सामना संवाददाता / मुंबई
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान ५ फरवरी को हुआ था। उसके बाद कल (८ फरवरी) विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए वोटों की गिनती हुई। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा झटका लगा है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी हार गए। इसके अलावा दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। यद्यपि कांग्रेस और `आप’ के बीच इंडिया आघाड़ी थी, फिर भी दोनों पार्टियों ने दिल्ली चुनाव अलग-अलग लड़ा इसलिए अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस और `आप’ भी इससे प्रभावित हुई हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता और विधायक रोहित पवार ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली चुनाव में इंडिया आघाड़ी हुई होती तो भाजपा २० सीटों से आगे नहीं जाती। १५ से अधिक सीटों पर विजयी भाजपा उम्मीदवारों का वोट शेयर तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार से काफी कम है। मेरी व्यक्तिगत भावना यह थी कि दिल्ली चुनाव में `आप’ के नेतृत्व में सरकार बननी चाहिए थी। भाजपा के खिलाफ लड़ते समय, समान विचारधारा वाले दलों को एक-दो कदम आगे-पीछे करने की जरूरत थी। दुर्भाग्यवश, इंडिया आघाड़ी में शामिल दलों ने अपना अहंकार नहीं छोड़ा। परिणामस्वरूप, भाजपा को असंभव जीत हासिल हुई। रोहित पवार ने कहा है कि पारंपरिक तरीके से लड़ने वाले सभी नेताओं को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए।