मुंबई मनपा आयुक्त भूषण गगराणी का पीए बनकर ठगे 71 लाख रुपए!.. नासिक पुलिस के जाल में ऐसे फंसा शातिर ठग

सामना संवाददाता / मुंबई

मंत्रालय के तत्कालीन सचिव और मुंबई महानगरपालिका आयुक्त भूषण गगराणी का पीए होने का दिखावा कर 71.50 लाख रुपए की ठगी करने वाले प्रकाश धोंडू कदम को नासिक पुलिस की एंटी-गैंग स्क्वाड ने गिरफ्तार कर लिया है। लासलगांव के विंचूर फाटा इलाके में जाल बिछाकर पुलिस ने उसे चतुराई से हिरासत में लिया।
सरकारी नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी
संकेत शिवाजी कोटकर ने पंचवटी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद यह मामला सामने आया। साल 2023 में आरोपी प्रकाश कदम ने खुद को भूषण गगराणी का पीए बताते हुए बड़ी हस्तियों से जान-पहचान होने का दावा किया। उसने संकेत कोटकर और उनके साथियों को सरकारी नौकरी दिलाने का लालच देकर उनसे 71.50 लाख रुपए ठग लिए। 6 फरवरी 2025 को पंचवटी पुलिस स्टेशन में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस जांच और नाटकीय गिरफ्तारी
जैसे ही मामला दर्ज हुआ, पुलिस आयुक्त संदीप कर्णिक ने एंटी-गैंग स्क्वाड को आरोपी की तलाश के आदेश दिए। प्रकाश कदम ठाणे जिले के बदलापुर का निवासी है, लेकिन अपराध दर्ज होते ही वह फरार हो गया था।
वह कोल्हापुर, सोलापुर, अहिल्यानगर और संभाजीनगर जैसे इलाकों में छिपकर रह रहा था। आरोपी लगातार ठिकाने बदल रहा था, जिससे उसका पता लगाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन गुंडाविरोधी पथक के प्रभारी अधिकारी ज्ञानेश्वर मोहिते और उनकी टीम ने तकनीकी और मानव खुफिया जानकारी का उपयोग कर उसकी सही लोकेशन का पता लगाया। जैसे ही सूचना मिली कि आरोपी लासलगांव और निफाड़ इलाके में आने वाला है, पुलिस ने तुरंत जाल बिछाया और विंचूर फाटा में उसे पकड़ लिया। आगे की जांच पंचवटी पुलिस के पास है। गुंडाविरोधी पथक के अधिकारी विजय सूर्यवंशी, भूषण सोनवणे, गणेश भागवत और राजेश राठौड़ की टीम ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। 71 लाख की ठगी करने वाला यह ठग आखिरकार नासिक पुलिस के शिकंजे में आ चुका है और आगे की जांच पंचवटी पुलिस कर रही है।

कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे की बढ़ी चिंता…सजा पर स्थगन की सुनवाई टली!

राजन पारकर / मुंबई

कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को मिली दो साल की सजा पर स्थगन (स्टे) पाने के लिए उन्होंने सत्र न्यायालय में अपील की थी। वहीं उनकी सजा पर स्थगन न मिले, इस मांग के साथ हस्तक्षेप याचिका भी दायर की गई थी। आज इस मामले में फैसला आने की उम्मीद थी, लेकिन अब अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी।
30 साल पुरानी गलती पड़ी भारी
नासिक शहर के उच्चभ्रू इलाके में माणिकराव कोकाटे ने 30 साल पहले अल्प आय वर्ग के लिए आरक्षित फ्लैट लिया था। सिर्फ वे ही नहीं, बल्कि उनके भाई विजय कोकाटे, पोपट सोनवणे और प्रशांत गोवर्धने-इन चारों ने कनाडा कॉर्नर क्षेत्र में “निर्माण व्यू अपार्टमेंट” में मुख्यमंत्री कोटे से गरीबों के लिए बने फ्लैट हासिल किए थे।
तत्कालीन दिवंगत राज्य मंत्री तुकाराम दिघोले ने इस गड़बड़ी की शिकायत की थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस आवंटन की जांच की। इसी मामले में गुरुवार (20 तारीख) को नासिक न्यायालय ने माणिकराव कोकाटे और उनके भाई को दो साल की सजा और 50,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
सजा पर रोक के लिए अपील, लेकिन इंतजार लंबा
इस दो साल की सजा के खिलाफ माणिकराव कोकाटे ने जिला सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी। इसके बाद सजा पर रोक लगाने के लिए उनके वकीलों ने दलीलें दीं, वहीं सरकार पक्ष ने सख्त विरोध किया।
5 मार्च को अगली सुनवाई
इस मामले में अंजली दिघोले और शरद शिंदे ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर कर सजा पर स्थगन न देने की मांग की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय का फैसला अब 5 मार्च तक टल गया है। इस बीच हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वालों को उच्च न्यायालय जाने के लिए समय दिया गया है। अब देखना यह होगा कि 5 मार्च को न्यायालय क्या निर्णय सुनाता है।

