जल्द मिलेगा वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का आनंद …आधुनिक सुविधाओं से होगी लैस

सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय रेलवे ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है, जो जल्द ही परीक्षण के लिए पटरियों पर उतरेगा। इस ट्रेन की शुरुआत का समय इन परीक्षणों की सफलता पर निर्भर करेगा। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि यह ट्रेन लंबी और मध्यम दूरी की यात्राओं के लिए डिजाइन की गई है और यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस है।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में कवच तकनीक, जो ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिजाइन की गई है, को शामिल किया गया है। यह ट्रेन एचएल फायर सेफ्टी मानकों के अनुरूप है, साथ ही इसमें व्रैâशरोधी डिजाइन और झटकेमुक्त सेमी-पर्मानेंट कपलर लगाए गए हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए इन ट्रेनों में आपातकालीन संवाद प्रणाली, दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष शौचालय, केंद्रीय रूप से नियंत्रित दरवाजे और सीसीटीवी वैâमरे जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं। ऊपरी बर्थ पर चढ़ने के लिए आरामदायक सीढ़ी और यात्री सुविधाओं की निगरानी के लिए सेंट्रलाइज्ड कोच मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगाया गया है।

कम समय में पूरा होगा सफर
यह ट्रेन तेज गति के साथ कम समय में गंतव्य तक पहुंचने में सक्षम है। नया ब्रेकिंग सिस्टम इसे ऊर्जा कुशल बनाता है। इसके अलावा, यात्रियों को अधिक आरामदायक सफर का अनुभव मिलेगा। मंत्री ने बताया कि २ दिसंबर, २०२४ तक भारतीय रेलवे में वंदे भारत चेयर कार की १३६ सेवाएं संचालित हो रही हैं। इनमें से १६ ट्रेनें तमिलनाडु के विभिन्न स्टेशनों को जोड़ रही हैं। सबसे लंबी दूरी की वंदे भारत सेवा दिल्ली और बनारस के बीच ७७१ किलोमीटर का सफर तय करती है। रेल मंत्री ने कहा कि नई ट्रेन सेवाओं का परिचालन यात्रियों की मांग, संचालन की व्यवहार्यता और संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

550 दिनों में 60 हजार शरणार्थी!…मोदी सरकार का मणिपुर में उपलब्धि…पीड़ितों के दिल्ली में धरना देने तक की नहीं है अनुमति

कांग्रेस समेत प्रमुख 10 विपक्षी दलों ने जताया रोष

सामना सवाददाता / नई दिल्ली
मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया ने पीएम मोदी से मांग की है। गठबंधन दलों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करें। मणिपुर के लोगों से उनके जुड़ाव के चलते राज्य में शांति और सामान्य स्थिति कायम हो सकती है। विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं ने दावा किया कि उन्हें जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति दी गई।

मणिपुर कांग्रेस प्रमुख मेघचंद्र ने कहा कि हम जंतर-मंतर पर धरना देनेवाले थे, लेकिन अधिकारियों ने हमारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। हमारे साथ लगभग १० राजनीतिक दल हैं। हमें विरोध करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इसके बाद भी हम रुकेंगे नहीं और हमारा विरोध जारी रहेगा। हमने पीएम मोदी को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि मणिपुर भारत का हिस्सा है। पिछले १८ महीनों में केंद्र सरकार ने इतनी लापरवाही क्यों बरती है? ६० हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में हैं और सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हमें और कितनी तकलीफ सहनी होगी? मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री से राज्य में शांति बहाल करने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया कि मणिपुर राज्य सरकार पर केंद्र का नियंत्रण है और मुख्यमंत्री कुछ नहीं कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि यहां अघोषित राष्ट्रपति शासन लगा है। गृह मंत्री सीधे राज्य में स्थिति को नियंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार की लापरवाही को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने न तो मणिपुर की स्थिति पर बात की है और न ही राज्य का दौरा किया है। इसके अलावा उन्होंने प्रतिनिधियों को भी चर्चा के लिए आमंत्रित नहीं किया है।

