत्रित किया। वहां असल में क्या चर्चा हुई, इसका खुलासा तो नहीं हुआ, लेकिन यह खबर जरूर आई कि ‘प्रधानमंत्री मोदी ने सौ. सुप्रिया सुले से शरद पवार के स्वास्थ्य के बारे में विशेष पूछताछ की।’ यह हास्यास्पद है। मोदी पवार को सीधे फोन करके उनके स्वास्थ्य के बारे में आसानी से पूछ सकते थे, लेकिन उन्होंने पूछताछ सुप्रिया सुले से की। इनमें से किसी भी सांसद ने ‘प्रे. ट्रंप ने भारत पर दबाव डालकर पाकिस्तान के साथ युद्ध क्यों रुकवाया? आप दबाव में क्यों झुक गए?’ ऐसे सीधे सवाल नहीं पूछे। लोकतांत्रिक भारत के प्रधानमंत्री को सवाल पूछे जाना पसंद नहीं है। मोदी को प्रधानमंत्री पद पर आए ११ साल हो गए। ११ साल में उन्होंने एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस  का सामना नहीं किया। यह एक विश्व रिकॉर्ड है।
प्रे. ट्रंप के भारत में हस्तक्षेप पर मोदी चुप हैं। चीन ने पाकिस्तान की मदद की। वे इस पर भी कुछ नहीं बोलते। इतना मौन तो मनमोहन सिंह ने भी नहीं रखा। भारत पर शासन करने की नैतिक ताकत श्री. मोदी खो चुके हैं।
भारत की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी अवहेलना कभी नहीं हुई, जितनी मोदी के अमृतकाल में हुई। फिर भी अगर मोदी और उनके भक्त खुश हैं तो यह देश के पतन का आखिरी छोर है।

मनपा चुनाव में हमें बचाओ!..भाजपा ने संघ से लगाई गुहार…नागपुर के कार्यालय में हुई थी बैठक…भाजपा-संघ के वरिष्ठ नेता थे मौजूद

रामदिनेश यादव / मुंबई

सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद महाराष्ट्र सरकार को राज्य की लगभग सभी नपा, मनपा सहित स्थानीय नगर निकायों के चुनाव कराने की तैयारी करनी पड़ रही है। चुनाव आयोग ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन भाजपा को मुंबई व ठाणे महानगरपालिका चुनाव में बड़े पैमाने पर अपनी हार का डर सता रहा है। हालांकि, इसी वजह से उसने लगभग ३ साल से महानगरपालिका का चुनाव नहीं होने दिया है, लेकिन फिलहाल जो दृश्य है, उसमें कहा जा सकता है कि चुनावी लहर भाजपा के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के अंदरूनी सर्वे में भी इसका खुलासा हुआ है। ऐसे में भाजपा ने अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से मदद की गुहार लगाई है और कहा है कि मनपा चुनाव में हमें बचाओ।
मनपा चुनाव में भाजपा को चाहिए आरएसएस का साथ!
हाल ही में नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में हुई एक बैठक के दौरान एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने संघ के पदाधिकारियों से साफ कहा कि मनपा व स्थानीय नगर निकाय चुनावों में हमें बचाओ। वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में भाजपा ने आरएसएस के कार्यकर्ताओं से जमीन पर उतरकर काम करने की अपील की और साथ ही संघ की हर नाराजगी को दूर करने का वादा भी किया।
भाजपा नेता व राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही स्वीकार किया है कि आरएसएस मुख्यालय से ही सरकार के फैसले हो रहे हैं। भाजपा की इस डिमांड को लेकर संघ वाले विचार कर रहे हैं। हालांकि, अभी आरएसएस ने इस मामले में खुलकर कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन सूत्रों की मानें तो आरएसएस भाजपा की मदद तो करेगा पर खुलकर शायद ही सामने आएगा।
माहौल भाजपा के पक्ष में नहीं
इस बार स्थानीय निकायों के चुनाव का सवाल है तो महाराष्ट्र में इस बार राजनीतिक माहौल भाजपा के पक्ष में नजर नहीं आ रहा है। सरकार के तमाम पैâसलों और भ्रष्टाचार को लेकर लोग उससे खासे नाराज हैं। किसान, महिला, कर्मचारी वर्ग, और युवा भाजपा से खफा हैं।
दोनों गुट नाराज
महायुति में भाजपा भले लीड कर रही है, लेकिन एकनाथ शिंदे गुट और अजीत पवार गुट दोनों भाजपा से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में महानगरपालिका में वे भाजपा को नीचे खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। ऐसा दावा राजनीतिक विशेषज्ञों की ओर से किया जा रहा है।