विद्यालय का बाल दुग्धपान कक्ष बन गया है मदिरापान का अड्डा!..सरकारी विद्यालय में सीसी टीवी कैमरा लगाने का आदेश बना हवाई आदेश…उल्हासनगर मनपा में भी घट सकती है बदलापुर जैसी घटना

अनिल मिश्रा / उल्हासनगर

बदलापुर के विद्यालय में मासूम के साथ घाटी घटना की पुनरावृत्ति उल्हासनगर में भी घटित हो सकती है, जिसकी मिशाल उल्हासनगर महानगरपालिका विद्यालय के परिसर में बनाए गए बाल दुग्धपान हिरकनी कक्ष राम भरोसे चल रहा है। जिसे शराबीयो ने अपना अड्डा बना रखा है। बाल दुग्धपान मे शराब की बोतल के साथ अन्य सामान साफ दिखाई दे रही हैं। अब सवाल उठाने लगा है की दुग्धपान कक्ष में पुरुष को वर्जित है। उसमें शराब कैसे गई? कौन शराबी शराब की बोतल विद्यालय के अंदर के कक्ष में ले गया? विद्यालय प्रशासन व महानगरपालिका को चाहिए कि जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे, ऐसी मांग राकापा (शरदचंद्र पवार) पक्ष के विधार्थी सेल के अध्यक्ष नरेश गायकवाड ने किया है।
बता दें कि उल्हासनगर कैंप नंबर-3, फारवर लाइन परिसर में उल्हासनगर महानगरपालिका का विद्यालय क्रमांक 29 व 8 है। विद्यालय के बगल ही डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर महानगरपालिका का प्रतियोगिता परीक्षा या फिर अन्य प्रतियोगिता के लिए सर्व सुविधा से संपन्न वाचनालय है। वहां पर बालकों को माता दूधपान करा सके, इसके लिए दुग्धपान के लिए हिरकणी कक्ष बनाया गया है। इस कक्ष में दूध के बदले रात को दारू पीने का दौर शुरू है। इस बात का खुलाशा नरेश गायकवाड ने किया है। नरेश गायकवाड ने शुक्रवार को युक्त मामले की शिकायत विद्यालय प्रशासन के साथ ही महानगरपालिका की महिला आयुक्त मनिषा आव्हाले से की है।
नरेश गायकवाड ने बताया की महाराष्ट्र में इन दिनों महिलाओं के साथ छेडछाड़, बलात्कार जैसी घिनौनी घटना चरम पर बढ़ रही है। पुलिस प्रशासन से लेकर सरकार लाचार साबित हो रही है। इसके वावजूद मनपा प्रशासन ऐसे कृत्य को रोकने में जागरूक नहीं है। वाचनालय से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर पुलिस उपआयुक्त कार्यालय परिमंडल चार है। बगल मे ही मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन है। पुलिस प्रशासन के लिए यह घटना मुसीबत न बन जाय। इसके लिए पुलिस प्रशासन को आगे आने की जरूरत है।
इस विषय पर उल्हासनगर मनपा के जनसंपर्क अधिकारी अजय साबले से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए मोबाइल पर संपर्क किया गया, परंतु उन्होंने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दिए।

कार्रवाई के नाम पर कुर्ला एल वॉर्ड के दोहरे मापदंड से नागरिकों में आक्रोश…मनपा के राजस्व की खुलेआम लूट…खतरे में मजदूरों की सुरक्षा…आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने में भेदभाव

