मुख्यपृष्ठनए समाचारमहायुति में महाजंग जारी! ...चार सीटों पर अब भी अटका है पेच

महायुति में महाजंग जारी! …चार सीटों पर अब भी अटका है पेच

कई दौर की बैठकों के बाद भी नहीं बनी सहमति
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव को लेकर महायुति और महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने अपनी कमर कस ली है। सीट शेयरिंग मामले में महाविकास आघाड़ी महायुति की तुलना में काफी आगे निकल चुकी है। महाविकास आघाड़ी के अंदर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो चुका है, लेकिन महायुति के अंदर अभी भी चार सीटों पर पेच फंसा हुआ है। सीट शेयरिंग पर चर्चा के लिए कई राउंड्स की बैठकें को चुकी हैं, लेकिन कई सीटों पर अभी भी अजीत पवार गुट, शिंदे गुट और बीजेपी में सहमति नहीं बन पाई है।
शिंदे गुट का मुंबई दक्षिण सीट पर दावा
२०१९ के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के अरविंद सावंत दक्षिण मुंबई से चुने गए। उन्होंने कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को हराया था। २०१९ में भारी अंतर से मिली जीत का हवाला देते हुए शिंदे गुट ने दावा ठोका है। इस बार उसने सीएम एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल हुए मिलिंद देवड़ा या पूर्व स्थायी समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव को मैदान में उतारने का प्रस्ताव रखा है, जबकि बीजेपी से विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और वैâबिनेट सदस्य मंगलप्रभात लोढ़ा मुख्य दावेदार हैं। इस मामले में अजीत पवार गुट का मानना है कि देवड़ा को हाल ही में राज्यसभा भेजा गया है इसलिए एकनाथ शिंदे को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और जीत के आधार पर सीट बीजेपी को दे देनी चाहिए।
शिंदे गुट के तर्क का बीजेपी ने दिया जवाब
छगन भुजबल ने कहा था कि अगर वह चुनाव लड़ेंगे तो यह अजीत गुट की पार्टी के चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ पर लड़ेंगे। २०१९ में शिवसेना के राजन विचारे ने ठाणे सीट पर भारी अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन वह शिंदे के साथ नहीं गए। शिंदे का तर्क है कि यह सीट बीजेपी को सौंपना गलत होगा, जो संजीव नाईक को मैदान में उतारने की योजना बना रही है। बीजेपी का तर्क है कि राजनीतिक स्थिति में भारी बदलाव आया है।
नासिक सीट पर अजीत पवार गुट का दावा
नासिक में अजीत पवार गुट पीछे नहीं हट रहा है। नासिक में सीएम शिंदे के लिए दो बार के सांसद हेमंत गोडसे को मनाना मुश्किल हो रहा है, जिन्होंने पहले छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर दोनों को हराया था। जहां अजीत पवार गुट छगन भुजबल को नामांकित करने पर जोर दे रहा है, वहीं शिंदे अपना दावा छोड़ने से हिचक रहे हैं और कह रहे हैं कि गोडसे को हटाना गलत होगा।

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