अजीत पवार के मंच पर ‘प्रहार’!..बच्चू कडू के कार्यकर्ताओं ने मचाया बवाल… कर्जमाफी के मुद्दे पर कार्यकर्ता आक्रामक

सामना संवाददाता / मुंबई

उप मुख्यमंत्री अजीत पवार कल पुणे के दौरे पर थे। अजीत पवार जब एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, उसी दौरान प्रहार के कुछ कार्यकर्ताओं ने किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर बड़ा हंगामा किया। इस दौरान प्रहार के कुछ कार्यकर्ताओं ने अजीत पवार के कार्यक्रम में नारेबाजी की और मांग की कि राज्य सरकार किसानों की कर्जमाफी समेत पूर्व विधायक बच्चू कडू की मांगों को स्वीकार करे। इस वजह से कार्यक्रम में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।
कार्यक्रम में आखिर हुआ क्या था?
जब उप मुख्यमंत्री अजीत पवार पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान प्रहार के कुछ कार्यकर्ताओं ने अचानक किसानों की कर्जमाफी और बच्चू कडू की राज्य सरकार से की गई १७ मांगों को लेकर नारे लगाए। उन्होंने बच्चू कडू के आंदोलन के समर्थन में भी नारे लगाए और अजीत पवार के कार्यक्रम को बंद कराने की कोशिश की। हालांकि बाद में पुलिस ने नारे लगा रहे कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इस बीच, जब प्रहार संगठन के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की, तो अजीत पवार ने बच्चू कडू की मांगों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए रुख के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
बच्चू कडू ने क्या कहा?
कर्जमाफी के संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाना चाहिए था। सरकार ने हमें बताया कि हम एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करेंगे। उस समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद कर्जमाफी पर निर्णय लेंगे। सरकार इस पर किस तारीख को निर्णय लेगी? सरकार यह नहीं बता रही है कि इसमें कितने दिन लगेंगे। इसलिए हम सभी प्रहार के कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर हैं।

अडानी के लिए रेड कारपेट बिछा रही है सरकार… शक्तिपीठ के नाम पर हजारों करोड़ का घोटाला!.. कांग्रेस ने महायुति सरकार को घेरा

सामना संवाददाता / मुंबई

भाजपा की महायुति सरकार केवल अडानी-अंबानी के लिए रेड कारपेट बिछा रही है, लेकिन किसानों और राज्य की बहनों को पैसा देने के समय बहाने बना रही है। सुरजागढ़ की खदान से मलाई खाने, समृद्धि महामार्ग में भ्रष्टाचार, घोड़बंदर-भायंदर सुरंग परियोजना में भ्रष्टाचार, पुणे रिंग रोड और अब अडानी के हित में शक्तिपीठ के नाम पर हजारों करोड़ का घोटाला, ये सब फडणवीस, अजीत पवार और एकनाथ शिंदे की सरकार में हो रहा है। सत्ता की मलाई खा सकते हैं, लेकिन किसानों और बहनों को देने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसा सवाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने उठाया।
सपकाल ने कहा कि अगर राज्य सरकार की तिजोरी खाली है तो दिल्ली जाकर मोदी और शाह से राज्य के लिए फंड लेकर आईए, इतनी हिम्मत तो दिखाएं। समितियों का खेल बंद करें और तत्काल किसान कर्जमाफी और बहनों को २,१०० रुपए की सहायता दें। किसान, बहनों और जनता के सब्र का इम्तिहान मत लें यह बहुत महंगा पड़ेगा, ऐसी चेतावनी भी हर्षवर्धन सपकाल ने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की युति सरकार जानबूझकर इससे बच रही है। बेमौसम बारिश से किसान संकट में हैं। फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा। अन्नदाता की कमर टूट चुकी है और सरकार अब भी कर्जमाफी देने से इंकार कर रही है। चुनाव के समय कर्जमाफी का वादा करके जनता से वोट लिए गए और सत्ता में आए और अब सत्ता में आने के बाद बेशर्मी से कह रहे हैं कि हमने ऐसा कोई वादा किया ही नहीं।

