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अक्षय तृतीया का दुर्लभ योग …कई वर्षों बाद रोहिणी नक्षत्र में आई तृतीया

पंडित कृष्णदेव शास्त्री
ज्योतिषाचार्य
संपर्क : ९९२३५४६४१९
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को युगादि पर्व का दर्जा प्राप्त है। इस दिन जप, तप, दान और पूजा का अक्षय पुण्यफल मिलता है। इस बार यह पावन पर्व ३० अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया तिथि का आगमन २९ अप्रैल को शाम ५:२९ बजे होगा, जो ३० अप्रैल की दोपहर २:१२ बजे तक रहेगी।
अक्षय तृतीया या आखा तीज भगवान विष्णु के प्रिय माह वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया को किए गए शुभ कार्यों से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और उनके पुण्य कभी समाप्त नहीं होते हैं।
इस बार अक्षय तृतीया ३० अप्रैल, बुधवार को है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया का दिन अबूझ मुहूर्त में से एक माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं।
अक्षय तृतीया पर खरीदारी को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग बहुमूल्य धातुओं जैसे सोने-चांदी की खरीदारी करते हैं। अबूझ मुहूर्त होने के चलते नई गाड़ी, नया घर, कपड़े आदि खरीदे जाते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और श्रीसूक्त या रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना शुभ होता है। अक्षय तृतीया के दिन पितरों के नाम से दान-पुण्य के कार्य मंगलकारी माने गए हैं। अगर संभव हो तो इस शुभ दिन पर गंगाजल में स्नान करें।
लोग अपने जीवन में सौभाग्य लाने के लिए अक्षय तृतीया मनाते हैं। आम धारणा के अनुसार, इस दिन सोना और संपत्ति खरीदने से भविष्य में समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर कई घटनाएं घटित हुईं, जिससे यह एक शुभ दिन बन गया।

 

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