मेट्रो कारशेड के लिए आधी रात जबरन भूमि अधिग्रहण!.. ठाणे में एमएमआरडीए और पुलिस ने की अवैध कार्रवाई

सामना संवाददाता / मुंबई

वडाला-घाटकोपर से कासारवडवली तक बनने वाली मेट्रो-४ के लिए जरूरी मोघरपाड़ा कारशेड की जमीन का एमएमआरडीए और पुलिस द्वारा आधी रात को जबरदस्ती अधिग्रहण किए जाने का आरोप कारशेड से प्रभावित किसानों की ‘खारभूमि कृषि समन्वय समिति’ ने कल लगाया। इसके साथ ही समिति में शामिल स्थानीय किसानों ने इस अधिग्रहण की पूरी तरह से पोल खोलकर रख दी। इससे महायुति सरकार के अधीन काम कर रहे एमएमआरडीए और गृह विभाग के पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं।
ठाणे में कल आयोजित प्रेस कॉन्प्रâेंस में किसानों के वकील एड. किशोर दिवेकर ने बताया कि एमएमआरडीए की ओर से जो सिडको नीति के तहत २२.५ फीसदी और १२.५ फीसदी मुआवजा देने की पेशकश की गई है, उसका समिति ने सख्त विरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि भूमि अधिग्रहण कानून २०१३ के अनुसार, मौजूदा चलन मूल्य पर जमीन का मूल्यांकन कर किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही एड. दिवेकर ने इस विषय पर उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका लंबित होने की ओर भी ध्यान दिलाया। मेट्रो-४ परियोजना के लिए ठाणे के घोड़बंदर क्षेत्र स्थित मोघरपाड़ा में सर्वे नंबर ३० की १७४.०१ हेक्टेयर जमीन पर एमएमआरडीए ने काम शुरू किया है। इस जमीन पर १९६० से स्थानीय मूल निवासी किसान खेती कर जीवनयापन कर रहे हैं। कुल १६७ पट्टाधारी किसान और ३१ अतिक्रमणधारी किसान इस जमीन पर निर्भर हैं।
कारशेड का विरोध नहीं, उचित मुआवजा दो
मोघरपाड़ा में मेट्रो कारशेड के प्रोजेक्ट का हमें विरोध नहीं है। लेकिन सिडको की नीति और मुआवजा देने के बजाय वर्ष २०१३ के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मौजूदा बाजार दर पर मूल्यांकन कर उचित मुआवजा और नुकसान भरपाई दी जाए। जब तक सही मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।
– राकेश पाटील, अध्यक्ष, ‘खारभूमि कृषि समन्वय समिति’

शिवसेना के सिपहसालार का संकल्प… १२ विधायकों के सह आरोपी बनने तक जारी रहेगा संघर्ष!.. फडणवीस के गृह विभाग की घेराबंदी

सामना संवाददाता / मुंबई

धुले के सरकारी विश्रामगृह से जब्त की गई १ करोड़ ८४ लाख रुपए की नकद राशि पर महायुति सरकार के गृह विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई पर हमारी बारीक नजर है। हम एक हफ्ते तक और नजर रखेंगे। उसके बाद हम चुप नहीं बैठेंगे। इस तरह का अल्टीमेटम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सिपहसालार व पूर्व विधायक अनिल गोटे ने दिया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकल्प लिया है कि वे १२ विधायकों के सह आरोपी बनाए जाने तक संघर्ष जारी रखेंगे। इस संकल्प से उन्होंने एक तरह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृह विभाग की घेराबंदी करने की कोशिश की है।
शिवसेना के पूर्व विधायक अनिल गोटे ने कहा है कि धुले में सरकारी विश्रामगृह से जब्त की गई नकद रकम पर अब तक महायुति सरकार के गृह विभाग की ओर से संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह कानून का नहीं, बल्कि खुद का फायदा उठाने वाली सरकार है। अनुमान समिति की बैठक में आए हुए सभी १२ विधायकों को जब तक सह आरोपी नहीं बनाया जाता, तब तक मैं चुप नहीं बैठूंगा।
भाग निकला था पाटील
अनिल गोटे ने आरोप लगाया है कि समिति के विधायकों को पैसे देने के लिए ही अधिकारियों ने यह रकम इकट्ठा की थी। कमरा १०२ किशोर पाटील के नाम पर बुक था। किशोर पाटील अनुमान समिति के अध्यक्ष विधायक अर्जुन खोतकर के निजी पीए हैं। शिवसैनिकों को जब कमरे में नकदी की जानकारी मिली और उन्होंने वहां धावा बोला, तब खोतकर का पीए कमरे में ताला लगाकर वहां से भाग निकला था।

‘ईडी’ सरकार के राज में घोर अनर्थ…मासूम बच्ची की एक घंटे में दो बार शादी!

