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संडे स्तंभ : ‘महाराष्ट्र दिवस’ १ मई पर विशेष … मुंबई ऐसे बनी महाराष्ट्र की राजधानी

विमल मिश्र

मलबार हिल स्थित खूबसूरत राजभवन। ३० अप्रैल, १९६० की निर्णायक घड़ी भी आ पहुंची थी। नए राज्य के गठन की तैयारी पूरी थी। रामलाल की शहनाई, वासुदेव शास्त्री कोणकर के वेद मंत्रोच्चार व राज्यपाल श्रीप्रकाश के भाषण के साथ रात्रि ११.३० बजे मुख्य कार्यक्रम शुरू हुआ। ठीक १२ बजे का गजर होते ही प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नियोन नक्शे का अनावरण किया और राष्ट्रध्वज फहराने के साथ ही ‘बम्बई’ की कोख से भारत के नक्शे पर जन्म ले लिया ‘महाराष्ट्र’ नाम के एक नवोदित राज्य ने। इस अवसर को विशिष्ट बनाया वसंत देसाई के संगीत निर्देशन में सुरसम्राज्ञी लता मंगेशकर ने ज्ञानेश्वरी के ‘पसायदान’ के गान से। अगले दिन १२.३४ बजे मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण के नेतृत्व में नया मंत्रिमंडल शपथ के साथ पदारूढ़ हो गया।
जब मुंबई में होते थे महाराष्ट्र और गुजरात
२० नवंबर, १९५५ को नेहरूजी ने ऑल इंडिया रेडियो पर बम्बई को ‘एक अलग नगर राज्य’ घोषित करने की जैसे ही घोषणा की, रोष का लावा फूट पड़ा। दादर, लालबाग, परेल और काला चौकी में गोलीबारी से अगले दिन तनाव चरम पर पहुंच गया। ६ फरवरी, १९५६ को संयुक्त महाराष्ट्र परिषद ने बम्बई को राजधानी बनाकर मराठीभाषी राज्य महाराष्ट्र बनाने का अल्टीमेटम ‌दिया। परिषद का मानना था कि महज इसलिए कि मराठी भाषी तीन जगह पैâले हुए हैं इतिहास की गलती की सजा महाराष्ट्रवासियों को नहीं मिलनी चाहिए। यह गलती सिर्फ पृथक महाराष्ट्र का गठन करके ही सुधारी जा सकती है। गतिरोध खत्म करने के लिए जून, १९५४ में संबद्ध पक्षों की बैठक हुई। संयुक्त महाराष्ट्र परिषद के अध्यक्ष कांग्रेस नेता शंकरराव देव और सचिव डी.आर. गाडगील ने भरोसा दिलाया कि वे बम्बई के स्वयंभू चरित्र को बरकरार रखेंगे। उधर बॉम्बे सिटिजंस कमिटी एक ऐसा द्विभाषी राज्य बनाने पर अड़ी थी, जहां मराठी और गुजराती दोनों हों। बात के किसी अंजाम तक नहीं पहुंचने पर मामला चला गया राज्य पुनर्गठन आयोग के पास। अक्टूबर, १९५५ में आयोग ने अपनी ‌रिपोर्ट में संयुक्त महाराष्ट्र की मांग को खारिज कर दिया। सुझाव दिया गया कि मराठी भाषी कुछ जिलों को मिलाकर अलग विदर्भ जरूर बनाया जा सकता है, पर केंद्र के प्रत्यक्ष शासन के अधीन रहकर बम्बई राज्य का मौजूदा द्विभाषीय स्वरूप बरकरार रहना चाहि‌ए। नतीजतन, बम्बई स्टेट अब पहले से भी विशाल हो गया। इसमें नागपुर और मराठावाड़ा ही नहीं, सौराष्ट्र और कच्छ भी था।
सड़कों पर उतरा संघर्ष
इस बीच ‘मराठा’ में आचार्य अत्रे के विस्फोटक अग्रलेखों से उत्तेजित होकर संयुक्त महाराष्ट्र समिति और संयुक्त महाराष्ट्र परिषद के ध्वज तले लाखों की संख्या में किसानों, कामगारों, विद्यार्थियों और सामान्यजन ने बम्बई सहित मराठीभाषी क्षेत्रों के सम्मिलित प्रांत के लिए आंदोलन छेड़ दिया। संयुक्त महाराष्ट्र समिति की स्थापना ६ फरवरी, १९५६ को पुणे में केशवराव जेधे के नेतृत्व में की गई थी। समिति के प्रमुख नेताओं आचार्य अत्रे, प्रबोधनकार ठाकरे, सेनापति बापट, एस.एम. जोशी, श्रीपाद अमृत डांगे, नानासाहेब गोरे, भाई उद्धवराव पाटील, मैना गावंकर और वालचंद कोठारी में से लगभग सभी को जेल में डाल दिया गया। मुंबई के फ्लोरा फाउंटेन सहित प्रांत के कई हिस्सों में गोलियां चलने से १०७ लोगों को प्राणों की आहुति देनी पड़ी। मुंबई मनपा चुनावों में भी मुंह की खाने के बाद आखिरकार कांग्रेस लोकप्रिय मांग मानने को मजबूर हो गई। लाचार होकर केंद्र को मोरारजी देसाई से, जो बम्बई को महाराष्ट्र का अंग बनाने के सख्त खिलाफ थे, इस्तीफा लेकर यशवंतराव चव्हाण को बम्बई प्रांत की कमान सौंपनी पड़ी। सी.डी. देशमुख ने भी केंद्रीय वित्तमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। ४ दिसंबर, १९५९ को द्विभाषी प्रांत के निर्णय को निरस्त कर दिया गया। १ मई, १९६० को पुराने बम्बई प्रांत की राजधानी बम्बई नवगठित महाराष्ट्र राज्य की राजधानी बन गई। यशवंतराव चव्हाण ने उसके पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उधर महागुजरात आंदोलन के फलस्वरूप गुजरात, गुजराती-भाषी अलग प्रांत हो गया। गुजरात राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभाली डॉ. जीवराज मेहता ने। १ मई, १९६० को कोंकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ संभागों को जोड़कर महाराष्ट्र राज्य की स्थापना की गई। इनमें मूल बम्बई प्रांत में शामिल दमन तथा गोवा के बीच का जिला, हैदराबाद के निजाम की रियासत के पांच व मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण के आठ जिले तथा आस-पास की कई छोटी रियासतें शामिल थीं। राज्य पुनर्गठन के कारण बेलगांव व कारवार सहित एक बड़ा मराठीभाषी क्षेत्र कर्नाटक में ही रह गया।
देश की आर्थिक राजधानी
३५ जिलों से युक्त देश का तीसरा सबसे बड़ा महाराष्ट्र पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में कर्नाटक, दक्षिण-पूर्व में आंध्र प्रदेश और गोवा, उत्तर-पश्चिम में गुजरात और उत्तर में मध्य प्रदेश से घिरा हुआ है। महाराष्ट्र निवेश के लिहाज से सबसे संपन्न राज्य तो है ही, देश के सबसे धनी राज्यों में भी अपनी गणना करवाता है। इसका मुकुटमणि है देश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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