मुख्यपृष्ठस्तंभबब्बा बोलो ना...नेता जी की शपथ

बब्बा बोलो ना…नेता जी की शपथ

अरुण कुमार गुप्ता

लोकसभा चुनाव के १० सीटों के लिए तीसरे चरण का मतदान सात मई को है। इस बीच उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर सियासी तापमान चरम पर है। इंडिया गठबंधन की तरफ से सपा के बलिया सीट से घोषित उम्मीदवार सनातन पांडेय पहली बार अपने निर्वाचन क्षेत्र बलिया पहुंचे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान पांडेय ने २०१९ लोकसभा चुनाव की हार पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। पांडेय ने कहा कि मैं पिछली बार चुनाव जीत चुका था और मैंने चुनाव आयोग पर विश्वास किया था। मतगणना स्थल से हत्या के डर से बाहर नहीं आया था। हम आपके जीते हुए प्रत्याशी थे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और इन लोगों ने रिजल्ट बदलवाने का काम किया था, लेकिन मैं इस बार संकल्प लेकर आया हूं कि २०२४ में यदि जनता ने चुनाव में जीत दिलाई तो यहां का प्रशासन या भाजपा का कोई भी तंत्र मेरी जीत का सर्टिफिकेट लेने से मुझे नहीं रोक पाएगा। पांडेय ने नीरज शेखर को समाजवादी कह डाला। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर समाजवादी थे। वे भारतीय जनता पार्टी के साथ कभी नहीं रहे हैं। अब वो भारतीय जनता पार्टी से लड़ रहे हैं। अब उनका कुछ भी नहीं बचा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि नेता जी की शपथ पूरी होती है या नहीं।
सवालों से सामना
हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा सांसद और भाजपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सिंह चंदेल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में क्षेत्र में वह किसी धार्मिक स्थल के पास पहुंचते हैं। वहां पर मौजूद एक युवक पूछता है कि दस साल से आप सांसद हैं, क्षेत्र के लिए क्या काम किया है? आपने संसद में क्षेत्र के लिए कितनी बार आवाज उठाई है। अब भाजपा प्रत्याशी व दस साल से सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो कुछ महीने पहले का बताया जा रहा है। इस बीच वह कहते हैं कि आप मोबाइल निकालिए…युवक इनकार कर देता है। इस बीच सांसद के समर्थक युवक को समझाने का प्रयास करते हुए हटाते हैं। ऐसे में अब यही कहा जा रहा है कि उम्मीदवार मतदाताओं को मूर्ख समझने की भूल न करें। लोग अब जागरूक हो गए हैं। यदि आपको जनप्रतिनिधि चुने हैं तो उनके सवालों का सामना तो करना ही होगा।
बृजभूषण सिंह का लंबा इंतजार
लोकसभा चुनाव का दो चरण संपन्न हो चुका है। बाकी चरणों के लिए राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए जोड़-तोड़ और उम्मीदवारों के चयन पर माथापच्ची कर रहे हैं। वहीं पार्टियों की चौखट से टिकट के बाहर आने के इंतजार का भी रोमांचक दौर चल रहा है। फिलहाल, तीन अन्य सीटों पर रियासत, विरासत और वर्चस्व की जंग देखते ही बन रही है। वैसे स्थानीय और राजधानी से स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है। दिल्ली के फैसले पर ही लोगों की नजर टिकी है। माना जा रहा है कि जो भी फैसला होगा, हाईकमान स्तर पर संभव है। वहीं भाजपा के फैसले पर ही सपा व बसपा की भी नजर है। अब नामांकन की रफ्तार तेज होने के साथ ही स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। कैसरगंज में अभी लड़ाकों के इंतजार का दौर तो थमा है, लेकिन दलों की चर्चाएं हवाओं में तैर रही हैं। फिलहाल, कैसरगंज की केसरी महक धूम मचाए हुए है। अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कैसरगंज सीट से विवादित यौन उत्पीड़न मामले में फंसे बृजभूषण सिंह को भाजपा से उम्मीदवारी मिलती है या नहीं। इस पर आम मतदाताओं के साथ ही विरोधी दलों की भी नजरें टिकी हुई हैं।

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