-शिकायत के बाद पहला दूल्हा भागा…दूसरा दुल्हन ले जाते हुए पकड़ा गया

-बीड में बाल विवाह की भयावह घटना

– २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

-पांचवीं कक्षा में पढ़ती है नाबालिग

सुनील ओसवाल / मुंबई

‘ईडी’ सरकार के राज में घोर अनर्थ हो रहा है। बाल विवाह पर कब की देश में रोक लग चुकी है, पर बीड जिले में एक ऐसा भयावह मामला सामने आया है, जिसमें एक १३ साल की मासूम बच्ची की एक दिन में एक घंटे के अंदर दो बार शादी कर दी गई।
इस घटना के सामने आने पर काफी हंगामा मच गया। बच्ची की शादी की शिकायत पुलिस में की गई। शिकायत होते ही पहला दूल्हा भाग गया, जबकि दूसरा दुल्हन को ले जाते हुए पकड़ा गया। इस घटना ने बीड में हड़कंप मचा दिया है। इस मामले में २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह चौंकाने वाली घटना बीड के शिवाजी नगर इलाके में हुई। यह लड़की ५वीं क्लास में पढ़ती है। जैसे ही इस मामले की जानकारी सामाजिक संगठनों को मिली, उन्होंने इस बाल विवाह की साजिश को नाकाम कर दिया। जिस व्यक्ति से लड़की की शादी हुई, उसकी उम्र ३५ साल बताई जाती है। जब इस व्यक्ति की पत्नी को इस बारे में पता चला, तो उसने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद वह व्यक्ति भाग गया। इसके बाद लड़की की शादी दूसरे लड़के से कर दी गई। इस घटना ने बीड में हड़कंप मचा दिया। इस मामले में २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पांचवीं तक पढ़ी इस लड़की के बाल विवाह के मामले में काजी समेत २२ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह सब शाहूनगर इलाके में हुआ, जिससे शहर में हड़कंप मच गया। पुलिस फरार पहले पति की तलाश कर रही है।
पत्नी ने दर्ज कराई शिकायत
जब पहले वाले दूल्हे की पत्नी को इस शादी के बारे में पता चला, तो उसने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की कार्रवाई के डर से वह व्यक्ति भाग गया। उसने अपनी बहन के गांव में रहने वाले एक लड़के से इस लड़की से शादी करने को कहा। इसके अनुसार, एक दिन में इस लड़की की दूसरी शादी तय कर दी गई और उनकी तस्वीरें भी खींच ली गर्इं।

जो सीएम दो पार्टियां तोड़ सकता है… वार्ड तोड़ना उसके लिए मुश्किल नहीं!.. फडणवीस पर अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का हमला

सामना संवाददाता / मुंबई

आगामी मनपा, नपा, स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर वार्ड रचना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ऐसे में वार्ड रचना अपने फायदे के अनुसार करने के लिए परिसीमन बदलने का काम हो सकता है, ऐसी राजनीतिक चर्चा है। जिस पर कांग्रेस ने राज्य के मुख्यमंत्री पर अप्रत्यक्ष रूप से तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने सीएम फडणवीस का नाम न लेते हुए कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ने दो-दो राजनीतिक पार्टियां तोड़ दीं। उन्हें वार्ड तोड़ने में देर नहीं लगेगी। वे (मुख्यमंत्री) तोड़फोड़ के एक्सपर्ट हैं।
ऐसा व्यंग्य कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुडघे पाटील ने किया है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि सत्ताधारी दलित और अल्पसंख्यक बस्तियों को भी नियमों के खिलाफ जाकर राजनीतिक फायदे के लिए तोड़ सकते हैं।
गुडघे पाटील ने कहा कि वार्ड रचना ही नहीं, बल्कि चुनाव से जुड़ी हर प्रक्रिया में सत्ताधारी और मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करेंगे। वे प्रशासन के जरिए ऐसी वार्ड रचना करेंगे, जो आम जनता के हित में न होकर उनके राजनीतिक लाभ के लिए होगा। उनके लिए सत्ता ही प्राथमिक है, जनता नहीं। सत्ता बनाए रखने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
महानगरपालिका चुनावों के लिए राज्य सरकार ने प्रशासन को वार्ड रचना का कार्य सौंपा है, लेकिन कांग्रेस को इस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि खासकर भाजपा इसमें दखल देगी।

शिक्षा व्यवस्था हो गई `विकलांग’ व `बीमार’!

