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सीएम की चाल से शिंदे को हाई टेंशन…ब्लड प्रेशर बढ़ा!… भाजपा तलाश रही है शिंदे गुट का विकल्प

रामदिनेश यादव / मुंबई

पिछले कुछ दिनों से महायुति में भाजपा और शिंदे गुट के बीच तनातनी चल रही है। शिंदे भाजपा के लिए धीरे-धीरे सर दर्द बन रहे हैं। ऐसा दवा भाजपा के कुछ नेताओं की ओर से किया जा रहा है। इसी के चलते भाजपा अब राजनीति में शिंदे का विकल्प तलाश रही है। शायद यही वजह है कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की ताज लैंड्स एंड होटल में मुलाकात हुई। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं (स्थानीय निकाय चुनाव) की पृष्ठभूमि में हुई इस अचानक मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात का मकसद स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन इस बैठक से उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का टेंशन हाई हो गया है। फडणवीस की इस चाल ने शिंदे को परेशानी में डाल दिया है। शिंदे गुट से फडणवीस का मोहभंग उनके लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। ऐसी आशंका शिंदे को सता रही है।
फडणवीस ने मनसे अध्यक्ष के साथ बैठक न तो मंत्रालय में, न वर्षा बंगले में की। एक होटल में हुई यह बैठक बहुत मायने रखती है। इतना ही नहीं, लंबे समय तक चली एकांत की बैठक को लेकर अब राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग चर्चाएं तेज हो गई हैं। भाजपा पर पिछले कुछ दिनों से शिंदे गुट भारी दबाव बना रहा है। आगामी मनपा और नगर निकाय सहित अन्य चुनावों को देखते हुए शिंदे गुट भाजपा से सीट शेयरिंग में बड़ी हिस्सेदारी चाहता है। शिंदे गुट कुछ मनपा में भाजपा में अलग होकर लड़ने का दम भर रहा है। ऐसे में भाजपा की मुसीबत बढ़ रही है। शिंदे गुट को पीछे धकेलने के लिए भाजपा अब उसका विकल्प तलाश कर रही है। फडणवीस की यह चाल शिंदे गुट को भारी पड़ सकती है।
बता दें कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिंदे गुट पर सरकार बनाने के साथ ही धीरे-धीरे शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। शिंदे सरकार के समय की कई योजनाओं पर उन्होंने रोक लगा दी है। एकनाथ शिंदे के पसंदीदा अधिकारियों का तबादला भी लगातार किया। दूसरी ओर, शिंदे गुट के मंत्रियों को उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की ओर से निधि देने में भी कंजूसी की गई। उससे मंत्री और विधायक नाराज हैं और एकनाथ शिंदे चिंता में हैं। लेकिन अब जब मनपा चुनाव आने वाला है तो भाजपा को झटका देने के लिए शिंदे गुट ए़ड़ी-चोड़ी का जोर लगा रहा है। शिंदे गुट के लिए भाजपा को दबाने का यह सही वक्त भी है। लेकिन फडणवीस की चाल शिंदे को फिर से जमीन पर ला सकती है।

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