मणिपुर के राजनीतिक दलों के संयोजक क्षेत्रीमयुम शांता ने कहा कि वे शांति और सामान्य स्थिति की बहाली की मांग के लिए ३,००० किलोमीटर दूर मणिपुर से नई दिल्ली आए हैं, लेकिन उन्हें धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई। हम केंद्र सरकार के रवैये की निंदा करते हैं। भाजपा की डबल इंजन सरकार के कुप्रशासन के कारण ही हम इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। हमें सरकार ने बांट दिया है। हम चाहते हैं कि यह खत्म हो और हम फिर से एकजुट हों। हम मणिपुर की एकता और अखंडता के लिए खड़े हैं।

३१ मार्च तक लगवा लो हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट! …वरना लगेगा भारी जुर्माना आरटीओ ने तय की ३१ मार्च की डेडलाइन

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने वाहन चालकों के लिए एक नया नियम लागू किया है, जो लाखों वाहन मालिकों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। राज्य में अप्रैल २०१९ से पहले पंजीकृत दो करोड़ से अधिक वाहनों पर ३१ मार्च २०२५ से पहले हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नियम का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
बता दें कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स एक दुर्लभ एल्यूमिनियम मिश्रधातु से बनाई जाती हैं, जिसमें परावर्तक फिल्म और भारत का प्रतीक अशोक चक्र का होलोग्राम होता है। इन प्लेट्स पर नीले रंग में `आईएनडी’ अक्षर और १० अंकों का लेजर क्रमांक होता है, जो इन्हें छेड़छाड़-रोधी बनाता है। वाहन की विंडस्क्रीन पर तीसरा पंजीकरण स्टीकर लगाना भी अनिवार्य है।
नियम न मानने पर जुर्माना
मार्च २०२५ के बाद, जिन वाहनों पर हाइ सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं होगी, उन पर मोटर वाहन अधिनियम, १९८८ के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जुर्माने की राशि अभी घोषित नहीं की गई है।
चार महीनों में असंभव
सेवानिवृत्त आरटीओ अधिकारियों ने इस नियम को अव्यावहारिक और लागू करने के लिए कठिन बताया है। उनका कहना है कि सिर्फ चार महीनों में दो करोड़ से अधिक वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना असंभव है।

३ क्षेत्रों में ३ कंपनियों की नियुक्ति
क्षेत्र १- रोस्मर्टा सेफ्टी सिस्टम्स लिमिटेड (१२ आरटीओ कार्यालय)
क्षेत्र २- रियल मजोन इंडिया लिमिटेड (१६ आरटीओ कार्यालय)
क्षेत्र ३-एफटीए एचएसआरपी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (२७ आरटीओ कार्यालय)

वाहन चालकों के लिए सिरदर्द
वाहन मालिकों का कहना है कि उनको चार महीनों में दो करोड़ से अधिक वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए नियुक्त कंपनियों की वेबसाइट पर जाकर अपॉइंटमेंट लेनी होगी। प्लेट्स तैयार होने में दो दिन का समय लगेगा। इंस्टॉलेशन के बाद वाहन की सारी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। वहीं सरकार द्वारा वाहन चोरी रोकने और पहचान सुनिश्चित करने के लिए एचएसआरपी प्लेट्स को महत्वपूर्ण बताया गया है। वैसे इतनी बड़ी संख्या में वाहनों पर निर्धारित समय सीमा के अंदर प्लेट्स लग पाएंगे, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। महाराष्ट्र के वाहन चालकों के लिए आने वाले कुछ महीने बेहद भागदौड़ भरे साबित हो सकते हैं।

शुल्क
दोपहिया और ट्रैक्टर के लिए ४५० रुपए
तिपहिया वाहन के लिए ५०० रुपए
चारपहिया वाहन के लिए ७४५ रुपए (जीएसटी अतिरिक्त)

उल्हासनगर मनपा को लग रहा है प्रतिवर्ष रु.४ करोड़ का फटका! …एक वर्ष में ४४४ लोगों ने किया निवेदन

अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर मनपा कंगाल हो गई है। साथ ही मनपा को व्यापारियों द्वारा भी सहयोग नहीं मिल रहा है। मनपा द्वारा निश्चित दर पर बाजार के लोगों के द्वारा लाइसेंस लेने के लिए नियम बनाया गया है। उक्त नियम को न मानने के साथ ही सहयोग न देने के कारण मनपा को प्रति वर्ष ३-४ करोड़ रुपए का फटका लग रहा है।
इस आर्थिक फटके के चलते विकास योजना, लोगों के वेतन, ठेकेदारों की बकाया राशि देने में भी मनपा प्रशासन को कठिनाई हो रही है। मनपा की आर्थिक तंगी के लिए मनपा प्रशासन की लाचारी भी कारगर साबित हो रही है। इस आर्थिक बदहाली के कारण मनपा का बाजार व लाइसेंस विभाग फेल होता दिखाई दे रहा है। बता दें कि उल्हासनगर मे लाखों व्यापारी, हैं, जो घर से लेकर दुकान, रास्ते पर व्यापार कर रहे हैं। ४४४ व्यापारियों ने एक साल के दरमियान लाइसेंस के लिए आवेदन किया है।
बाजार व लाइसेंस विभाग के प्रमुख विनोद केने ने बताया कि लोगों की टैक्स पावती एरिया के हिसाब से निर्धारित किया गया है। सरकार को मान्यता के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। सरकारी मान्यता मिलने के बाद आयुक्त विशाल ढाकने के आदेश पर आवेदन न करने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। ६० हजार के करीब व्यापारी आज भी लाइसेंस के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, जिससे ३ से ४ करोड़ रुपए का फटका लग रहा है। उल्हासनगर में प्रति वर्ष अभय योजना लाने के बाद भी लोग जिस प्रकार से हाउस टैक्स भरने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, उसी तरह इस मामले में भी व्यापारी जागरुकता नहीं दिखा रहे हैं।

मोदी जी संसद में आओ , अडानी पर जांच से मत घबराओ …राहुल गांधी का प्रधानमंत्री पर करारा प्रहार

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
संसद के शीतकालीन सत्र के ९वें दिन कल जमकर बवाल हुआ। राज्यसभा के अंदर कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नोटों की गड्डी मिलने से संसद का माहौल गरमा गया है, वहीं अडानी मसले पर कांग्रेस लगातार हमलावर रही है। इन सबके बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने तंज कसते हुए मोदी को संसद में आने को कहा। साथ ही उनसे अडानी मामले पर नहीं डरने की सलाह दी। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर कहा कि मोदी जी संसद में आओ, अडानी पर जांच से मत घबराओ। कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही अमेरिका द्वारा अडानी के अभियोग पर चर्चा करने की अपनी मांग पर कायम है। इससे पहले दिन में, विपक्षी सांसदों ने अडानी मुद्दे पर विरोध जताने के लिए मास्क पहने, जिसपर लिखा था- ‘मोदी अडानी, भाई-भाई’। इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी हाथ में संविधान की प्रति लिए नजर आए। उधर कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अडानी के लिए यहां संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज बीआर आंबेडकर की पुण्यतिथि है, वह व्यक्ति जिन्होंने भारत का संविधान दिया। अडानी के लिए यहां संवैधानिक अधिकार का हनन किया गया है।

बिहार में चरम पर है महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार …तेजस्वी के जाल में फंस गए सीएम! …नीतीश के वोट बैंक में सेंधमारी