स्थानीय निकाय चुनाव आते ही महायुति ने दिया मेट्रो का झुनझुना!.. उल्हासनगर, अंबरनाथ और बदलापुरवासियों को उम्मीद नहीं

सामना संवाददाता / मुंबई

लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव या फिर अन्य स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव हों, महायुति सरकार द्वारा हर चुनाव में लोकलुभावन वादे किए जाते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उल्हासनगरवासियों को अवैध निर्माण को वैध करने, जमीन का मालिकाना हक देने, चार एफएसआई देने का वादा महायुति सरकार ने किया था। वह आश्वासन मात्र चुनावी वादा बनकर रह गया है। अब स्थानीय स्वराज्य संस्था का चुनाव होने वाला है तो महायुति सरकार ने उल्हासनगर, अंबरनाथ और बदलापुरवासियों को मेट्रो का झुनझुना देना शुरू कर दिया है। वैसे सरकार के वादों पर भरोसा नहीं है।
अब कहा जा रहा है कि नई मेट्रो सेवा का लाभ अंबरनाथ, उल्हासनगर और बदलापुर क्षेत्र के नागरिकों को मिलेगा। मेट्रो १४ परियोजना का विस्तार किया जाएगा और यह मेट्रो चिखलोली रेलवे स्टेशन से शुरू होकर कल्याण-बदलापुर राज्य राजमार्ग पर जीएनपी मॉल तक जाएगी। साथ ही मेट्रो ५ का विस्तार दुर्गाडी नाका से ठाणे-भिवंडी-कल्याण होते हुए बिरला कॉलेज से शहाड, उल्हासनगर, शांतिनगर, कल्याण बदलापुर रोड होते हुए जीएनपी मॉल तक किया जाएगा।
इससे इस क्षेत्र के निवासियों को सीधी और तेज मेट्रो सेवा मिलेगी और चिखलोली एक प्रमुख परिवहन केंद्र के रूप में विकसित होगा। इसके साथ ही चिखलोली रेलवे स्टेशन पर रेलवे और मेट्रो सेवाओं को एकीकृत किया जाएगा और यहां स्टेशन को आधुनिक और सर्वसुविधायुक्त तरीके से बनाया जाएगा। इस संदर्भ में एमएमआरडीए को विस्तृत विकास योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा महायुति के नताओं की ओर से कहा जा रहा है।

कूपर अस्पताल में डॉक्टर, मरीज सभी अनसेफ!..८ माह से बंद हैं बैग स्कैनर मशीनें… हॉस्पिटल प्रशासन को कोई परवाह नहीं