– तबादले के डर से ४३ हजार शिक्षकों ने पोर्टल पर अपलोड किया प्रोफाइल

– शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया प्रभावित होने का डर

सुनील ओसवाल / मुंबई

जिला परिषद शिक्षकों के तबादले की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया अब गति पकड़ रही है। राज्य में ४३,५६६ शिक्षकों ने उपयुक्त स्कूल पाने या मौजूदा स्कूल को बनाए रखने के लिए खुद को विकलांग या बीमार बताया है। तबादला पोर्टल पर इस डेटा ने राज्य के स्कूलों के `स्वास्थ्य’ को चर्चा में ला दिया है।
ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से जिला परिषद शिक्षकों की ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया शुरू की गई है। सरकारी निर्णय के अनुसार, यह प्रक्रिया ३१ मई को पूरी होनी थी। हालांकि इस साल यह प्रक्रिया विलंबित हो गई। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्कूलों का नया सत्र १६ जून से शुरू हो रहा है। सत्र शुरू होने से पहले इस तबादला प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। पिछले महीने राज्य में १,८३,९९६ जिला परिषद शिक्षकों ने तबादला पोर्टल पर अपना `प्रोफाइल’ अपडेट किया था।
अब कैडर एक और कैडर दो के शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। इसके अनुसार, यह बताया गया है कि ४३,००० से अधिक शिक्षकों ने श्रेणी एक से स्थानांतरण या स्थानांतरण से छूट के लिए आवेदन किया है। श्रेणी एक में मुख्य रूप से विकलांग शिक्षक, गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षक और ५३ वर्ष की आयु पार कर चुके शिक्षक शामिल हैं। ये शिक्षक श्रेणी एक में आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में कुल २ लाख २८ हजार ४९१ शिक्षक हैं। इनमें से ९३,३३९ प्राथमिक और १,१२,६७० उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षक हैं। इन दो लाख शिक्षकों में से ४३,००० शिक्षक अब तबादले की प्रक्रिया में आगे आए हैं, क्योंकि वे विकलांगता या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। अगर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक बीमार हैं तो क्या इससे शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी? आम आदमी के मन में यह सवाल उठ रहा है।

अजीत पवार के मंच पर ‘प्रहार’!..बच्चू कडू के कार्यकर्ताओं ने मचाया बवाल… कर्जमाफी के मुद्दे पर कार्यकर्ता आक्रामक

सामना संवाददाता / मुंबई

उप मुख्यमंत्री अजीत पवार कल पुणे के दौरे पर थे। अजीत पवार जब एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, उसी दौरान प्रहार के कुछ कार्यकर्ताओं ने किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर बड़ा हंगामा किया। इस दौरान प्रहार के कुछ कार्यकर्ताओं ने अजीत पवार के कार्यक्रम में नारेबाजी की और मांग की कि राज्य सरकार किसानों की कर्जमाफी समेत पूर्व विधायक बच्चू कडू की मांगों को स्वीकार करे। इस वजह से कार्यक्रम में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।
कार्यक्रम में आखिर हुआ क्या था?
जब उप मुख्यमंत्री अजीत पवार पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान प्रहार के कुछ कार्यकर्ताओं ने अचानक किसानों की कर्जमाफी और बच्चू कडू की राज्य सरकार से की गई १७ मांगों को लेकर नारे लगाए। उन्होंने बच्चू कडू के आंदोलन के समर्थन में भी नारे लगाए और अजीत पवार के कार्यक्रम को बंद कराने की कोशिश की। हालांकि बाद में पुलिस ने नारे लगा रहे कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इस बीच, जब प्रहार संगठन के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की, तो अजीत पवार ने बच्चू कडू की मांगों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए रुख के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
बच्चू कडू ने क्या कहा?
कर्जमाफी के संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाना चाहिए था। सरकार ने हमें बताया कि हम एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करेंगे। उस समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद कर्जमाफी पर निर्णय लेंगे। सरकार इस पर किस तारीख को निर्णय लेगी? सरकार यह नहीं बता रही है कि इसमें कितने दिन लगेंगे। इसलिए हम सभी प्रहार के कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर हैं।