सामना संवाददाता / मुंबई

कुर्ला एल वॉर्ड में झोपड़पट्टियों में बिना किसी परमिशन के बनाए गए गेस्ट हाउस में आगजनी की घटनाएं बारंबार प्रकाश में आ रही थीं। इस अग्निकांड में पिछले तीन वर्षों में करीब 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया था। आयोग के आदेश के बाद साकीनाका, चांदीवली, कुर्ला-पूर्व, पश्चिम और पवई परिसर के गेस्ट हाउस पर कार्रवाई की गई है और अब मनपा इनके मालिकों पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया है। सहायक आयुक्त धनाजी हेर्लेकर ने बताया है कि पांच अवैध गेस्ट हाउस पर कार्रवाई की गई है, जबकि २२ अन्य की सूची कार्रवाई के लिए तैयार की गई है, लेकिन अब इसी तोड़क कार्रवाई पर सवालिया निशान उठ खड़ा हुआ है।
सामाजिक कार्यकर्ता और लॉ स्टूडेंट रूपेश रविढोने ने आरोप लगाया है कि पूरे कुर्ला में बिना किसी परमिशन के बहुमंजिली इमारतें बनाई जा रही हैं। इसमें मनपा के राजस्व के लाखों-करोड़ों रुपए की लूट हो रही है, जो अधिकारियों को जेब में चला जा रहा है। इसके अलावा मजदूरों की सुरक्षा भी राम भरोसे हो गई है, क्योंकि जल्दबाजी में मजदूरों को व्यापक सुरक्षा किट उपलब्ध नहीं कराई जाती है, जिसका ताजा उदाहरण वॉर्ड क्रमांक 168 में मनपा कार्यालय के ठीक पीछे मैच फैक्ट्री लेन में बनाई जा रही इमारत है, जिस पर कई बार तोड़क कार्रवाई की गई थी, जबकि मनपा ने ठेकेदार पप्पू जाफर पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं कराया है। इसी तरह साकीनाका, तुंगा गांव, पवई में भी बहुमंजिला इमारतें बनाई जा रही है। आपराधिक मामला न दर्ज करने से ठेकेदारों के हौसले बुलंद रहते हैं और वह कुछ दिनों बाद फिर उस निर्माण को अंजाम दे देते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता किरण राणे और लॉ स्टूडेंट रूपेश रविढोने ने मनपा और मुख्यमंत्री कार्यालय को ईमेल भेज कर शिकायत की है कि अदालत के आदेश पर मामला दर्ज कराना और अन्य पर न कराना मनपा का दोहरा मापदंड है। जिस पर रोक लगाया जाना चाहिए, क्योंकि न्याय व्यवस्था सबके लिए एक समान होनी चाहिए।

आईआईएम मुंबई ने प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी को दूसरे कार्यकाल के लिए निदेशक नियुक्त किया

सामना संवाददाता / मुंबई

भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई (आईआईएम) मुंबई) ने प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी को दूसरे कार्यकाल के लिए संस्थान के निदेशक के रूप में पुनः नियुक्त करने की घोषणा की है। उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2025 से प्रभावी होगा।
इसकी घोषणा करते हुए आईआईएम मुंबई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और ऑलकार्गो ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष शशि किरण शेट्टी ने कहा कि हमें आईआईएम मुंबई के निदेशक के रूप में प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी की पुनर्नियुक्ति पर बहुत गर्व और विश्वास है। उनके नेतृत्व ने संस्था को शिक्षा, अनुसंधान और वैश्विक मान्यता के क्षेत्र में उत्कृष्टता की अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रोफेसर तिवारी के दूरदर्शी दृष्टिकोण ने आईआईएम मुंबई की सफलता को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाई है और उनकी पुनर्नियुक्ति संस्था को इसके विकास के अगले चरण में ले जाने में उनकी मार्गदर्शन क्षमता में हमारे निरंतर विश्वास को दर्शाती है। हमें विश्वास है कि उनके मार्गदर्शन में आईआईएम मुंबई प्रबंधन शिक्षा में विकास करना जारी रखेगा, जो तेजी से परस्पर जुड़ी और डिजिटल दुनिया की चुनौतियों और अवसरों के अनुकूल होगा। अपनी पुनर्नियुक्ति के बारे में बोलते हुए प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी ने आगे की यात्रा के लिए अपना आभार और दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। एक संस्थान के रूप में हमने जो प्रगति की है वह अत्यंत पुरस्कृत करने वाली है और आईआईएम मैं मुंबई को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उत्सुक हूं।