सामना संवाददाता / पटना
बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को सभी मुद्दों पर लगातार घेर रहें हैं। तेजस्वी यादव अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गए हैं। एक ओर वे मतदाताओं को लुभाने के लिए घोषणाएं करने में जुटे हैं तो दूसरी ओर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरने का मौका भी नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महिलाओं के साध अपराध चरम पर है और नीतीश सरकार इन पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है। ये कहना है नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीविका दीदियों को जदयू के वैâडर के रूप में तब्दील करना चाह रहे हैं। उन्होंने वादा किया कि यदि राजद की सरकार बनती है तो दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी और जीविका दीदियों की समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। अधिकांश जीविका दीदीयों को नीतीश कुमार का मतदाता माना जाता है। ऐसे में तेजस्वी ने यह दांव चलकर उनके वोटरों में सेंधमारी की कोशिश की है। तेजस्वी यादव ने कहा कि डबल इंजन सरकार होने एवं एनडीए के दशकों के शासन के बावजूद देश में सबसे महंगी बिजली बिहार में मिलती है। बिहार की जनता महंगे बिजली बिल तथा स्मार्ट मीटर की गड़बड़ियों से त्रस्त है। हमारी सरकार आने पर दो सौ यूनिट फ्री बिजली दी जाएगी। तेजस्वी ने कहा कि बिहार में अपराध बढ़ा है। लॉ एंड आर्डर की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ब्लाक से लेकर थाने तक में भ्रष्टाचार व्याप्त है।
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि अपनी ही जनता से संवाद करने के लिए ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की यह यात्रा लूट की छूट है। अघिकारियों की यह यात्रा है। गुरुवार को खगड़िया में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी यात्रा पर २५० करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इसका लाभ केवल चुनिंदा लोगों को मिलेगा।

अटल सेतु को टोलमाफी का झटका!…एक महीने में वाहनों की संख्या में भारी गिरावट

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने मुंबई के प्रवेश द्वार पर स्थित पांच टोल नाकों पर हल्के वाहनों के लिए टोलमाफी की घोषणा की थी। इसी बीच, बड़े प्रचार के साथ शुरू किए गए शिवड़ी-न्हावा शेवा अटल सेतु पर वाहनों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अक्टूबर महीने में अटल सेतु से कुल ७,०७,१०४ वाहनों ने यात्रा की थी, जबकि यह संख्या नवंबर में घटकर ६,६९,०९२ रह गई। यह गिरावट टोलमाफी का असर हो सकती है, ऐसी चर्चाएं तेज हो गई हैं। खास बात यह है कि इस अवधि में अटल सेतु पर हल्के वाहनों की संख्या में सबसे अधिक कमी दर्ज की गई है।
मुंबई-नई मुंबई के बीच यातायात के लिए महत्वपूर्ण
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने मुंबई-नई मुंबई के बीच २१.८ किलोमीटर लंबे समुद्री पुल, शिवड़ी-न्हावा शेवा अटल सेतु का निर्माण किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जनवरी में यातायात के लिए शुरू किया था। यह पुल मुंबई-नई मुंबई की दूरी को महज १२-१५ मिनट में तय करने में मदद करता है। नई मुंबई के दक्षिणी उपनगरों जैसे उलवे, उरण, द्रोणागिरी, जासई, पनवेल और गव्हाण के निवासियों के लिए मुंबई की यात्रा आसान हो गई है।
हालांकि, जब एमएमआरडीए ने इस पुल पर एकतरफा यात्रा के लिए २५० रुपए टोल तय किया, तो रोजाना यात्रा करने वाले लोगों को निराशा हुई। पुल का लाभ उठाने वाले यात्रियों की अपेक्षित संख्या पूरी नहीं हो पाई।
वाहनों की घटी संख्या
मुंबई के पांच टोल नाकों पर हल्के वाहनों, एसटी बसों और स्कूल बसों के लिए अक्टूबर से टोलमाफी लागू की गई। इसके बाद अटल सेतु पर वाहनों की संख्या में और गिरावट देखी गई है। सितंबर में यहां से ७,१४,२१३ वाहन गुजरे थे, जो अक्टूबर में घटकर ७,०७,१०४ हो गए। नवंबर में यह संख्या और कम होकर ६,६९,०९२ रह गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि वाशी के पुराने खाड़ी पुल के टोल मुक्त होने के कारण लोग अटल सेतु की तुलना में वाशी पुल को प्राथमिकता दे रहे हैं। अटल सेतु पर टोल शुल्क २५० रुपए (एकतरफा) और ३७५ रुपए (दोतरफा) है। वहीं, वाशी खाड़ी पुल के टोल मुक्त होने से यहां ट्रैफिक जाम भी कम हुआ है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
उलवे, उरण, द्रोणागिरी, बेलापुर जैसे इलाकों के कई स्थानीय निवासी अटल सेतु पर टोल को महंगा मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार को ऐसे बड़े प्रोजेक्ट की योजना बनाते समय स्थानीय लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। साथ ही, अधिक बस सेवाएं शुरू करने से पुल का उपयोग बढ़ सकता है।