अडानी के लिए रेड कारपेट बिछा रही है सरकार… शक्तिपीठ के नाम पर हजारों करोड़ का घोटाला!.. कांग्रेस ने महायुति सरकार को घेरा

सामना संवाददाता / मुंबई

भाजपा की महायुति सरकार केवल अडानी-अंबानी के लिए रेड कारपेट बिछा रही है, लेकिन किसानों और राज्य की बहनों को पैसा देने के समय बहाने बना रही है। सुरजागढ़ की खदान से मलाई खाने, समृद्धि महामार्ग में भ्रष्टाचार, घोड़बंदर-भायंदर सुरंग परियोजना में भ्रष्टाचार, पुणे रिंग रोड और अब अडानी के हित में शक्तिपीठ के नाम पर हजारों करोड़ का घोटाला, ये सब फडणवीस, अजीत पवार और एकनाथ शिंदे की सरकार में हो रहा है। सत्ता की मलाई खा सकते हैं, लेकिन किसानों और बहनों को देने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसा सवाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने उठाया।
सपकाल ने कहा कि अगर राज्य सरकार की तिजोरी खाली है तो दिल्ली जाकर मोदी और शाह से राज्य के लिए फंड लेकर आईए, इतनी हिम्मत तो दिखाएं। समितियों का खेल बंद करें और तत्काल किसान कर्जमाफी और बहनों को २,१०० रुपए की सहायता दें। किसान, बहनों और जनता के सब्र का इम्तिहान मत लें यह बहुत महंगा पड़ेगा, ऐसी चेतावनी भी हर्षवर्धन सपकाल ने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की युति सरकार जानबूझकर इससे बच रही है। बेमौसम बारिश से किसान संकट में हैं। फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा। अन्नदाता की कमर टूट चुकी है और सरकार अब भी कर्जमाफी देने से इंकार कर रही है। चुनाव के समय कर्जमाफी का वादा करके जनता से वोट लिए गए और सत्ता में आए और अब सत्ता में आने के बाद बेशर्मी से कह रहे हैं कि हमने ऐसा कोई वादा किया ही नहीं।

स्थानीय निकाय चुनाव आते ही महायुति ने दिया मेट्रो का झुनझुना!.. उल्हासनगर, अंबरनाथ और बदलापुरवासियों को उम्मीद नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई

लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव या फिर अन्य स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव हों, महायुति सरकार द्वारा हर चुनाव में लोकलुभावन वादे किए जाते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उल्हासनगरवासियों को अवैध निर्माण को वैध करने, जमीन का मालिकाना हक देने, चार एफएसआई देने का वादा महायुति सरकार ने किया था। वह आश्वासन मात्र चुनावी वादा बनकर रह गया है। अब स्थानीय स्वराज्य संस्था का चुनाव होने वाला है तो महायुति सरकार ने उल्हासनगर, अंबरनाथ और बदलापुरवासियों को मेट्रो का झुनझुना देना शुरू कर दिया है। वैसे सरकार के वादों पर भरोसा नहीं है।
अब कहा जा रहा है कि नई मेट्रो सेवा का लाभ अंबरनाथ, उल्हासनगर और बदलापुर क्षेत्र के नागरिकों को मिलेगा। मेट्रो १४ परियोजना का विस्तार किया जाएगा और यह मेट्रो चिखलोली रेलवे स्टेशन से शुरू होकर कल्याण-बदलापुर राज्य राजमार्ग पर जीएनपी मॉल तक जाएगी। साथ ही मेट्रो ५ का विस्तार दुर्गाडी नाका से ठाणे-भिवंडी-कल्याण होते हुए बिरला कॉलेज से शहाड, उल्हासनगर, शांतिनगर, कल्याण बदलापुर रोड होते हुए जीएनपी मॉल तक किया जाएगा।
इससे इस क्षेत्र के निवासियों को सीधी और तेज मेट्रो सेवा मिलेगी और चिखलोली एक प्रमुख परिवहन केंद्र के रूप में विकसित होगा। इसके साथ ही चिखलोली रेलवे स्टेशन पर रेलवे और मेट्रो सेवाओं को एकीकृत किया जाएगा और यहां स्टेशन को आधुनिक और सर्वसुविधायुक्त तरीके से बनाया जाएगा। इस संदर्भ में एमएमआरडीए को विस्तृत विकास योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा महायुति के नताओं की ओर से कहा जा रहा है।

कूपर अस्पताल में डॉक्टर, मरीज सभी अनसेफ!..८ माह से बंद हैं बैग स्कैनर मशीनें… हॉस्पिटल प्रशासन को कोई परवाह नहीं