द्रुप्ति झा / मुंबई

यह सच है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा को लेकर अक्सर चिंताएं उठती रही हैं। कई बार पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं होने के कारण डॉक्टर और मरीज दोनों ही असुरक्षित महसूस करते हैं।
पिछले आठ महीने से विलेपार्ले स्थित कूपर अस्पताल में एंट्री गेट पर लगी बैग स्कैनर मशीनें बंद पड़ी हुई हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई परवाह ही नहीं है।
सवाल उठता है क्या सरकारी अस्पतालों द्वारा इसी तरीके से सुरक्षा के इंतजाम किए जाते है। ऐसी स्थिति उस जगह की है, जहां रोजाना आने वाले लोगों की संख्या हजारों में होती है। इनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिनका उद्देशय सिर्फ अस्पताल में मौजूद लोगों को नुकसान पहुंचाना हो सकता है। अस्पताल की इसी लापरवाही से आतंकी हमला भी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।
अस्पताल में बैग स्कैनर मशीनों के बंद होने से मरीजों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही हैं। बैग स्कैनर मशीनों के बंद होने से अनधिकृत व्यक्तियों के अस्पताल में प्रवेश की आशंका बढ़ सकती है। बिना सुरक्षा जांच के अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों, निजी सामान और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की चोरी का खतरा बढ़ सकता है। सुरक्षा जांच मशीनों के बंद होने से अन्य सुरक्षा उल्लंघनों जैसे कि साइबर खतरे और कर्मचारियों के विरुद्ध हिंसा का भी खतरा बढ़ सकता है।
दांव पर अस्पताल की सुरक्षा
अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि बैग स्कैनर मशीन आठ महीनों से बंद पड़ी हुई है, जिस कंपनी की मशीन है वह इस बंद मशीन को नहीं लेकर जा रही है और न नई लेकर आ रही है। आईसीयू में भर्ती पत्नी की देखरेख करने वाले एक शख्स ने बताया कि जिस तरीके से घटनाएं घट रही हैं, डर तो लगता है। क्योंकि किसी के चेहरे पर लिखा तो नहीं होता है कि वो क्या करने वाला है। ऐसे में अस्पताल को लोगों की सुरक्षा के लिए बैग स्कैनर मशीनों को चालू करवाना चाहिए या नई मशीनें लगवानी चाहिए।

शिंदे गुट और भाजपा में कारशेड को लेकर किचकिच!.. भाजपा नेता की सीएम से मांग, बदलो कारशेड का स्थान

सुरेश गोलानी / मुंबई

स्थानीय भारतीय जनता पार्टी और शिंदे गुट के नेताओं के बीच फिर से किचकिच होने की पूरी संभावना है। इस बार मुद्दा मेट्रो-९ कारशेड के फिर से स्थनांतरण करने का है। ज्ञात हो कि शुरुआत में मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीएो मेट्रो-९ रेल कॉरिडोर (दहिसर से भायंदर) के लिए जरूरी कारशेड बनाने हेतु भायंदर-पश्चिम स्थित राई गांव के पास जमीन को चुना था। हालांकि, स्थानीय लोगों के कड़े प्रतिरोध और शिंदे गुट के विधायक की मध्यस्तता के बाद कारशेड को डोंगरी में सरकारी स्वामित्व वाली खाली जमीन पर स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया।
प्रस्ताव के अनुसार, कारशेड के निर्माण हेतु लगभग १२,४०० पेड़ काटे जाने हैं। इसी बीच मीरा-भायंदर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष और विधानसभा क्षेत्र प्रमुख एड. रवि व्यास ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग में घी डालने का काम कर दिया। अपने पत्र में व्यास ने प्रस्तावित कारशेड की जगह डोंगरी के बजाय सुभाष चंद्र बोस मैदान मेट्रो स्टेशन से लगी ४०० से ५०० एकड़ खाली जमीन पर निर्माण करने की मांग रख दी है। व्यास के अनुसार, डोंगरी में कारशेड बनाने का प्रस्ताव तर्कहीन है, जिसका निर्णय बिना सोचे समझे लिया गया है, इसका स्थनांतरण न सिर्फ पर्यावरण को होने वाली हानि रोकेगा, बल्कि सरकार को बेफिजूल खर्चों से भी बचाएगा। इससे पेड़ कटेंगे और न पर्वतीय भागों को नष्ट करके जमीन समतल करने की जरूरत होगी।

मंत्री आशीष शेलार देखते रहे… भाजपाई एक दूसरे पर घूंसे बरसाते रहे… कांदिवली में बीजेपी की गुटबाजी सामने आई

