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ऐतिहासिक नगरी नाशिक में “संस्कृत उत्कर्षोत्सव” का भव्य शुभारंभ

-केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के नेतृत्व में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानों की गरिमामयी सहभागिता

सामना संवाददाता / नाशिक

प्राचीन संस्कृति की पावन भूमि नाशिक में आज “संस्कृत उत्कर्षोत्सव” का उद्घाटन यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठ, नाशिक में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। यह भव्य आयोजन 8 से 10 जून 2025 तक केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (सीएसयू), दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सीएसयू दिल्ली, श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (श्रीलाबशारासंवि) दिल्ली तथा राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (रासंवि) तिरुपति की सक्रिय सहभागिता रही।
विशिष्ट उपस्थिति
इस शुभारंभ सत्र में तीनों विश्वविद्यालयों के कुलपति —
प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी (सीएसयू, दिल्ली)
प्रो. मुरली मनोहर पाठक (श्रीलाबशारासंवि, दिल्ली)
प्रो. जी. एस. आर. कृष्णमूर्ति (रासंवि, तिरुपति)
तथा अन्य विशिष्ट संस्थानों के कुलपति जैसे —
प्रो. सुकान्त कुमार सेनापति (सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय)
प्रो. हरेराम त्रिपाठी (कविकुल कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक)
प्रो. प्रह्लाद जोशी (कुमार भास्कर वर्मा विश्वविद्यालय, असम)
प्रो. प्रसाद जोशी (डेक्कन कॉलेज, पुणे)
भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र की विशेषताएं
सत्र का शुभारंभ वैदिक एवं लौकिक मंगलाचरण से हुआ।
स्वागत भाषण नाशिक परिसर के निदेशक डॉ. नीलाभ तिवारी ने किया।
मंच संचालन डॉ. जी. सूर्यप्रसाद (प्रकाशन विभाग, सीएसयू) ने किया।
मुख्य अतिथि: प्रो. पंकज टी. चांदे, पूर्व कुलपति, कविकुल कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, नागपुर
अध्यक्षता: प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी
विचार-विमर्श एवं प्रमुख बिंदु
विभिन्न विश्वविद्यालयों की दश वर्षीय संस्कृत संवर्धन योजनाएं प्रस्तुत की गईं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत संस्कृत विश्वविद्यालयों की भूमिका पर चर्चा हुई।
शास्त्र अध्ययन के नवाचार व “आईटीईपी” पाठ्यक्रम पर विचार रखे गए। श्रीनिवास वरखेड़ी ने स्पष्ट किया कि आईटीईपी के माध्यम से छात्र व शास्त्र दोनों को नवीन अवसर प्राप्त होंगे।
श्रृंगेरी परिसर को स्वतंत्र गुरुकुल संचलन, नाशिक परिसर को मल्टी-डिसिप्लिनरी केंद्र और डेक्कन कॉलेज, पुणे को आईकेएस केंद्र घोषित किया गया।
विशिष्ट सम्मान
डॉ. नित्यानन्द मिश्र, संस्थापक–सुनामा फाउंडेशन एवं आईआईएम, बंगलुरु के विद्वान को “संस्कृत सेवाव्रती सम्मान” से सम्मानित किया गया।
विश्वविद्यालयीय उपलब्धियों की पीपीटी प्रस्तुति
तीनों केन्द्रीय विश्वविद्यालयों ने अपने-अपने शैक्षणिक व शोध उपलब्धियों को पीपीटी के माध्यम से साझा किया।
प्रो. मदन मोहन झा (डीन, शैक्षणिक व छात्र कल्याण)
प्रो. के. सतीश (आईकेएस निदेशक)
विष्णुपद महापात्र (न्याय विभागाध्यक्ष) ने प्रस्तुति दी।

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