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निगमों की घोषणा, कहीं लॉलीपॉप तो नहीं!..विस चुनाव से पहले विभिन्न जातियों को खुश करने को सरकार ने की थी घोषणा…नए घोषित निगमों में अभी तक नहीं हुई कोई नियुक्ति…अब राज्य में हो गए हैं ३५ महामंडल

सुनील ओसवाल / मुंबई

विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न जातियों या समुदायों को खुश करने के लिए निगम बनाने का पैâसला करने वाली महायुति सरकार ने पिछले डेढ़ साल में १७ विभिन्न समुदायों के निगम स्थापित किए हैं। राज्य में कार्यरत मंडलों की संख्या बढ़कर ३० से ३५ हो गई है और चूंकि नए घोषित निगमों में अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है, इसलिए निगमों की घोषणा कोई लॉलीपॉप तो नहीं है? यह प्रश्न पूछा जा रहा है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने जुलाई २०२४ में महाराष्ट्र सरकार को सलाह दी थी कि राज्य में विकास निगम घाटे में हैं और उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए। फिर भी राज्य सरकार ने चुनाव से पहले वैâबिनेट की बैठक में राज्य में विभिन्न समुदायों के लिए निगम स्थापित करने की घोषणा की। सितंबर २०२४ के अंत तक ९ विभिन्न समुदायों के लिए निगम स्थापित करने का निर्णय लिया गया। ऐसी दोनों सोसायटियों के निगमों के लिए भी १०० करोड़ रुपए का प्रावधान है। राज्य में विभिन्न समुदायों के लिए कुल १७ निगमों को जोड़ा गया।
शिंदे सरकार की वैâबिनेट की बैठक १० अक्टूबर २०२४ को हुई थी। इस बैठक में पांच समुदायों बारी, तेली, हिंदू खटीक, लोनारी और जैन के लिए आर्थिक विकास निगमों की स्थापना की गई। इससे पहले वैâबिनेट की बैठक में सरकार ने सोनार समुदाय के लिए संत नरहरि महाराज आर्थिक विकास निगम और आर्य वैश्य समुदाय के लिए वासावी कन्या आर्थिक विकास निगम की स्थापना की घोषणा की थी। इतना ही नहीं, ब्राह्मण समुदाय के लिए परशुराम आर्थिक विकास निगम और राजपूत समुदाय के लिए वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप आर्थिक विकास निगम की स्थापना करने का निर्णय लिया गया था। ब्राह्मण और राजपूत दोनों समुदायों के निगमों के लिए भी १०० करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।
शिंदे ने जैन सहित होलार समुदाय के लिए बोर्ड की घोषणा की। इससे पहले शिंदे ने जैन समुदाय के लिए एक अलग निगम, होलार सामुदायिक आर्थिक विकास निगम की घोषणा की थी।

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