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई महानगरपालिका चुनाव नजदीक आते ही मुंबई भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। मुंबई उपनगरीय जिला पालकमंत्री आशीष शेलार के सामने भाजपा के दो गुटों में जमककर मारपीट हुर्ई। इस वजह से इलाके में कुछ देर के लिए तनाव का माहौल बन गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। भाजपा मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार कांदिवली पूर्व जानूपाड़ा बस्ती में निवासियों से मिलने के लिए गए थे। इसी दौरान भाजपा के दो गुटों में बहस हो गई। आशीष शेलार के सामने ही कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया। कार्यकर्ताओं के बीच हाथापाई और मारपीट का कथित यह मामला पुलिस स्टेशन पहुंच गया है। इस बीच इस घटना पर भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि यह हमारी पार्टी का अंदरूनी विवाद है। पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है। इसके अनुसार, आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस बीच स्थानीय भाजपा नेता पुलिस स्टेशन पहुंचे और देवांग दवे से शिकायत दर्ज न कराने की गुहार लगाई।

अलीबाग-वडखल मार्ग पर लगता है भयंकर जाम!.. जिलाधिकारी ने दिया यातायात नियंत्रित करने का आश्वासन

सामना संवाददाता / मुंबई

अलीबाग-वडखल मार्ग पर भारी वाहनों के कारण जाम लग जाता है, जिसके कारण आम वाहनचालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिला कलेक्टर किशन जावले ने आश्वासन दिया कि शनिवार, रविवार और छुट्टियों के दिनों में लगनेवाले ट्रैफिक जाम को ध्यान में रखते हुए अलीबाग-वडखल राजमार्ग पर भारी यातायात को नियंत्रित किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय से इस संबंध में प्रस्ताव लेने के बाद यातायात नियमन अधिसूचना जारी की जाएगी। हर सप्ताहांत में हजारों पर्यटक अलीबाग आते हैं। इसके कारण अलीबाग-वडखल राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। इसके कारण हर शनिवार और रविवार को राजमार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। २५ किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। इसके कारण यातायात व्यवस्था अव्यवस्थित हो जाती है। वाहन चालकों और यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ती है। अनुशासनहीन चालक और भारी वाहन ट्रैफिक जाम की समस्या को और बढ़ा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने शुक्रवार, शनिवार और रविवार की तीन दिवसीय अवधि के दौरान इस सड़क पर भारी यातायात को नियंत्रित करने का निर्णय लिया है।

कंगाल सरकार ने की निधि में कमी… पालघर जिला जेल का काम मात्र १० प्रतिशत हुआ पूरा!.. २०२७ तक पूरा होने की उम्मीद

सामना संवाददाता / मुंबई

पालघर जिले में बन रही जिला जेल राज्य की सबसे बड़ी जेल होने की संभावना है। लेकिन इस जेल का काम निधि की कमी के कारण कछुआ की गति से चल रहा है। यही कारण है कि अब तक इस जेल का काम मात्र दस प्रतिशत पूरा हुआ है। जिस तरह से काम चल रहा है, उसको देखते २०२७ तक काम पूरा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
राज्य की जेलों में जेल की क्षमता से अधिक वैâदी रह रहे हैं, जिसको लेकर तरह-तरह की आलोचना सरकार की होती है। इतना ही नहीं, क्षमता से अधिक वैâदी जेल में होने को लेकर कोर्ट ने भी समय-समय पर सरकार को फटकार लगाई है, इसलिए जेलों की संख्या बढ़ाई जा रही है। लेकिन महायुति सरकार की आर्थिक हालत खस्ता होने के कारण आवश्यक निधि समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इसके कारण जेल के निर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
गत दिनों गृह राज्य मंत्री ग्रामीण डॉ. पंकज भोयर ने पालघर जिले में उमरोली में चल रहे जिला जेल निर्माण स्थल का दौरा किया था। इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने स्वीकार किया था कि पालघर जिला जेल का काम २०२७ तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी पत्रकारों को बताया कि राज्य में जेलों की कमी है और जिले में बन रही जेल में जरूरत पड़ने पर राज्य अन्य जेलों से वैâदियों को यहां स्थानांतरित किया जाएगा।

