सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में सरकारी परियोजनाओं पर काम कर चुके ठेकेदारों ने राज्य सरकार को कानूनी नोटिस भेजा है। उनका कहना है कि उन्हें ९०,००० करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। अगर १५ दिनों के भीतर उन्हें भुगतान की स्पष्ट और समयबद्ध योजना नहीं दी गई, तो वे अदालत का रुख करेंगे।
ठेकेदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) के अनुसार, बीते एक साल से वे सरकार से बकाया रकम की मांग कर रहे हैं। इन ठेकेदारों ने राज्य में सड़कों, पुलों, सिंचाई परियोजनाओं और सरकारी इमारतों के निर्माण व मरम्मत जैसे अहम काम किए हैं। सबसे ज्यादा बकाया लोक निर्माण विभाग पर है, जिसकी राशि लगभग ४६,००० करोड़ रुपए है। इसके अलावा जल जीवन मिशन पर १८,००० करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास विभाग पर ८,६०० करोड़ रुपए, जल संसाधन विभाग पर १९,७०० करोड़ रुपए और नगर विकास विभाग पर १,७०० करोड़ रुपए बाकी हैं। ठेकेदारों का कहना है कि उन्होंने बैंक से ऋण लेकर ये काम पूरे किए और अब उन पर ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा है। बिना भुगतान के आगे काम करना बेहद कठिन हो गया है।
संगठन ने उठाए सवाल
संगठन ने राज्य सरकार की सामाजिक योजनाओं पर होने वाले भारी खर्च को लेकर भी सवाल उठाया है। खासकर, ‘लाडली बहन योजना’ के तहत हर महीने ३,७०० करोड़ रुपए की राशि लगभग २.४६ करोड़ महिलाओं को १,५०० रुपए प्रतिमाह देने में खर्च हो रही है। १० जून को ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिव और विभिन्न विभागों के सचिवों को कानूनी नोटिस भेजा। फिलहाल, सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। ठेकेदारों ने साफ कहा है कि यदि भुगतान की योजना जल्द नहीं बनी तो वे हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।