बिहार प्रदेश के लिए बोझ बनी हुई है नीतीश सरकार…तेजस्वी ने मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर बधाई के साथ विदाई वाला दिया संदेश…आगामी विधानसभा चुनाव में एआई के माध्यम से चुनाव प्रचार की तैयारी में राजद

अनिल मिश्र / पटना

सन दो हजार चौबीस खत्म होते और सन दो हजार पच्चीस की सूर्योदय के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में किसके सिर ताज सजेगा, इसको लेकर सियासी कयास अभी से ही लगाए जा रहे हैं। हालांकि, चुनाव में अभी नौ माह देर है, फिर भी अभी से ही सभी प्रमुख नेता अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। एनडीए का दावा है कि इस वर्ष 2025 में फिर उनकी सरकार बनेगी तो वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का दावा है कि बिहार की जनता बीस साल से चल रहे नीतीश सरकार से ऊब गई है और इस बार प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। तेजस्वी यादव के इस दावे से सियासी हलचल तेज है। वहीं चुनाव से पहले बयानबाजियों का दौर भी जारी है। नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। तेजस्वी यादव लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार पर हमलावर हैं। इसी सिलसिले में एक बार फिर आज तेजस्वी ने एक्स पर पोस्ट कर बड़ा हमला बोला है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश सरकार अब बिहारवासियों के लिए बोझ बन गई है। बिहार के लोगों ने अब ठान लिया है कि उन्हें इस सराकर को हटाना है। वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश को जन्मदिन की बधाई भी दी। सोशल मीडिया पर उन्होंने एक लाइन के बधाई संदेश में लिखा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। तेजस्वी ने एक्स पर लिखा कि बिहार में पन्द्रह साल पुरानी गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि वो ज्यादा धुआं फेंकती है, प्रदूषण बढ़ाती, जनता के लिए हानिकारक है तो फिर एनडीए की बीस साल पुरानी जोड़-तोड़, पलटा-पलटी वाली खटारा सरकार क्यों चलेगी? बीस वर्षों की नीतीश सरकार ने विगत बीस साल में बिहार के हर गली-हर टोला-हर गांव में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध और पलायन रूपी भयंकर प्रदूषण फैला दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि नीतीश-भाजपा सरकार ने बीस वर्षों में दो पीढ़ियों का जीवन बर्बाद कर दिया। अब यह सरकार बिहारवासियों पर बोझ बन चुकी है। अब इसे बदलना अति आवश्यक है। बिहार के युवाओं ने ठान लिया है कि अब बीस साल पुरानी खटारा, जर्जर, बीमार और थकी हुई अविश्वसनीय नीतीश-एनडीए सरकार को हटा कर एक नई सोच, नए विजन, नए जोश और नयी दिशा वाली युवा एवं नौकरी-रोजगार व विकास कार्यों को समर्पित विश्वसनीय जुनूनी सरकार को लाना है तथा नया बिहार बनाना है।
वहीं बिहार का पिछला विधानसभा चुनाव कोरोना काल की पहली दस्तक के समय हुआ था। कोरोना के कारण लोग डरे और सहमे हुए थे। वहीं चुनावी सभाओं पर रोक या नियंत्रण की स्थिति भी लागू थी। उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने वर्चुअल प्रचार-रैलियों के मामले में सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को भी पीछे छोड़ दिया था। जदयू ने बाकायदा एक नियंत्रण कक्ष बनाकर इसपर काम किया था। इस बार विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल एक कदम आगे चल रहा है।इसी सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमले के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेनी शुरू कर दी है। इस मामले आधुनिक तकनीकों का उपयोग बिहार के राजनीतिक दल कर सकते हैं, यह पिछले विधानसभा चुनाव में सामने आया था। जदयू ने पिछले चुनाव में जदयू आनलाईन का प्रोजेक्ट लाया था। जदयू के मौजूदा कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने उस समय इसकी कमान संभाली थी। हर जिले के कार्यकर्ताओं का मोबाइल नंबर लेकर उन्हें इसके जरिए जोड़ा गया था, ताकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वर्चुअल संदेश चुनाव से पहले पार्टी में हर स्तर तक पहुंच जाए। यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहा था। वैसे वर्चुअल रैली तो भारतीय जनता पार्टी ने भी की थी, लेकिन उसका प्रयोग बिहार के स्तर से नहीं हुआ था। इस बार विधानसभा चुनाव आने के पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमाना आ चुका है। सोशल मीडिया माध्यमों से अपनी बात पहुंचाने का वर्चुअल प्रयोग अब उपयोग के रूप में स्थापित है। इसी को लेकर बार एआई पर प्रयोग किया जाना है। इस एआई के माध्यम से राष्ट्रीय जनता दल ने मीम्स, कार्टून और प्रचार के अन्य माध्यमों में एआई का प्रयोग शुरू कर दिया है।