विघ्नहर्ता ने हरा मूर्तिकारों का विघ्न…पीओपी पर से हटा प्रतिबंध… ३०० करोड़ के कारोबार का अनुमान!.. पेण के कारखानों में मूर्तियां बनाने में जुटे कारीगर

सामना संवाददाता / मुंबई

हाई कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा पीओपी गणेश मूर्तियों पर लगाई गई रोक हटा ली है। इससे बाप्पा की मूर्तियों की पंढरी के नाम से मशहूर पेण में निर्माताओं के लिए बाधा टल गई है और शहर व तालुका कला केंद्रों में मूर्तियां बनाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। प्रतिबंध हटने से इस उद्योग का ३०० करोड़ के टर्नओवर का अनुमान है।
पेण तालुका में गणेश मूर्तियां बनाने वाली करीब १६०० फैक्ट्रियां हैं। तालुका के हमरापुर, जोहे, कलवा, तांबडशेत, बोरगांव, शिरकी, बोरी, वढाऊ, अंबेगांव समेत कई गांवों में गणेश मूर्ति की छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं।
सर्वांगीण सुंदर मूर्तियों और आकर्षक रंग संयोजन के कारण पेण तालुका की गणेश मूर्तियों की देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी काफी मांग है। इस मांग को पूरा करने के लिए पेण तालुका में सालभर गणेश प्रतिमा बनाने का काम चलता है। हालांकि इस साल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पीओपी गणेश मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे गणेश मूर्ति उद्योग पर बड़ा संकट आ गया था। पीओपी मूर्ति प्रतिबंध के दौरान, गणपति निर्माताओं ने आगे के नुकसान से बचने के लिए कम पीओपी गणेश मूर्तियां बनार्इं, जिससे उत्पादन में ५० फीसदी की गिरावट आई। हालांकि प्रतिबंध हटने के बाद निर्माताओं ने भक्तों को गणेश मूर्तियां उपलब्ध कराने के लिए कमर कस ली है। मूर्तियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है और इस साल भी इस उद्योग से ३०० करोड़ रुपए का कारोबार होगा। यह जानकारी गणेश मूर्तिकार संघ उत्कर्ष मंडल हमरापुर संभाग के अध्यक्ष जयेश पाटील ने दी।
२२ लाख बनाई जाती हैं पीओपी मूर्तियां
पेण तालुका में बेमौसम बारिश ने भी कहर बरपाया। हर साल करीब २० से २२ लाख पीओपी गणेश मूर्तियां बनाई जाती हैं, लेकिन इस साल प्रतिबंध के कारण अब तक केवल १५ लाख मूर्तियां ही बनाई जा सकी हैं। साथ ही शाडू मिट्टी की १५ से १८ लाख मूर्तियां बनाई गई हैं। निर्माताओं ने बताया कि बेमौसम बारिश के कारण मूर्तियों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।

संडे स्तंभ : दु:स्वप्न बने हैं मुंबई के विमान हादसे

विमल मिश्र

१२ जून, २०२५ को अमदाबाद हवाई अड्डे से रवाना एयर इंडिया के एआई१७१ ड्रीमलाइनर के उड़ते ही ध्वस्त हो जाने से मारे गए २७५ लोगों में विमान दल के सात सदस्यों के साथ कई मुंबई के भी थे। मुंबई खुद भी भारतीय विमानन इतिहास की कई भयंकर हवाई दुर्घटनाओं का साक्षी रहा है, जिनमें कई आश्चर्यजनक रूप से अमदाबाद हादसे से मिलती-जुलती हैं।

अमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से १२ जून को लंदन के लिए रवाना एयर इंडिया का एआई१७१ ड्रीमलाइनर उड़ान भरने के ३४ सेकंड के भीतर पर कटे पक्षी की तरह जमीन पर गिरकर करीब पौने से तीन सौ निर्दोष बलि लेकर ढेर हो गया। बीते वर्षों में मुंबई ने भी ऐसे कई भीषण हादसे देखे हैं।
उड़ते ही समुद्र में समा गया विमान
१ जनवरी, १९७८। नए साल की इससे अपशकुनी शुरुआत हो नहीं सकती थी। मुंबईकरों ने १९७८ के नववर्ष के लिए जश्न की जमकर तैयारियां की थीं। रात साढ़े आठ बजे सेलिब्रेशन के लिए वे महफिल जमाते कि एक भयानक खबर ने उन्हें चौंका दिया। ‘एयर इंडिया के बोइंग ७४७ ‘एंपरर अशोक’ की फ्लाइट ८५५ – जो सांताक्रुज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी – महज तीन किलोमीटर दूर बांद्रा तट के पास अरब सागर में व्रैâश हो गई थी। बांद्रा और आस-पास के वे लोग, जिन्होंने इसे घटते देखा- इस हादसे को कभी भुला नहीं पाएंगे। एक हवाई जहाज- जो अभी आसमान में उड़ा ही था कि सहसा ऊपर जाने के बजाय गोते खाने लगा और पलक झपकते ही नीचे अरब सागर में ओझल। बचाव तो दूर, प्‍लेन पर सवार १९० पैसेंजर और २३ क्रू मेंबर समेत २१३ लोगों में किसी को संभलने का मौका भी नहीं मिल पाया। सब कुछ घट गया है महज १०१ सेकंड के भीतर और हवाई अड्डे से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर। यह नौबत आई है खराब उपकरणों की वजह से, जो उड़ान के फौरन बाद विमान को यह संकेत देकर गुमराह कर देते हैं कि विमान दाईं ओर झुक रहा है, जबकि विमान दरअसल, सीधा होता है। लिहाजा, इस कोण को सही करने के लिए पॉयलट्स तीखा बायां मोड़ लेते हैं और विमान औंधे मुंह पानी में समा जाता है।
दुर्घटना के बाद बरामद कॉकपिट वायस रिकॉर्डर से जो डेटा मिला अगर उस पर यकीन करें तो विमान की ऊंचाई बताने वाला एल्‍टीट्यूड डाइरेक्टर इंडिकेटर (एडीआई) खराब हो गया था, जिसकी वजह से वैâप्‍टन को ऊंचाई का अनुमान नहीं हो पा रहा था। हादसे में एयर इंडिया ने अपना सबसे सुरक्षित माना जानेवाला विमान खो दिया। ‘एंपरर अशोक’ भारत आनेवाला पहला ७४७ जंबो जेट ‌‌विमान था। उस समय देश का सबसे शानदार विमान। उसकी भीतरी दीवारों, केबिनों और पैनल्स पर देशी म्यूरल और वॉल पेपर्स थे, अपर डेक पर गलीचे, सोफा सेट और बार की सुविधायुक्त फर्स्ट क्लास लाउंज था और जहां आवभगत का जिम्मा राजस्थानी घाघरा-चोली पहने सबसे खूबसूरत परिचारिकाओं को ही दिया जाता था।
विमान बना आग का गोला
करवा चौथ की रात थी। अभिनेता जितेंद्र सांताक्रुज एयरपोर्ट से लौटकर रात को घर की बॉलकनी में खड़े ही थे, तभी आकाश में उन्होंने एक भयानक दृश्य देखा, ‘…देखता हूं, एक आग का गोला ऐसे-ऐसे जा रहा है। एयरपोर्ट की तरफ…’ कपिल शर्मा शो में आए जंपिंग जैक दर्शकों को बताने में लगे थे वह भुक्तभोगी वृत्तांत, जो भारतीय विमानन के इतिहास की एक सबसे भयानक दुर्घटना के रूप में दर्ज है। वह दुर्घटना, जिसने विमान के सभी ९६ सवारों को पलक झपकते ही मौत की नींद सुला दिया था।
