पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार का दिमाग चल नहीं रहा है। अपना सारा समय राजनीति, षड्यंत्रों में बिताना और इस तरह के हमला होने के बाद नींद से जाग जाना। अब भी ऐसा ही हुआ है। केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान भगाने का अभियान शुरू किया; लेकिन जहां भाजपा सालों से सत्ता में है, वहां सबसे ज्यादा पाकिस्तानी पाए जा रहे हैं। ये तो तय है कि ये लोग इतने सालों से सोते रहे हैं। फिर जहां भाजपा की सत्ता नहीं है या सत्ता है, वहां मुस्लिम छात्रों, फल वालों, सब्जी वालों, कपड़ा व्यावसायियों, छोटे-बड़े व्यापारियों को पाकिस्तानी नागरिक कहकर परेशान करने के अभियान शुरू किए जा रहे हैं, जिसके चलते मूल पाकिस्तानी नागरिक, घुसपैठिए अलग रह गए; लेकिन कुछ अलग ही काम शुरू हो गए हैं। भाजपा के कार्यकाल में देश में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या बढ़ी है। हालांकि, पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान रवाना करने का अभियान शुरू कर दिया है। खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसे निर्देश दिए जाने के बाद हर राज्य से पाकिस्तानियों को भेजा जाना शुरू हो गया। रविवार शाम को जब समयसीमा समाप्त हो गई तो अंतिम क्षण तक सैकड़ों पाकिस्तानी नागरिकों को अटारी सीमा से उनके देश वापस भेज दिया गया, लेकिन इस समयसीमा बीतने के बाद भी हजारों पाकिस्तानी नागरिक देश में डेरा डाले हुए हैं, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। यह सही है कि पाकिस्तानी नागरिकों को देश से बाहर निकाल दिया गया, लेकिन इसके लिए पहलगाम जैसे हमले के इंतजार करने की क्या जरूरत थी, यह एक ऐसा सवाल है जो आम लोग पूछते हैं और यह गलत नहीं है। मूलत: हजारों पाकिस्तानियों को हिंदुस्थान में आकर क्यों रहना चाहिए और हमारे देश को उन्हें आने की अनुमति क्यों देनी चाहिए? हम
पाकिस्तान को दुश्मन राष्ट्र
मानते हैं न, फिर इतनी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिकों को क्यों वैध-अवैध तरीकों से देश के हर राज्य में आने दिया गया? फिर इनमें से कितने पाकिस्तानी नागरिकों के पास वीजा और अन्य वैध दस्तावेज हैं और कितने अवैध रूप से घुसपैठ कर हिंदुस्थान में रह रहे हैं, यह भी शोध का विषय है। हिंदुस्थान में रहनेवाले हजारों पाकिस्तानियों में सिंध प्रांत के कितने हिंदू और मुसलमान हैं, इसका भी बारीकी से सत्यापन किया जाना चाहिए। २७ अप्रैल की समयसीमा बीत जाने तक यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि इनमें से कितने पाकिस्तानी वापस आ गए हैं और कितने अभी भी देश में हैं। अगर हम अकेले महाराष्ट्र का उदाहरण लें तो हमारे राज्य में ५,०२३ पाकिस्तानी रह रहे थे। हालांकि, उनमें से कई को अब पाकिस्तान भेज दिया गया है, लेकिन ऐसी खबरें हैं कि महाराष्ट्र में रहनेवाले १०७ पाकिस्तानी नागरिक लापता हैं। इस बात पर विश्वास करना होगा, क्योंकि खुद राज्य के गृहमंत्री ने कहा है कि पुलिस ने इन १०७ पाकिस्तानी नागरिकों को बहुत खोजा, लेकिन वे नहीं मिले। लेकिन उनकी बातों पर गृहविभाग संभालनेवाले मुख्यमंत्री ने ही संदेह पैदा कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि कोई भी पाकिस्तानी लापता नहीं है। यानी गृह राज्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शिंदे कह रहे हैं कि १०७ पाकिस्तानी लापता हैं, जबकि मुख्यमंत्री फडणवीस इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। ऐसे संवेदनशील मामले में सरकार में एक राय नहीं होगी तो बात कैसे बनेगी? अगर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्री ही परस्पर विरोधी सूचनाएं दे रहे हों तो जनता किस पर भरोसा करे? जब सीमा पर सुरक्षा बलों का कड़ा पहरा था तो ये घुसपैठिए कैसे आ गए? देश के प्रधानमंत्री स्वयं को जनता का चौकीदार कहते हैं; लेकिन
सीमा में सुराख कर
पाकिस्तानी नागरिक, घुसपैठिए, उग्रवादी सीमा पार कर भारत में आ सकते हैं, देश के किसी भी राज्य में जा सकते हैं और यदि वे पहलगाम जैसे हमले और नरसंहार करने के बाद गायब हो रहे हैं तो देश की सरकार, गृह मामले और खुफिया एजेंसियां वास्तव में क्या कर रही हैं? महाराष्ट्र के ४८ शहरों में ५,०२३ पाकिस्तानी नागरिक रहते थे। इनमें से आधे से ज्यादा यानी २,४५८ पाकिस्तानी अकेले नागपुर शहर में पाए गए। नागपुर राज्य के मुख्यमंत्री का शहर है और यहां पर आरएसएस का मुख्यालय है। लेकिन जब नागपुर में ही २,५०० पाकिस्तानी रहते हों और लगभग ३० पाकिस्तानियों की किसी भी तरह की जानकारी पुलिस प्रशासन के पास न हो तो कहना होगा कि देश के साथ-साथ महाराष्ट्र की सुरक्षा भी रामभरोसे है। उपमुख्यमंत्री के ठाणे शहर में १,००० से अधिक पाकिस्तानी नागरिक रह रहे थे और उनमें से ३३ लापता हैं। राज्य के कुल ४८ शहरों में पाकिस्तानी नागरिक हाथ-पांव पसारे हुए हैं और वीजा खत्म होने के बाद या बिना वैध दस्तावेजों के यहां रह रहे हैं। क्या ये देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक नहीं है? यदि महाराष्ट्र में ५,००० से अधिक, राजस्थान में ३०,०००, छत्तीसगढ़ में २,०००, मध्य प्रदेश में २२८ और देश की राजधानी दिल्ली में ५,००० पाकिस्तानी रह रहे हैं तो यह देश की सुरक्षा के साथ एक बड़ा खेल है। असल में पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों से हजारों लोग अवैध रूप से भारत के कोने-कोने में वैâसे आ जाते हैं और रहते हैं? ये इतने आए कहां से? फिर पहलगाम हमले के बाद ही सरकार को हिंदुस्थान में रह रहे इन हजारों पाकिस्तानी नागरिकों की याद वैâसे आई? क्या सरकार के पास कोई जवाब है?