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उज्बेक सेक्स स्लेव और नर्क  …नसीबा का नसीब …कमरे में परिंदे के मानिंद तड़फड़ा रही थी

एम एम एस

२८ साल की नसीबा ने जब अपनी नौकरी का ऑफर देखा तो उसे लगा जैसे उसका नसीब जाग गया है। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर हिंदुस्थान की राजधानी दिल्ली के मसाज पार्लर के लिए उज्बेकिस्तान की लड़कियों की भारी वैकेंसी देखकर वह खुश हो गई थी। उसे अपने देश में मसाज पार्लर में काम करने का अच्छा भला एक्सपीरियंस था। उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद से नई दिल्ली पहुंचने में उसे तकरीबन ३ घंटे लगे थे। नसीबा टूरिस्ट वीजा पर हिंदुस्थान पहुंची थी। उसे जिस होटल के कमरे में ठहराया गया था, वहां पर कुछ अन्य उज्बेक लड़कियां भी थीं, जो उज्बेकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों से पहुंची थीं। दूर देश में अपने देश के लोगों को देखकर उसे अच्छा लग रहा था। उन्होंने आपस में खूब सारी बातचीत की और सभी की आंखों में भविष्य का हसीन सपना चमक रहा था।
२ दिन बाद उन्हें साउथ दिल्ली के एक फ्लैट में भेज दिया गया। कमरे काफी छोटे थे। यहां पर एक कमरे में ३ महिलाएं थीं, उसके साथ। इसी बिल्डिंग में कुछ आलीशान कमरे भी बने हुए थे। मसाज पार्लर। नसीबा को बताया गया कि उसे इन्हीं मसाज पार्लर में अपनी सेवाएं देनी होंगी। दोपहर के वक्त जब नसीबा को तैयार किया गया और उस कमरे में मसाज सर्विस के लिए भेजा गया तो वह खुशी-खुशी चली गई। मसाज उसके लिए कोई नया काम नहीं था, लेकिन उस कमरे में एक पुरुष को देखकर वह चौंक गई। उसे बताया गया था कि उसे महिलाओं को सर्विस देनी है। नसीबा को लगा कि शायद वह किसी गलत कमरे में आ गई है। उसने कमरे से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन पलक झपकते ही उस व्यक्ति ने उसे लगभग घसीटते हुए बेड पर धकेल दिया और दरवाजा बंद कर दिया। उसने अपना गाउन उतारते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया। नसीबा ने उसकी पकड़ से छूटने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रही। उसने चिल्लाने की कोशिश की तो व्यक्ति ने पास में पड़े बेल्ट को उसके शरीर पर लहरा दिया। नसीबा की चीख निकल पड़ी, उसके शरीर पर दाग उभर आया। उसके आंसू बह रहे थे। कमरा साउंड प्रूफ था इसलिए बाहर उसकी कोई चीखें नहीं सुन पा रहा था। उस कमरे में वह परकटे परिंदे की माफिक फड़फड़ा रही थी।
उसे इस बात का इल्म ही नहीं कि था इस कमरे में उसके कितने घंटे बीत गए थे। जब कमरे से बाहर निकली तो लगभग रात ढल चुकी थी। वह जैसे-तैसे अपने फ्लैट के कमरे में पहुंची। लीरा और इफोरा दोनों उससे पहले वहां पर थीं। उम्र में नसीबा उनसे छोटी थी। उसे रोते देखकर दोनों का दिल बस पसीज गया। लीरा दो बच्चों की मां थी। और सोशल मीडिया में जॉब ऑफर के चलते दिल्ली पहुंची थी। इफोरा मेडिकल वीजा पर आई थी। वे दोनों जानती थीं कि नसीबा पर किस तरह के जुल्म ओ सितम ढाए गए होंगे। जब इफोरा ने बताया कि १७ साल की उम्र में उसे किस तरह लाया गया था और उसे एक बच्चा है, जिसके दिल में छेद है तो नसीबा का रोना थम गया। उसे इफोरा पर दया आने लगी थी। वह जज्बाती होकर आवेश में कहने लगी, ‘क्यों ना हम लोग यहां से भाग कर अपने देश लौट जाएं?’
जारी
लीरा ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा ‘ऐसी बातें मत बोलो अगर उन्होंने तुम्हारी बातें सुन लीं तो वे तुम्हारी जिंदगी नरक बना देंगे… हो सकता है तुम्हारा कत्ल भी कर दें।’
इस बीच उस कमरे की चौथी महिला रहीमा भी आ गई। उसने बताया कि कस्टमर को मना करने या भागने की कोशिश करने पर उसे किस कदर पीटा गया था। उसका मानना था कि उनके लिए लोकल लैंगुएज की जानकारी नहीं होना सबसे तकलीफ देह बात है।’ उस रोज तो नसीबा चुप हो गई, लेकिन मन ही मन उसने तय कर दिया था कि वह किसी भी हालत में इस नर्क से छुटकारा पाकर ही रहेगी।
कुछ महीनो के बाद वे सभी लोग मौका देखकर भाग निकले और चाणक्यपुरी स्थित उजबेकिस्तान एंबेसी पहुंचने में सफल रहे, लेकिन बदकिस्मती से पहचान का कोई वैध दस्तावेज नहीं होने के कारण वे एंबेसी परिसर में एंट्री नहीं कर पाए, लेकिन कहते हैं न हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा। इन औरतों को मददगार के तौर पर एम्पॉवरिंग ह्यूमैनिटी एनजीओ के सदस्य मिल गए। एनजीओ की मदद के चलते दिल्ली पुलिस ने किडनैपिंग, तस्करी, आपराधिक षड्यंत्र, जबरन वसूली समेत कई धाराओं में चाणक्यपुरी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया। कुछ समय बाद पुलिस ने अंतर्राष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया। बचाई गई कई महिलाओं में से एक में पुलिस को बताया कि दिल्ली पहुंचने के बाद उसे एक ऐसी जगह ले जाया गया, जिसका नाम वह नहीं जानती। उसने बताया, ‘मेरे कमरे का दरवाजा हमेशा बंद रहता था। हमें बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। अगर हम जाते थे तो साथ में दलाल रहते थे। वे हमें ड्रग्स देते थे और मना करने पर जबरन देते थे। कुछ ग्राहकों ने भी उन्हें ड्रग्स दिया था। वो समय ऐसा था, जब १० आदमी सेक्स करते थे।’ इन उज्बेक सेक्स स्लेव्स की खुशकिस्मती यह थी कि नसीबा के सहासिक कदम के चलते ह्यूमन ट्रैफिकर्स के चंगुल से ब्ाचने में कामयाब हो गईं। ऐसी कितनी ही अनगिनत सेक्स स्लेव्स हैं, जो झूठे दिलासों और वादों के चलते दुनिया भर में सेक्स स्लेव्स के तौर अपनी जिंदगी नर्क में गुजारने को मजबूर हैं।

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