सामना संवाददाता / मुंबई
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीति का स्तर गिरा है। ऐसे में यदि राज्य में शांति और खुशहाली लानी है तो सत्ता परिवर्तन करना होगा। इस तरह का जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कहा कि वेश बदलकर दिल्ली जाने वाले नेता हारून अल रशीद के बेटे हैं।
दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संजय राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में नाटक, फिल्म, संगीत और राजनीति की महान परंपरा है। मराठी लोग मराठी नाटकों और परंपराओं को भी पसंद करते हैं इसलिए हमारे नए विष्णुदास बारामती से हैं। इसके लिए विष्णुदास इसलिए कहना पड़ेगा, क्योंकि विष्णु का १३वां अवतार दिल्ली में है और उनकी जो नाट्यकला सामने आई है, यह अभिनय, कला, निर्देशन के पीछे की पटकथा भी धीरे-धीरे सामने आएगी। लेकिन महाराष्ट्र को इस घटनाक्रम का आनंद लेना चाहिए। फिर वो एकनाथ शिंदे होंगे, जो अक्सर मौलवी के वेश में कई बार दिल्ली पहुंचते थे। पहले अहमद पटेल और फिर अमित शाह से मुलाकात की थी। उनके अपने ही कह रहे हैं कि उन्होंने उस रात कई वेश बदले थे। छगन भुजबल ने बेलगाम के सीमावर्ती इलाके में वेश बदलकर लड़ाई लड़ी और महाराष्ट्र को यह पसंद आया। उस भेष बदलने के लिए भुजबल ने लाठियां खाईं और जेल की सजा भी काटी। इस तरह से लोगों ने राष्ट्र और महाराष्ट्र के लिए ऐसी भूमिकाएं निभाई हैं, लेकिन पिछले ढाई साल में देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने ऐसी भूमिकाएं निभाई, जिनमें हारून अल रशीद की तरह दाढ़ी-मूंछ वाले नेता घूम रहे थे। यह सभी हारून अल रशीद के बेटे हैं। हारून अल रशीद नाम का एक व्यक्ति था, जो वेश बदलकर घूमता था और देखता था कि कहां क्या हो रहा है। इसी वजह से मैंने कल मांग की है कि राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह से खतरे में आ सकती है, इसका उत्तम उदाहरण एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ने देश के सामने पेश किया है।