मुंबई-नई मुंबई की यात्रा के लिए वाशी पुल अब मुफ्त हो गया है। अटल सेतु पर टोल देने के बजाय वाशी पुल का इस्तेमाल बेहतर विकल्प है।’
-मोक्ष टांक, यात्री

लाड़ली बहन योजना की वैधता पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब …१५ जनवरी से पहले सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई
हाई कोर्ट ने ‘लाड़ली बहन’ और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की वैधता को लेकर उठे संदेह पर राज्य सरकार को १५ जनवरी से पहले जवाब दाखिल करने का सख्त आदेश दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि ‘लाड़ली बहन’ जैसी योजनाओं पर भारी खर्च के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति और खराब हो रही है। इस पर कोर्ट ने सरकार को हलफनामे के जरिए अपनी स्थिति स्पष्ट करने की डेडलाइन दी।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडापल्लीवार ने ‘लाड़ली बहन’ और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उनकी याचिका पर नागपुर बेंच के जस्टिस नितिन सांबरे और जस्टिस वृषाली जोशी की बेंच ने राज्य सरकार से अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा था। सरकार उस समय सीमा को पूरा नहीं कर पाई। इस पर नाराजगी जताते हुए बेंच ने सरकार को १५ जनवरी तक की डेडलाइन दी है। नई कल्याणकारी योजनाएं सरकार की राजकोषीय जिम्मेदारी के साथ-साथ बजट प्रबंधन अधिनियम में निर्धारित राजकोषीय मानदंडों का उल्लंघन करती हैं। याचिकाकर्ता वडापल्लीवार ने दावा किया है कि इन योजनाओं पर अत्यधिक खर्च असंवैधानिक है।

योजनाओं के नतीजों का ब्योरा मांगा
‘लाड़ली बहन’ जैसी योजनाओं पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया कि आवश्यक सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए धन कम पड़ रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने याचिकाकर्ताओं को योजनाओं के वित्तीय परिणामों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही याचिका में संशोधन की भी इजाजत दे दी।

फौजी बनने के बाद ही करेंगे शादी …बिहार के चिरियावां गांव के युवाओं की अजीबो-गरीब शपथ

सामना संवाददाता / पटना
बिहार के गया जिले का चिरियावां गांव युवाओं के जोश और जुनून के लिए जाना जाता है। इस गांव को ‘फौजियों का गांव’ के नाम से जाना जाता है। यहां के युवा केवल सैनिक बनने के लिए ही नहीं, बल्कि एक मजबूत संकल्प के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं। इस गांव के युवा शपथ लेते हैं कि जब तक वे फौज में नहीं जाएंगे, तब तक विवाह नहीं करेंगे। चिरियावां गांव के लोगों का सेना में जाने का जुनून इस गांव को अनोखा बनाता है। यह गांव चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है और यहां के हर घर में एक फौजी मिल जाएगा। चिरियावां गांव में १०० से अधिक लोग सेना में हैं, यहां के युवा फौजी बनने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। बता दें कि चिरियावां गांव में फौजियों के परिवारों का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के हर घर से कम से कम एक व्यक्ति फौजी है। कई परिवारों में तो तीन-चार पीढ़ियों से फौजी बनते आ रहे हैं। इस गांव में न केवल पुरुष, बल्कि अब महिलाएं भी सेना में जाने की राह पर हैं। यहां के लोग किसान भी हैं, लेकिन अधिकांश युवक और युवतियां सेना में करियर बनाने के लिए जी-जान से जुटे होते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि गांव की ही एक देवी माता के आशीर्वाद से लोगों को यह सफलता मिली हुई है। यहां के युवा दौड़ लगाने से पहले देवी माता के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर अपनी तैयारी में जुट जाते हैं। उनका मानना है कि देवी माता का आशीर्वाद ही उनकी सफलता का राज है। कुछ लोगों का कहना है कि यहां की परंपरा है कि जो भी युवक सेना में जाने का संकल्प लेता है, वह शादी से पहले फौज में शामिल होने की शपथ लेता है। हमारी सफलता का राज यही है कि हम देवी माता के आशीर्वाद के साथ कठिन मेहनत करते हैं। यहां रिटायर फौजियों की भी काफी तादाद है। रिटायर फौजियों का कहना है कि यहां के युवा अपनी कठिन मेहनत और देवी माता के आशीर्वाद से सेना में जाते हैं। हमारे गांव से केवल थलसेना ही नहीं, बल्कि नेवी और एयरफोर्स में भी लोग भर्ती हुए हैं। हम सभी का सपना है कि हमारे गांव से और अधिक फौजी निकलें और देश की सेवा में योगदान दें ।

 

 

मैं हूं घोड़ा, ये है गाड़ी…ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर हुई घोड़ागाड़ी की रेस

वीडियो हुआ वायरल तो पुलिस ने दर्ज किया केस
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई जैसे शहर में रात के वक्त सड़कों पर घोड़ागाड़ी की रेस लगाई जाती है। इसके लिए ईस्टर्न और वेस्टर्न एक्सप्रेस को चुना जाता है। हाल ही में घाटकोपर के पास ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर इसी तरह की रेस का आयोजन किया गया था। इस रेस का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
मिली जानकारी के अनुसार, पंतनगर पुलिस ने गत सोमवार तड़के ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर घोड़ागाड़ी दौड़ आयोजित करने के आरोप में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज की गई, जिसमें कांस्टेबल रविकिरण आव्हाड शिकायतकर्ता हैं। पुलिस आरोपियों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज का इस्तेमाल कर रही है। वायरल वीडियो में कथित तौर पर ६-८ घोड़ागाड़ियां दिखाई दे रही हैं, जिनके पीछे दर्जनों बाइक सवार चल रहे हैं और गतिविधि का समर्थन करते हुए दौड़ को रिकॉर्ड कर रहे हैं। घोड़ागाड़ियां हाईवे पर तेज रफ्तार से चलती देखी गर्इं। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, घटना सोमवार सुबह ३ से ४ बजे के बीच हुई। एक पुलिस सूत्र ने बताया कि घोड़ागाड़ी प्रतिभागी दौड़ शुरू होने से पहले तड़के ३ बजे घाटकोपर-पूर्व की समता कॉलोनी में पुलिस पेट्रोल पंप के पास एकत्र हुए थे। स्थानीय निवासियों द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया यह वीडियो इस टैगलाइन के साथ वायरल हुआ, ‘मुंबई पुलिस सोती रही, घुड़सवारी होती रही’। पंतनगर पुलिस स्टेशन के मिल्स स्पेशल ऑफिसर कांस्टेबल रविकिरण आव्हाड को व्हॉट्सएप पर यह वीडियो मिला। उन्होंने वरिष्ठ निरीक्षक को सूचित किया और उसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।

५० घोड़ों को बचाया
पेटा इंडिया ने कहा कि उसने ईस्टर्न और वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर कई अवैध घोड़ागाड़ी दौड़ को रोकने के लिए मुंबई पुलिस के साथ काम किया है। पेटा ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में इन प्रयासों से अवैध रूप से दौड़ या बग्घी की सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लगभग ५० घोड़ों को बचाया गया है। हालांकि, उन्होंने ऐसी दौड़ की सूचना देने में जनता के सहयोग के महत्व पर जोर दिया। ‘सार्वजनिक सूचना के आधार पर, हम इन घटनाओं को रोकने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ सहयोग करते हैं। जिन मामलों में पहले ही दौड़ हो चुकी है, हम एफआईआर दर्ज करवाने और दुर्व्यवहार किए गए घोड़ों को बचाने का काम करते हैं।

स्थानीय निवासियों द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया यह वीडियो इस टैगलाइन के साथ वायरल हुआ, ‘मुंबई पुलिस सोती रही, घुड़सवारी होती रही’।