भायंदर-पूर्व से युवक लापता

सामना संवाददाता / भायंदर

भायंदर-पूर्व के नवघर रोड स्थित जैन नगर के साईं कुसुम इमारत में रहने वाला 18 वर्षीय प्रमोद प्रदीप पहारी कल सुबह 6 बजे से रहस्यमय तरीके से गायब हो गया है। उसके माता-पिता ने नवघर पुलिस स्टेशन में उसके गायब होने की शिकायत दर्ज करा दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रमोद कल सुबह 6 बजे घर से निकलकर स्टेशन की तरफ जाता हुआ दिखाई दिया था, तब से उसका कोई पता नहीं चल रहा है। उसके परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। प्रमोद के बारे में किसी को कोई जानकारी मिलने पर मोबाइल क्रमांक 9930377899 पर संपर्क करने की अपील की गई है।

न्यायालय परिसर में लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों ने किया वृक्षारोपण

सामना संवाददाता / भायंदर

मीरा रोड स्थित नए न्यायालय परिसर में आज श्री एल आर तिवारी कॉलेज ऑफ लॉ के विद्यार्थियों द्वारा वृक्षारोपण कर पर्यावरण को साफ-सुथरा और सुंदर बनाने का संदेश दिया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों के साथ एडवोकेट महेश काबरा, एडवोकेट प्रवीण पाटील, एडवोकेट संतोष बागड़े, एडवोकेट आदेश पाटील, प्रोफेसर पूजा शिवहरे, एडमिन प्रवीण पांडे उपस्थित रहे। ज्ञातव्य है कि 8 मार्च से इस नवनिर्मित कोर्ट में कामकाज शुरू हो जाएगा।

२ साल में १५०० से ज्यादा लाडली बहनों की इज्जत तार-तार! … देवाभऊ का शक्ति कानून ठंडे बस्ते में? …महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमराई

वसीम अंसारी / मुंबई
महाराष्ट्र में एक चौंकानेवाला मामला सामने आया है, जिसमें बलात्कार की बढ़ती घटनाओं ने सभी को हैरान कर दिया है। राज्य में बढ़ते यौन अपराधों और छेड़छाड़ की घटनाओं के कारण यह सवाल उठने लगा है कि महाराष्ट्र में महिलाएं सुरक्षित हैं या नहीं?
महाराष्ट्र सरकार ‘लाडली बहन’ योजना के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रही है, लेकिन उनकी सुरक्षा का सवाल अब गंभीर होता जा रहा है। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की बढ़ती घटनाएं सरकार की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं। जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे चौंकानेवाले हैं। पिछले दो वर्षों में १,५०० से अधिक महिलाओं के बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं।

इससे यह स्पष्ट होता है कि महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं।
शक्ति कानून क्यों नहीं लागू कर रही है सरकार?
शक्ति कानून, जिसे महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में लाया गया था, आज भी केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इस मुद्दे को उठाते हुए महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भाजपा सरकार से मांग की कि शक्ति कानून को जल्द से जल्द महाराष्ट्र में लागू किया जाए, ताकि महिलाओं को न्याय मिल सके और दोषियों को फांसी की सजा हो।
शक्ति कानून क्या है?
महाराष्ट्र में शक्ति कानून को महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान लाया गया था। यह कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने और कठोर सजा सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था। इसे दिसंबर २०२० में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने प्रस्तावित किया था और २०२१ में महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद में पारित किया गया। इस कानून के तहत बलात्कार, एसिड अटैक और महिलाओं के खिलाफ अन्य गंभीर अपराधों के लिए सख्त सजा (यहां तक कि मौत की सजा) और तेजी से न्याय दिलाने के प्रावधान किए गए हैं। अब देखना यह है कि भाजपा सरकार इस कानून को कब लागू करती है और महाराष्ट्र की महिलाओं को सुरक्षा देने के अपने वादे को कब पूरा करती है।

