राज्य में लोकतंत्र व सामाजिक व्यवस्था खतरे में
चुनाव आयोग और कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में संदेह जताया जा रहा है। कैसे बढ़े ७६ लाख वोट? यह प्रश्न अनुत्तरित है। मराठी फिल्म ‘सामना’ में एक डायलॉग है, ‘मारुति कांबले का क्या हुआ?’ वैसे ही सवाल है कि ७६ लाख वोटों का क्या हुआ? शाम ५ बजे से रात ११.३० बजे तक ये वोट कहां से आए? हरियाणा में भी १४ लाख वोट बढ़े, यही फॉर्मूला महाराष्ट्र में भी लागू करते हुए ७६ लाख वोट बढ़े हैं। भाजपा पर ऐसा जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, सांसद संजय राऊत ने कहा कि ये बढ़े हुए वोट ही महायुति की जीत के सूत्रधार हैं। संजय राऊत ने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह बात कही।
संजय राऊत ने कहा कि ७६ लाख वोट कहां से आए, यह सवाल नाना पटोले ने उठाया था और हमारा भी यही सवाल है। रात ११.३० बजे तक कतार में लगकर लोग कहां मतदान कर रहे थे, यह चुनाव आयोग को दिखाना चाहिए। रात ११.३० बजे कौन मतदान कर रहा था? हरियाणा में १४ लाख वोट बढ़े और बीजेपी जीत गई। महाराष्ट्र में भी ७६ लाख वोट बढ़े और महायुति की जीत हुई। ये जीत असली नहीं है।
संजय राऊत ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी और चुनाव में धन के दुरूपयोग को लेकर डॉ. बाबा आढाव और उनके साथ कई लोग इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं। अब महाराष्ट्र भी धीरे-धीरे इसमें शामिल हो जाएगा। राज्य में लोकतंत्र और सामाजिक व्यवस्था खतरे में है। चुनाव प्रणाली भ्रष्ट है। ९५ साल के बाबा आढाव पिछले दो दिनों से पुणे में आत्मक्लेश आंदोलन कर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का विरोध कर रहे हैं, लेकिन यह तस्वीर बहुत गंभीर है और महाराष्ट्र को कलंकित करनेवाली है।
उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर लोगों में संशय है। लोग खुश नहीं हैं। इतनी बड़ी जीत के बाद भी कहीं कोई खुशी नहीं है। खुद कार्यवाहक मुख्यमंत्री परेशान हैं और अमावस्या के मौके पर अपने गांव चले गए हैं। महाराष्ट्र को इंतजार है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मुझे नहीं पता कि फडणवीस की जगह किसी और का नाम आएगा या नहीं। इस बीच कई उम्मीदवारों ने ईवीएम पर संदेह जताते हुए दोबारा गिनती के लिए पैसे जमा कराए हैं। क्या इससे कुछ हासिल होगा? पूछे जाने पर राऊत ने कहा कि चुनाव आयोग और कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। अगर अदालत लोगों की बात नहीं सुनती तो हमने इसकी स्थापना क्यों की? ईवीएम से जुड़ी याचिकाएं २ मिनट में खारिज हो गई। क्या न्याय हुआ? राऊत ने ऐसा सवाल पूछा।