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सत्यमेव जयते नहीं, सत्तामेव जयते! …सरकार ने योजनाओं का एनेस्थीसिया देकर सत्ता ऑपरेशन पूरा किया …उद्धव ठाकरे का भाजपा पर जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को प्रचंड बहुमत मिला है, लेकिन राज्य में उत्साह का माहौल नजर नहीं आ रहा। इस जीत पर खुद महायुति को भरोसा नहीं है। सत्ता स्थापना के लिए राजभवन में जाने की आवश्यकता थी, लेकिन अमावस्या के दिन खेत में पूजा करने की नौबत आ गई। ऐसा जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा और शिंदे पर किया।
उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी और सत्ता के लिए असीमित धन के खर्च को लेकर कहा कि ईवीएम को लेकर हर कोई सवाल उठा रहा है। चुनावों में सत्ताधारी दल ने पैसों का खुला खेल किया, जिसे पूरी दुनिया ने देखा। अब ‘सत्यमेव जयते’ नहीं, बल्कि सत्तामेव जयते का दौर चल रहा है। सरकार ने योजनाओं का एनेस्थीसिया देकर सत्ता का ऑपरेशन पूरा किया है। वे पुणे में डॉ. बाबा आढाव के आंदोलन में शामिल होकर समर्थन करने पहुंचे थे। इस दौरान उनके आग्रह पर बाबा आढ़ाव ने यह आत्मक्लेश आंदोलन खत्म किया।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि महायुति की जीत ईवीएम की करामात है। इसी कारण न तो जीतने वालों को जीत की खुशी है, न ही हारने वालों को हार का दुख। लोकतंत्र में मतदाता को यह जानने का अधिकार है कि उसका वोट कहां गया। वीवीपैट की रसीद तो मिलती है, लेकिन मशीन के अंदर क्या दर्ज होता है, यह भी स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग पुनर्गणना की मांग क्यों नहीं मान रहा है।

यह एक चिंगारी है, जो बड़ी आग में बदल सकती है!
उद्धव ठाकरे ने किया डॉ. बाबा आढाव का समर्थन

विधानसभा चुनावों में हुए पैसों के खेल और ईवीएम घोटाले के विरोध में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बाबा आढाव ने पुणे के महात्मा फुले वाड़ा में आत्मक्लेश आंदोलन शुरू किया था। कल शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर उनका समर्थन किया और उनसे आंदोलन खत्म करने की गुजारिश भी की।
इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह आंदोलन छोटा नहीं है, यह एक चिंगारी है, जो जल्दी ही बड़ी आग में बदल सकती है। ऐसी चेतावनी भी उन्होंने सरकार को दी। चुनावों में पैसों का दुरुपयोग खुलकर किया गया। खुद भाजपा महासचिव विनोद तावडे का वीडियो सबने देखा। इस दौरान अंतिम समय में ७६ लाख वोट बढ़ने का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने पूछा कि जब इतने वोट बढ़े, तो मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें क्यों नहीं दिखीं?
राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया?
उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि महायुति को प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद उन्हें खेतों में पूजा-अर्चना क्यों करनी पड़ी। विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बावजूद राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया गया? उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया कि महायुति को खुद भी भरोसा नहीं था कि वे सत्ता में लौटेंगे। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि महाविकास आघाड़ी की सरकार बनने पर तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, लेकिन इस बार ऐसा क्यों नहीं हुआ?
महाविकास आघाड़ी का आंदोलन
उद्धव ठाकरे ने कहा कि डॉ. बाबा आढाव जैसे तपस्वी व्यक्ति ने चुनाव में पैसों के दुरुपयोग और ईवीएम में गड़बड़ी के खिलाफ जो आत्मक्लेश आंदोलन शुरू किया, वह प्रेरणादायी है। इसलिए मैं इनका आशीर्वाद लेने आया हूं। इस आंदोलन का उद्देश्य जनता के अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि केवल ‘भारत माता की जय’ बोलने से काम नहीं चलेगा। महाविकास आघाड़ी के माध्यम से पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा करना होगा। जब आंदोलन होगा तो वे सभी लोग शामिल होंगे, जिन्हें लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह आंदोलन लोकतंत्र की रक्षा करेगा और महाराष्ट्र एक बार फिर देश को नई दिशा दिखाएगा। उद्धव ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए हम सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।

उपोषण खत्म करने का आग्रह
उद्धव ठाकरे ने बाबा आढाव से उपोषण खत्म करने की अपील की और कहा कि यह आंदोलन केवल उनका नहीं, बल्कि देश का आत्मक्लेश है। इसके बाद बाबा आढाव ने तीसरे दिन अपना अनशन समाप्त कर दिया। इस मौके पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार, प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील, शिवसेना नेता संजय राऊत, उपनेता सुषमा अंधारे, अधिवक्ता असीम सरोदे और पुणे शहर प्रमुख संजय मोरे जैसे प्रमुख नेता उपस्थित थे।

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