द्रुप्ति झा / मुंबई
पहलगाम के आतंकी हमले ने मुंबई में रहनेवाले कश्मीरी पंडितों के जख्मों को एक बार फिर हरा कर दिया है। हमले में निर्दोष हिंदुओं की निर्मम हत्या से कश्मीरी पंडितों में आक्रेश व्याप्त हो गया है। इन कश्मीरी पंडितों ने कल मोर्चा निकालकर इस हमले की निंदा करते हुए आतंकियों और उनके आकाओं के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करते हुए दोषियों को मौत देने की मांग की है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में २०१९ के पुलवामा अटैक के बाद का यह सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है। मरने वालों में तीन विदेशी टूरिस्ट भी थे।
पीड़ित परिवारों के साथ
कश्मीरी पंडितों का कहना है कि इस कठिन घड़ी में वे पीड़ित परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों का दिल पीड़ित परिवारों के लिए रो रहा है। कश्मीरी पंडितों ने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि इस घटना की निष्पक्ष और गहन जांच करवाई जाए और ऐसे पुख्ता कदम उठाए जाएं, जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
कश्मीरी पंडितों ने घाटी में ऐसी ही हिंसा झेली थी!
पहलगाम हमले पर मुंबई में रहनेवाले कश्मीरी पंडितों में केंद्र सरकार के प्रति काफी आक्रोश है। उन्होंने आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। मुंबई में रह रहे कश्मीरी पंडित अजय कौल सारस्वत ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि इस हमले ने कश्मीरी पंडितों के पुराने जख्मों को फिर से हरा कर दिया है। ९० के दशक में उन लोगों को भी ऐसी ही नफरत और हिंसा का सामना करना पड़ा था। कश्मीरी पंडित इस आतंकी हमले से बेहद स्तब्ध और व्यथित हैं। उनका कहना है कि यह जघन्य हमला न केवल मानवता के विरुद्ध है, बल्कि यह दर्शाता है कि घाटी में हिंदुओं की सुरक्षा अभी भी एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। इस बर्बर कृत्य की कठोर शब्दों में निंदा की जा रही है और वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर कठोरतम सजा दी जाए। यह समय है कि पूरा देश आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर खड़ा हो और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी निर्दोष नागरिक को उसकी आस्था या पहचान के कारण निशाना न बनाया जाए।