आदित्य ठाकरे ने किया राज्य अजिंक्य कबड्डी प्रतियोगिता का उद्घाटन… २५ जिलों के प्रतियोगी ले रहे भाग

सामना संवाददाता / मुंबई

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, युवासेनाप्रमुख व विधायक आदित्य ठाकरे के जन्मदिन के मौके पर पुणे में ‘आदित्य ट्रॉफी’ अंडर १८ लड़के और लड़कियों के लिए ‘राज्य अजिंक्य पद चयन जांच कबड्डी प्रतियोगिता’ शुरू हुई है। इस प्रतियोगिता का उद्घाटन कल आदित्य ठाकरे के हाथों हुआ।
उल्लेखनीय है कि ‘शिवशक्ति महिला संघ’ की ओर से ‘आदित्य ट्रॉफ’ कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। यह प्रतियोगिता १४ से १८ जून के बीच आयोजित की जाएगी। इस प्रतियोगिता की विजेता दोनों टीमें राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करेंगी, जिससे इस प्रतियोगिता को एक विशेष महत्व प्राप्त हुआ है। यह जानकारी प्रतियोगिता आयोजन समिति के अध्यक्ष विधायक सचिन अहीर ने दी। इस प्रतियोगिता में राज्य के २५ जिलों से लड़के और लड़कियों की क्रमश: ३१-३१ टीमें भाग लेंगी।
सुबह और शाम के सत्र में होंगे मैच
प्रतियोगिता के सभी मैच बंद हॉल वाले खेल परिसर में चार मेट के मैदानों पर लीग पद्धति से खेले जाएंगे। सभी मैच सुबह और शाम के सत्र में आयोजित किए जाएंगे। विजेता टीमें उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में २८ जून से १ जुलाई के बीच आयोजित होनेवाली अंडर-१८ राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करेंगी।
खेल परिसर में सारा प्रबंध
पुणे में आयोजित होनेवाली इस चयन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले एक हजार खिलाड़ी, कोच, मैनेजर, अंपायर और विभिन्न समितियों के प्रतिनिधियों के लिए भोजन और निवास की व्यवस्था खेल परिसर में की गई है।

सवा करोड़ दो, ‘नीट’ की परीक्षा करवा दूंगा पास!..५ स्टार होटल में सौदेबाजी…छात्र ने ` ८० लाख दे दिए…सीबीआई ने ठग को दबोचा

सामना संवाददाता / मुंबई

नीट-यूजी-२०२५ की परीक्षा में अंक बढ़वाकर अच्छे नंबर दिलवाने का झांसा देकर ८७ लाख रुपए की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है। आरोपी ने मार्क्स बढ़वाने के नाम पर सवा करोड़ रुपए की मांग की थी। डील ९० लाख रुपए में तय हुई थी। आरोपी ने छात्र के माता-पिता को मुंबई के एक पांच सितारा होटल में बुलाकर मीटिंग की थी और वहीं पर वैâश लिया था। कुछ पैसे हवाला के जरिए भी लिए गए थे।
मिली जानकारी के मुताबिक, नीट-यूजी-२०२५ परीक्षा में अव्वल नंबर से पास करवाने का वादा कर आरोपियों ने शिकायतकर्ता से ८७ लाख रुपए एडवांस में लिए थे। पैसे लेने के बाद आरोपियों का फोन स्विच ऑफ दिखने पर शिकायतकर्ता को ठगी का शिकार होने का अंदेशा हुआ।
ठगों के सेलफोन की होगी फोरेंसिक जांच!
नीट परीक्षा पास करवाने का दावा करके ठगी मामले का पर्दाफाश हुआ है। एक शख्स ने सवा करोड़ में डील की थी। उसने लाखों रुपए ऐंठ लिए और फोन बंद कर दिया। इसके बाद छात्र को ठगे जाने का अहसास हुआ। फिर मामला सीबीआई तक पहुंचा। सीबीआई ने जांच की तो पता चला कि एक गिरोह है, जिसने अलग-अलग राज्यों में कई लोगों के साथ ठगी की है। सीबीआई ने इस सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला है कि आरोपियों ने खुद को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एमटीए) के अधिकारियों से जुड़े होने की बात कही थी। सीबीआई के मुताबिक, मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच में व्हॉट्सऐप चैट, अभ्यार्थियों के रोल नंबर, प्रवेश पत्र, ओएमआर शीट वित्तीय लेने-देन आदि के सबूत मिले हैं। सीबीआई ने आरोपियों को मुंबई और सांगली से गिरफ्तार किया है। सीबीआई को शक है कि इस प्रâॉड में कई और लोग शामिल हो सकते हैं।