द्रुप्ति झा / मुंबई

यह सच है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा को लेकर अक्सर चिंताएं उठती रही हैं। कई बार पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं होने के कारण डॉक्टर और मरीज दोनों ही असुरक्षित महसूस करते हैं।
पिछले आठ महीने से विलेपार्ले स्थित कूपर अस्पताल में एंट्री गेट पर लगी बैग स्कैनर मशीनें बंद पड़ी हुई हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई परवाह ही नहीं है।
सवाल उठता है क्या सरकारी अस्पतालों द्वारा इसी तरीके से सुरक्षा के इंतजाम किए जाते है। ऐसी स्थिति उस जगह की है, जहां रोजाना आने वाले लोगों की संख्या हजारों में होती है। इनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिनका उद्देशय सिर्फ अस्पताल में मौजूद लोगों को नुकसान पहुंचाना हो सकता है। अस्पताल की इसी लापरवाही से आतंकी हमला भी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।
अस्पताल में बैग स्कैनर मशीनों के बंद होने से मरीजों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही हैं। बैग स्कैनर मशीनों के बंद होने से अनधिकृत व्यक्तियों के अस्पताल में प्रवेश की आशंका बढ़ सकती है। बिना सुरक्षा जांच के अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों, निजी सामान और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की चोरी का खतरा बढ़ सकता है। सुरक्षा जांच मशीनों के बंद होने से अन्य सुरक्षा उल्लंघनों जैसे कि साइबर खतरे और कर्मचारियों के विरुद्ध हिंसा का भी खतरा बढ़ सकता है।
दांव पर अस्पताल की सुरक्षा
अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि बैग स्कैनर मशीन आठ महीनों से बंद पड़ी हुई है, जिस कंपनी की मशीन है वह इस बंद मशीन को नहीं लेकर जा रही है और न नई लेकर आ रही है। आईसीयू में भर्ती पत्नी की देखरेख करने वाले एक शख्स ने बताया कि जिस तरीके से घटनाएं घट रही हैं, डर तो लगता है। क्योंकि किसी के चेहरे पर लिखा तो नहीं होता है कि वो क्या करने वाला है। ऐसे में अस्पताल को लोगों की सुरक्षा के लिए बैग स्कैनर मशीनों को चालू करवाना चाहिए या नई मशीनें लगवानी चाहिए।

शिंदे गुट और भाजपा में कारशेड को लेकर किचकिच!.. भाजपा नेता की सीएम से मांग, बदलो कारशेड का स्थान

सुरेश गोलानी / मुंबई

स्थानीय भारतीय जनता पार्टी और शिंदे गुट के नेताओं के बीच फिर से किचकिच होने की पूरी संभावना है। इस बार मुद्दा मेट्रो-९ कारशेड के फिर से स्थनांतरण करने का है। ज्ञात हो कि शुरुआत में मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीएो मेट्रो-९ रेल कॉरिडोर (दहिसर से भायंदर) के लिए जरूरी कारशेड बनाने हेतु भायंदर-पश्चिम स्थित राई गांव के पास जमीन को चुना था। हालांकि, स्थानीय लोगों के कड़े प्रतिरोध और शिंदे गुट के विधायक की मध्यस्तता के बाद कारशेड को डोंगरी में सरकारी स्वामित्व वाली खाली जमीन पर स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया।
प्रस्ताव के अनुसार, कारशेड के निर्माण हेतु लगभग १२,४०० पेड़ काटे जाने हैं। इसी बीच मीरा-भायंदर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष और विधानसभा क्षेत्र प्रमुख एड. रवि व्यास ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग में घी डालने का काम कर दिया। अपने पत्र में व्यास ने प्रस्तावित कारशेड की जगह डोंगरी के बजाय सुभाष चंद्र बोस मैदान मेट्रो स्टेशन से लगी ४०० से ५०० एकड़ खाली जमीन पर निर्माण करने की मांग रख दी है। व्यास के अनुसार, डोंगरी में कारशेड बनाने का प्रस्ताव तर्कहीन है, जिसका निर्णय बिना सोचे समझे लिया गया है, इसका स्थनांतरण न सिर्फ पर्यावरण को होने वाली हानि रोकेगा, बल्कि सरकार को बेफिजूल खर्चों से भी बचाएगा। इससे पेड़ कटेंगे और न पर्वतीय भागों को नष्ट करके जमीन समतल करने की जरूरत होगी।