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तड़का : विश्व के गुरु… हो जाओ शुरू

 

कविता श्रीवास्तव
क्या सन २०४७ में भारत सचमुच में विश्वगुरु बन जाएगा? क्या हमारा देश अगले २२ वर्षों में सचमुच में उच्च आय वाला सबसे ब़ड़ी अर्थव्यवस्था वाला बन जाएगा? लक्ष्य तो यही है, क्योंकि २०४७ में हमारा देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरा कर लेगा। लेकिन क्या हम जुमलेबाजी और लच्छेदार भाषणों से लोगों को बहला-फुसलाकर दुनिया के अन्य मुल्कों से ऊपर पहुंच जाएंगे? नहीं न! इसके लिए समूचे भारत को साथ में लेकर चलना होगा। हमें जाति, संप्रदाय, धर्म के विवादों से ऊपर उठना होगा। भारत एक समय विश्वगुरु रहा है। भारत को `सोने की चिड़िया’ भी कहा जाता था। यहां वर्षों तक मुगलों ने और उसके बाद अंग्रेजों ने शासन किया। उन शासकों ने भारत की मूल संस्कृति, यहां के इतिहास, यहां की परंपराओं और रीति-रिवाजों को तहस-नहस करने के अनेक प्रयास किए। इन सबके बावजूद आज भारत अपनी विशिष्ट पहचान और मजबूती के साथ खड़ा है। हाल ही में बीते महाकुंभ में एक ही स्थान पर ६६ करोड़ लोगों ने एक भावना और समान आस्था के साथ डुबकियां लगार्इं। यह भारत की सांस्कृतिक, पौराणिक और सनातनी एकता का सबसे बड़ा प्रमाण है। लेकिन इन सबके बावजूद वैश्विक पटल पर भारत को आर्थिक रूप से शक्तिशाली देश बनाने की चुनौतियां हैं। विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि भारत को २०४७ तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए अगले २२ वर्षों में औसतन ७.८ प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता होगी और कई सुधार करने होंगे। प्रति व्यक्ति आय को वर्तमान स्तर से आठ गुना बढ़ाना होगा। अपने संसाधनों के पुनर्गठन को विस्तारित और तीव्र करना होगा। वर्तमान में हमारी तीन-चौथाई आबादी अभी भी खेती, पारंपरिक बाजार सेवाओं और निर्माण उद्योग पर निर्भर है। हमारी अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए सीमित खुली है, क्योंकि हम `आत्मनिर्भर भारत’ बनाना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को घरेलू उत्पादन व निजी निवेश बढ़ाने, भूमि व्यवस्था और श्रम बाजार सुधारने की जरूरत है। बेहतर नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता है, जबकि हकीकत यह है कि देश की बहुत बड़ी जनसंख्या बेरोजगारी की मार झेल रही है। कृषि क्षेत्र में हम चीन जैसी आधुनिकता से बहुत पीछे हैं। पर्यटन भी हमारे यहां उद्योग का दर्जा हासिल कर सकता है। यदि भारत सचमुच में प्रयास करे तो २०४७ तक देश की अर्थव्यवस्था २३ से ३५ ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। इस विकास में ८-१० प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर, बढ़ती श्रम शक्ति, तकनीकी प्रगति और प्रमुख उद्योगों के विस्तार पर फोकस करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, रसायन, ऑटोमोटिव और सेवाओं के क्षेत्र में प्रबल संभावनाएं हैं। परंतु आज देश में भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और निरक्षरता की समस्याओं को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती है। यदि हम सचमुच में विश्व गुरु बनना चाहते हैं तो जाति, संप्रदाय, राजनीतिक मतभेद पर ध्यान न देते हुए हमें सबको साथ लेकर देश के विकास और वृद्धि के लिए एक परिवर्तनकारी रोडमैप पर राष्ट्रीय भाव से पहल करनी होगी।

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