मेट्रो कारशेड के लिए आधी रात जबरन भूमि अधिग्रहण!.. ठाणे में एमएमआरडीए और पुलिस ने की अवैध कार्रवाई

सामना संवाददाता / मुंबई

वडाला-घाटकोपर से कासारवडवली तक बनने वाली मेट्रो-४ के लिए जरूरी मोघरपाड़ा कारशेड की जमीन का एमएमआरडीए और पुलिस द्वारा आधी रात को जबरदस्ती अधिग्रहण किए जाने का आरोप कारशेड से प्रभावित किसानों की ‘खारभूमि कृषि समन्वय समिति’ ने कल लगाया। इसके साथ ही समिति में शामिल स्थानीय किसानों ने इस अधिग्रहण की पूरी तरह से पोल खोलकर रख दी। इससे महायुति सरकार के अधीन काम कर रहे एमएमआरडीए और गृह विभाग के पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं।
ठाणे में कल आयोजित प्रेस कॉन्प्रâेंस में किसानों के वकील एड. किशोर दिवेकर ने बताया कि एमएमआरडीए की ओर से जो सिडको नीति के तहत २२.५ फीसदी और १२.५ फीसदी मुआवजा देने की पेशकश की गई है, उसका समिति ने सख्त विरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि भूमि अधिग्रहण कानून २०१३ के अनुसार, मौजूदा चलन मूल्य पर जमीन का मूल्यांकन कर किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही एड. दिवेकर ने इस विषय पर उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका लंबित होने की ओर भी ध्यान दिलाया। मेट्रो-४ परियोजना के लिए ठाणे के घोड़बंदर क्षेत्र स्थित मोघरपाड़ा में सर्वे नंबर ३० की १७४.०१ हेक्टेयर जमीन पर एमएमआरडीए ने काम शुरू किया है। इस जमीन पर १९६० से स्थानीय मूल निवासी किसान खेती कर जीवनयापन कर रहे हैं। कुल १६७ पट्टाधारी किसान और ३१ अतिक्रमणधारी किसान इस जमीन पर निर्भर हैं।
कारशेड का विरोध नहीं, उचित मुआवजा दो
मोघरपाड़ा में मेट्रो कारशेड के प्रोजेक्ट का हमें विरोध नहीं है। लेकिन सिडको की नीति और मुआवजा देने के बजाय वर्ष २०१३ के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मौजूदा बाजार दर पर मूल्यांकन कर उचित मुआवजा और नुकसान भरपाई दी जाए। जब तक सही मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।
– राकेश पाटील, अध्यक्ष, ‘खारभूमि कृषि समन्वय समिति’

शिवसेना के सिपहसालार का संकल्प… १२ विधायकों के सह आरोपी बनने तक जारी रहेगा संघर्ष!.. फडणवीस के गृह विभाग की घेराबंदी