यह हादसा लिखा है १२ अक्टूबर, १९७६ को इंडियन एयरलाइंस वैâरावेली की चेन्नई (मद्रास) जानेवाली फ्लाइट १७१ के नाम। जितेंद्र को शूटिंग के लिए चेन्नई जाना था। फ्लाइट का वक्त था शाम सात बजे। जब वे एयरपोर्ट पहुंचे तो पता चला कि फ्लाइट दो घंटे लेट है और रात साढ़े आठ-नौ बजे जाएगी। उन्हें खयाल आया कि आज तो करवा चौथ है। पत्नी निर्जल व्रत में होगी। जितेंद्र आगे बताते हैं, ‘मैने फिर शोभा को घर पे फोन किया। कहा, चांद निकल रहा है कि नहीं निकल रहा है। देख लो, खतम कर देते हैं किस्सा।’ जब घर लौटे तो देखा पत्नी को बॉलकनी पर – चांद निकलने का इंतजार करती हुई। पत्नी ने फिर हठ करके उन्हें वापस एयरपोर्ट जाने ही नहीं दिया।’ इस तरह इस हादसे ने जितेंद्र का ‘किस्सा खत्म होने’ से बचा लिया। एंबुलेंस हादसे की जगह – रनवे नौ के अंतिम सिरे बिखरे हुए थे सवारों के शव, जो विमान के साथ ही झुलस गए थे। हादसे में ८९ यात्रियों और छह विमान कर्मियों में एक भी नहीं बचा। ज्यादातर यात्रियों को सीट बेल्ट खोलने का मौका भी नहीं मिल पाया था।
उस जमाने में हवाई अड्डों में दर्शक दीर्घा भी हुआ करती थी, जिसके कई दर्शकों ने खिड़कियों से यह हादसा देखा। विमान उड़ता है… हवाई अड्डे की हद पार करते ही मिनटों के भीतर उसके एक इंजन से लपटें निकल रही होती हैं… आग विशाल गोले में तब्दील हो जाती है… वापस लौटता है और पछाड़ खाकर नीचे गिर पड़ता है। उसके परखच्चे उड़ गए हैं… रनवे और आस-पास बस, आग ही आग है और है आंसू और चीख-चिल्लाहट। विमान ३०० फुट ऊपर से कटे पंख वाले पंछी की तरह जमीन पर गिरा है। उसकी भयानक आवाज से सांताक्रुज की दर्जनों इमारतों की खिड़कियों के कांच चटख गए हैं। हादसे की वजहों की पड़ताल से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक विमान के उड़ते ही उसके दो नंबर वाला इंजन फेल हो गया था। तकनीकी भाषा में इसका कारण हाई प्रेशर वाले टेंथ स्टेज कंप्रेशर डिस्क में ‘मेटल फटीग’ बताया गया है, जिसने कारण पॉवर प्लांट को फेल कर दिया है। कंप्रेशर विस्फोट के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गया है, जिससे हवाई ईंधन ने इंजन बे में घुसकर उसे धधका दिया है और ईंधन की सप्लाई लाइनें कट-फट गई हैं। नतीजा संपूर्ण विनाश…। इंजन की आग ने विमान के हाइड्रोलिक फ्लूइड की सप्लाई को खत्म और उसके सर्वेस कंट्रोल के संचालन को ध्वस्त कर दिया है और विमान नियंत्रण से बाहर होकर व्रैâश हो गया है।

 कैप एंपरर अशोक: एयर इंडिया के बोइंग ७४७ की फ्लाइट ८५५ – ‘एंपरर अशोक’ और समुद्र से बरामद उसका मलबा। ‘एंपरर अशोक’ १ जनवरी, १९७८ को सांताक्रुज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से रवाना होने के महज तीन किलोमीटर दूर बांद्रा तट के पास अरब सागर में व्रैâश हो गया था।

 कैप १७१ : १२ अक्टूबर, १९७६ को सांताक्रुज एयरपोर्ट से उड़ते ही ध्वस्त इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर १७१ के अवशेष।

(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)