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मानसिक रोगियों के पुनर्वसन पर राज्य सरकार साबित हुई फिसड्डी! …कानून का प्रभावी तरीके से नहीं हो रहा है पालन

-विपक्ष ने विप में उठाए सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य के मेंटल अस्पतालों में ठीक हुए मरीजों के पुनर्वसन को लेकर मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण नोडल एजेंसी के तौर पर नियुक्त है, जो मेंटल हेल्थ सर्विस एक्ट २०१७ का प्रभावी तरीके से पालन नहीं कर रहा है। ऐसे में समाज से तिरस्कृत मानसिक रोगियों का पुनर्वसन अभियान तो राज्य सरकार द्वारा चलाया गया, लेकिन वह फिसड्डी साबित हो रहा है। इस तरह का सवाल प्रश्नोत्तर के माध्यम से विपक्ष ने विधान परिषद में उपस्थित किया। विपक्ष के लिखित सवालों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि न केवल मेंटल एक्ट का सही तरीके से पालन किया जा रहा है, बल्कि ठीक हुए मानसिक रोगियों को भी समाज से जोड़ने के साथ ही उनके नौकरी से लेकर जरूरी सभी जरूरतों को पूरा करते हुए उनका पुनर्वसन किया जा रहा है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक सुनील शिंदे ने राज्य सरकार से सवाल पूछा कि क्या यह सच है कि मानसिक बीमारी से ठीक हुए रोगियों को उनके परिवार वाले स्वीकार नहीं करते है। इसके साथ ही उनके पुनर्वसन केंद्र का काम नहीं किया जा रहा है। इसीलिए हाई कोर्ट ने पुनर्वसन केंद्र शुरू करने का आदेश दिया। राज्य मानसिक स्वास्थ्य मानसिक बीमारी से उबरने वालों के लिए प्राधिकरण और पुनर्वास केंद्र महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने २०२४ के बीच निधि उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। विपक्ष ने सवाल किया है कि नोडल एजेंसी के तौर पर प्राधिकरण मानसिक स्वास्थ्य सेवा कानून २०१७ का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं कर रहा है। इसके साथ ही कोर्ट के आदेश के बाद भी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। स्वास्थ्य मंत्री तानानी सावंत ने लिखित जवाब में कहा है कि मानसिक बीमारी से ठीक हुए रोगियों को उनके परिवार वाले स्वीकार नहीं करते है। इसके लिए उनके लिए पुनर्वास केंद्र का काम नहीं किया जा रहा है।

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