सामना संवाददाता / मुंबई

धुले के सरकारी विश्रामगृह से जब्त की गई १ करोड़ ८४ लाख रुपए की नकद राशि पर महायुति सरकार के गृह विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई पर हमारी बारीक नजर है। हम एक हफ्ते तक और नजर रखेंगे। उसके बाद हम चुप नहीं बैठेंगे। इस तरह का अल्टीमेटम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सिपहसालार व पूर्व विधायक अनिल गोटे ने दिया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकल्प लिया है कि वे १२ विधायकों के सह आरोपी बनाए जाने तक संघर्ष जारी रखेंगे। इस संकल्प से उन्होंने एक तरह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृह विभाग की घेराबंदी करने की कोशिश की है।
शिवसेना के पूर्व विधायक अनिल गोटे ने कहा है कि धुले में सरकारी विश्रामगृह से जब्त की गई नकद रकम पर अब तक महायुति सरकार के गृह विभाग की ओर से संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह कानून का नहीं, बल्कि खुद का फायदा उठाने वाली सरकार है। अनुमान समिति की बैठक में आए हुए सभी १२ विधायकों को जब तक सह आरोपी नहीं बनाया जाता, तब तक मैं चुप नहीं बैठूंगा।
भाग निकला था पाटील
अनिल गोटे ने आरोप लगाया है कि समिति के विधायकों को पैसे देने के लिए ही अधिकारियों ने यह रकम इकट्ठा की थी। कमरा १०२ किशोर पाटील के नाम पर बुक था। किशोर पाटील अनुमान समिति के अध्यक्ष विधायक अर्जुन खोतकर के निजी पीए हैं। शिवसैनिकों को जब कमरे में नकदी की जानकारी मिली और उन्होंने वहां धावा बोला, तब खोतकर का पीए कमरे में ताला लगाकर वहां से भाग निकला था।

‘ईडी’ सरकार के राज में घोर अनर्थ…मासूम बच्ची की एक घंटे में दो बार शादी!

-शिकायत के बाद पहला दूल्हा भागा…दूसरा दुल्हन ले जाते हुए पकड़ा गया

-बीड में बाल विवाह की भयावह घटना

– २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

-पांचवीं कक्षा में पढ़ती है नाबालिग

सुनील ओसवाल / मुंबई

‘ईडी’ सरकार के राज में घोर अनर्थ हो रहा है। बाल विवाह पर कब की देश में रोक लग चुकी है, पर बीड जिले में एक ऐसा भयावह मामला सामने आया है, जिसमें एक १३ साल की मासूम बच्ची की एक दिन में एक घंटे के अंदर दो बार शादी कर दी गई।
इस घटना के सामने आने पर काफी हंगामा मच गया। बच्ची की शादी की शिकायत पुलिस में की गई। शिकायत होते ही पहला दूल्हा भाग गया, जबकि दूसरा दुल्हन को ले जाते हुए पकड़ा गया। इस घटना ने बीड में हड़कंप मचा दिया है। इस मामले में २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह चौंकाने वाली घटना बीड के शिवाजी नगर इलाके में हुई। यह लड़की ५वीं क्लास में पढ़ती है। जैसे ही इस मामले की जानकारी सामाजिक संगठनों को मिली, उन्होंने इस बाल विवाह की साजिश को नाकाम कर दिया। जिस व्यक्ति से लड़की की शादी हुई, उसकी उम्र ३५ साल बताई जाती है। जब इस व्यक्ति की पत्नी को इस बारे में पता चला, तो उसने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद वह व्यक्ति भाग गया। इसके बाद लड़की की शादी दूसरे लड़के से कर दी गई। इस घटना ने बीड में हड़कंप मचा दिया। इस मामले में २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पांचवीं तक पढ़ी इस लड़की के बाल विवाह के मामले में काजी समेत २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह सब शाहूनगर इलाके में हुआ, जिससे शहर में हड़कंप मच गया। पुलिस फरार पहले पति की तलाश कर रही है।
पत्नी ने दर्ज कराई शिकायत
जब पहले वाले दूल्हे की पत्नी को इस शादी के बारे में पता चला, तो उसने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की कार्रवाई के डर से वह व्यक्ति भाग गया। उसने अपनी बहन के गांव में रहने वाले एक लड़के से इस लड़की से शादी करने को कहा। इसके अनुसार, एक दिन में इस लड़की की दूसरी शादी तय कर दी गई और उनकी तस्वीरें भी खींच ली गर्इं।

