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धर्मादाय अस्पताल नहीं कर रहे गरीबों का इलाज!..आरक्षित बेड समेत सभी खातों की होगी जांच

सामना संवाददाता / मुंबई

धर्मादाय अस्पतालों को सरकार की ओर से बड़ी मात्रा में फंड और रियायतें मिलती हैं। यह दान गरीब मरीजों को इलाज मुहैया कराने की शर्त पर दिया जाता है। लेकिन इसके बाद भी धर्मादाय अस्पताल गरीबों का इलाज करने में आनाकानी करते हैं। वे आरक्षित बेड आदि की जानकारी को छिपाते हैं। वे सरकारी योजनाओं के जरिए गरीबों का इलाज नहीं करते। ऐसे अस्पतालों अब गाज गिरने वाली है। ऐसे सभी धर्मादाय अस्पतालों में आरक्षित बेड समेत सभी खातों की सरकार सख्ती से जांच की जाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में ४०० से ज्यादा धर्मादाय अस्पताल हैं। सरकार इन अस्पतालों को रियायतें देती है, ताकि गरीब मरीज वहां मामूली दरों पर इलाज करा सकें। प्रावधान है कि धर्मादाय अस्पतालों में दस फीसदी बेड गरीब मरीजों के लिए आरक्षित होने चाहिए। इसका अस्पताल प्रशासन पालन नहीं करता। यह भी सामने आया है कि गरीबों के लिए बने बेड का इस्तेमाल दूसरे मरीजों के लिए कर दिया जाता है और उनसे मोटी फीस वसूली जाती है। साथ ही महात्मा फुले जीवनदायी आरोग्य योजना, आयुष्मान भारत योजना जैसी योजनाओं का लाभ भी इन अस्पतालों को नहीं मिल पाता है। राज्य सरकार ने इस कमी को कानूनी रूप से पूरा करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने केंद्र और राज्य सरकार की सभी स्वास्थ्य योजनाओं को धर्मादाय अस्पतालों में भी लागू करने का पैâसला किया है। चूंकि सरकार ने धर्मादाय अस्पतालों को कानून और न्याय विभाग के अधिकार क्षेत्र में ला दिया है इसलिए इन अस्पतालों पर नियंत्रण संभव है। राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए की जमीन मामूली दर पर धर्मादाय अस्पतालों को दी है। धर्मादाय अस्पतालों को आयकर में ३० प्रतिशत की छूट दी जाती है। बिजली और पानी के बिल में भी रियायत दी जाती है। इन रियायतों से धर्मादाय अस्पतालों के करोड़ों रुपए बच जाते हैं। इन रियायतों के बदले में धर्मादाय अस्पतालों को इलाज से प्राप्त कुल आय का २ प्रतिशत निधि के रूप में आरक्षित करना होता है।

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