 

‘स्वारगेट’ बलात्कारी की गिरफ्तारी!
स्वारगेट एसटी डिपो में हुए ‘निर्भया’ कांड के मुख्य आरोपी दत्तात्रय गाडे को पुणे पुलिस ने तीन दिन की मशक्कत के बाद गिरफ्तार कर लिया। गुणाट गांव के ग्रामीणों की मदद से ५०० पुलिसकर्मियों की टीम, डॉग स्क्वॉड और ड्रोन की सहायता से उसे ढूंढने का ऑपरेशन चलाया गया। गुरुवार देर रात करीब डेढ़ बजे गन्ने के खेत में छिपे गाडे को पकड़ लिया गया। पुलिस जांच में सामने आया है कि फरार रहने के दौरान गाडे ने तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इस बीच पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में घोषणा की कि इस मामले की सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में करवाई जाएगी।

सरकार जनता पर इस तरह के घटिया दर्जे का मंत्री लाद रही है तो ईश्वर ही जनता की मदद करे। बलात्कार बलात्कार ही होता है। मूर्खतापूर्ण बयान देने की बजाय बलात्कारी में दहशत पैâलाने जैसा व्यवहार करना चाहिए इसलिए उन्हें मंत्री पद से हटा देना चाहिए।
-आदित्य ठाकरे, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, युवासेनाप्रमुख व विधायक

कल अपने मंत्रियों को धैर्य और संवेदनशीलता के साथ बोलने की सलाह दी। मेरी राय में मंत्री योगेश कदम ने जो कहा, उसे अलग तरीके से लिया गया। वे केवल यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि जहां घटना हुई वह स्थान भीड़भाड़ वाला था। मेरी उन्हें सलाह है कि ऐसे मामलों में बोलते समय संवेदनशीलता बरतनी चाहिए।
-देवेंद्र फडणवीस,
मुख्यमंत्री

योगेश कदम और संजय सावकारे को मुख्यमंत्री को समझाना चाहिए। सरकार को दोनों का समर्थन नहीं करना चाहिए। दोनों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। क्या योगेश कदम युवती को झूठा साबित कर रहे हैं? यह रुख योगेश कदम का है या सरकार का, यह सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।
-विजय वडेट्टीवार,
कांग्रेस नेता

यदि भाजपा के लोगों को युवती पर अत्याचार सामान्य बात लगती है तो जनता को ऐसे लोगों को जवाब देना चाहिए। ऐसे लोगों को सड़क पर पीटना चाहिए। अगर भाजपा के लोगों को ऐसे अपराध सामान्य लगते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दे देनी चाहिए।
– संजय राऊत, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद

संपादकीय : व्यय निम्नस्तर पर …सरकार नहीं, आफत!