जो सीएम दो पार्टियां तोड़ सकता है… वार्ड तोड़ना उसके लिए मुश्किल नहीं!.. फडणवीस पर अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का हमला

सामना संवाददाता / मुंबई

आगामी मनपा, नपा, स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर वार्ड रचना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ऐसे में वार्ड रचना अपने फायदे के अनुसार करने के लिए परिसीमन बदलने का काम हो सकता है, ऐसी राजनीतिक चर्चा है। जिस पर कांग्रेस ने राज्य के मुख्यमंत्री पर अप्रत्यक्ष रूप से तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने सीएम फडणवीस का नाम न लेते हुए कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ने दो-दो राजनीतिक पार्टियां तोड़ दीं। उन्हें वार्ड तोड़ने में देर नहीं लगेगी। वे (मुख्यमंत्री) तोड़फोड़ के एक्सपर्ट हैं।
ऐसा व्यंग्य कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुडघे पाटील ने किया है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि सत्ताधारी दलित और अल्पसंख्यक बस्तियों को भी नियमों के खिलाफ जाकर राजनीतिक फायदे के लिए तोड़ सकते हैं।
गुडघे पाटील ने कहा कि वार्ड रचना ही नहीं, बल्कि चुनाव से जुड़ी हर प्रक्रिया में सत्ताधारी और मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करेंगे। वे प्रशासन के जरिए ऐसी वार्ड रचना करेंगे, जो आम जनता के हित में न होकर उनके राजनीतिक लाभ के लिए होगा। उनके लिए सत्ता ही प्राथमिक है, जनता नहीं। सत्ता बनाए रखने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
महानगरपालिका चुनावों के लिए राज्य सरकार ने प्रशासन को वार्ड रचना का कार्य सौंपा है, लेकिन कांग्रेस को इस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि खासकर भाजपा इसमें दखल देगी।

शिक्षा व्यवस्था हो गई `विकलांग’ व `बीमार’!

– तबादले के डर से ४३ हजार शिक्षकों ने पोर्टल पर अपलोड किया प्रोफाइल

– शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया प्रभावित होने का डर

सुनील ओसवाल / मुंबई

जिला परिषद शिक्षकों के तबादले की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया अब गति पकड़ रही है। राज्य में ४३,५६६ शिक्षकों ने उपयुक्त स्कूल पाने या मौजूदा स्कूल को बनाए रखने के लिए खुद को विकलांग या बीमार बताया है। तबादला पोर्टल पर इस डेटा ने राज्य के स्कूलों के `स्वास्थ्य’ को चर्चा में ला दिया है।
ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से जिला परिषद शिक्षकों की ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया शुरू की गई है। सरकारी निर्णय के अनुसार, यह प्रक्रिया ३१ मई को पूरी होनी थी। हालांकि इस साल यह प्रक्रिया विलंबित हो गई। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्कूलों का नया सत्र १६ जून से शुरू हो रहा है। सत्र शुरू होने से पहले इस तबादला प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। पिछले महीने राज्य में १,८३,९९६ जिला परिषद शिक्षकों ने तबादला पोर्टल पर अपना `प्रोफाइल’ अपडेट किया था।
अब कैडर एक और कैडर दो के शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। इसके अनुसार, यह बताया गया है कि ४३,००० से अधिक शिक्षकों ने श्रेणी एक से स्थानांतरण या स्थानांतरण से छूट के लिए आवेदन किया है। श्रेणी एक में मुख्य रूप से विकलांग शिक्षक, गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षक और ५३ वर्ष की आयु पार कर चुके शिक्षक शामिल हैं। ये शिक्षक श्रेणी एक में आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में कुल २ लाख २८ हजार ४९१ शिक्षक हैं। इनमें से ९३,३३९ प्राथमिक और १,१२,६७० उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षक हैं। इन दो लाख शिक्षकों में से ४३,००० शिक्षक अब तबादले की प्रक्रिया में आगे आए हैं, क्योंकि वे विकलांगता या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। अगर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक बीमार हैं तो क्या इससे शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी? आम आदमी के मन में यह सवाल उठ रहा है।