सामना संवाददाता / नई दिल्ली
यूरोपीय संघ का दोमुंहा चेहरा एक बार फिर सामने आया है। एक तरफ वह यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए रूस के खिलाफ लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए है। यही नहीं, वह यूक्रेन को हथियार देकर उसकी मदद भी कर रहा है, वहीं जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद यूरोपीय संघ ने भारत को शांति का ज्ञान दिया है। यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष और संघ की विदेश मामलों की उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत की सलाह दी है। यूरोपीय संघ की इस टिप्पणी के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का दो साल पहले दिया गया बयान फिर से वायरल हो गया है, जिसमें उन्होंने यूरोप को आईना दिखाया था।
विदेश मामले और सुरक्षा नीति पर यूरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने कल भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार से बात की थी। कल्लास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव चिंताजनक है। मैं दोनों पक्षों से संयम बरतने और स्थिति को बेहतर बनाने के लिए बातचीत का आग्रह करती हूं। तनाव बढ़ाने से किसी को कोई फायदा नहीं होता। मैंने आज डॉ. जयशंकर और इशाक डार से बात करके उन्हें यह संदेश दिए। ऐसे समय में जब यूरोपीय संघ को पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना चाहिए और उस पर आतंकवादियों पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाना चाहिए, वह भारत को शांति का ज्ञान दे रहा है। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने दो साल पहले ही यूरोपीय संघ को उसका असली चेहरा दिखाया था।
चीन पर दिया था सख्त जवाब
चीन के साथ जुड़े सवाल पर जयशंकर ने कहा था कि आज इस बारे में एक लिंक बनाया जा रहा है। चीन और भारत तथा यूक्रेन के घटनाक्रम में संबंध जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच जो कुछ हुआ है, वह यूक्रेन से काफी पहले हुआ। जयशंकर ने कहा कि हमारे चीन के साथ संबंध असहज हैं और हम इनके प्रबंधन में पूरी तरह से सक्षम हैं।