मौजूदा हुक्मरान इस बात का ढोल पीट रहे हैं कि उनके शासनकाल में महाराष्ट्र वैâसे देश में ‘नंबर वन’ बन गया। वे विपक्ष के इन आरोपों को झूठा कहते हैं, जिसमें विपक्ष का दावा है कि राज्य की आर्थिक स्थिति नाजुक है और सरकार की आर्थिक योजना बिगड़ गई है। लेकिन अब राज्य के वित्त विभाग की वेबसाइ ट ‘बीम्स’ पर जो जानकारी दी गई है, उसने सत्ताधारियों की सारी पोल खोलकर रख दी है। अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में वे जो ढोल पीट रहे थे वह फूट गया है। यह सरकार वर्ष २०२४-२५ के बजट में प्रदत्त निधि का ५० फीसद से अधिक खर्च नहीं कर पाई है। सरकार के अलग-अलग महकमों द्वारा मात्र ४३ फीसद राशि ही खर्च की गई है। यह जानकारी खुद राज्य सरकार ने दी है इसलिए यह साबित हो गया है कि विपक्ष के आरोप झूठे नहीं हैं, लेकिन सत्ता पक्ष के ही दावों में कोई दम नहीं है। महाराष्ट्र की आर्थिक गिरावट, जो तीन साल पहले राज्य में गैर-संवैधानिक सरकार के सत्ता में आने से शुरू हुई, विधानसभा चुनावों के बाद पाशविक बहुमत की सरकार आने के बाद भी नहीं रुकी है। बेहिसाब फिजूलखर्ची, कोई भी संतुष्ट नहीं, सत्ता में तीनों दलों के मुंह तीन अलग-अलग दिशाओं में हैं, कुल मिलाकर मौजूदा सरकार की तस्वीर कुछ इस तरह है। हालांकि, ऊपर से तीनों के गले आपस में मिले हुए हैं लेकिन,
तीनों के पैर मात्र
एक-दूसरे को गिराने के लिए आपस में गुंथे हुए हैं इसलिए चाहे वह पिछली गैर संवैधानिक सरकार हो या वर्तमान बहुमत वाली सरकार, यह महाराष्ट्र के लिए वित्तीय संकट बन गई है। इसीलिए बजट प्रावधान का आधा हिस्सा भी खर्च न कर पाने की गाज महाराष्ट्र पर गिरी है। बजट का मात्र ४३ फीसदी ही उपयोग पिछले पांच साल में सबसे कम है। क्या यही गिरावट मौजूदा शासकों की नजर में महाराष्ट्र ‘नंबर वन’ है? क्या देश की कुल आय में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी १५ प्रतिशत से घटकर १३ प्रतिशत हो जाना उन्हें विकास लगता है? राज्य पर आठ लाख करोड़ रुपए का कर्ज का बोझ बढ़ गया है। क्या उन्हें यह तीव्र आर्थिक प्रगति लगती है? अगले पांच साल में सरकार को करीब पौने तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना होगा। ऐसी सरकार के लिए जो बजट प्रावधान का केवल ५० प्रतिशत ही निधि दे सकती है और इसका केवल ४३ प्रतिशत ही खर्च कर सकती है, उस सरकार के लिए यह पुनर्भुगतान बिल्कुल असंभव है। यानी नए कर्ज लिए जाएंगे और उसे चुकाने के लिए कर्ज और कर्ज का दुष्चक्र चलता रहेगा। महाराष्ट्र पर
कर्ज का पहाड़
आठ लाख करोड़ तक जाने और राजकोषीय घाटे का गड्ढा दो लाख करोड़ के आस-पास होने की आशंका है। महाराष्ट्र ऐसे अजीब वित्तीय संकट में फंस गया है और मौजूदा शासकों के पास इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं है, क्योंकि इन्हीं आर्थिक नियोजनों की ऐसी-तैसी कर इसी मंडली ने राज्य को वित्तीय दिवालिएपन के कगार पर पहुंचा दिया है। अब कहते हैं कि वे राजस्व और पूंजीगत व्यय में ३० प्रतिशत की ‘बचत’ करेंगे। यह तो ऐसे ही हुआ नींद तब खुली जब चिड़िया चुग गई खेत। इससे फिर विकास कार्यों में देरी होगी। यदि वोट के लिए कुत्सित योजनाओं पर समय रहते ‘कटौती’ की जाती तो शासकों पर इस प्रकार ‘कटौती कर’ भरने की नौबत न आती। स्थिति इतनी भयावह होने के बावजूद सत्ताधारी दल लगातार झूठे दावे कर रहा है कि उन्होंने महाराष्ट्र को ‘नंबर वन’ बना दिया है और राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत है, लेकिन अब उनके ही वित्त विभाग के आंकड़ों ने इन झूठों के माथे पर बल डाल दिया है। खर्च के लिए बजट प्रावधान का मुश्किल से ५४ फीसद निधि देनेवाली और उसमें से केवल ४३ फीसद खर्च कर पांच वर्षों में व्यय के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने वाली यह सरकार, सरकार न होकर, एक वित्तीय आपदा है, जो महाराष्ट्र पर गिरी है!