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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के हवाले है विदिशा का मॉडल औषधालय… राष्ट्रीय आयुष मिशन की जमकर फजीहत…हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में नहीं सुविधाएं

दीपक तिवारी  / विदिशा

एक तरफ केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति पर मरीजों का विश्वास कायम करने और उनको इलाज की अच्छी से अच्छी सुविधाएं मुहैय्या कराने के लिए कई योजनाएं भारी भरकम बजट के साथ स्वीकृत कर रही है तो वहीं आयुष विभाग की उदासीनता सब पर भारी पड़ रही है। मरीजों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और स्वास्थ्य योजनाएं कागजों में चलती दिखाई दे रही हैं। आलम यह है कि राष्ट्रीय आयुष मिशन नई दिल्ली की टीम द्वारा चयनित विदिशा जिले का मॉडल औषधालय पीकलोन पिछले दो महीने से डॉक्टर विहीन है और औषधालय चतुर्थ श्रेणी महिला कार्यकर्ता के हवाले है। आयुष विभाग को न तो सरकार के निर्देशों की परवाह है और न मरीजों की चिंता है, जबकि चिकित्सक और कर्मचारी हर महीने पगार के रूप में शासन से मोटी रकम और अन्य सुविधाएं ले रहे हैं।
14 औषधालयों का तीन वर्ष पूर्व हुआ था उन्नयन
मध्य प्रदेश सरकार के आयुष विभाग ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत एमपी के समस्त जिलों में संचालित शासकीय आयुर्वेद औषधालयों में से कुछ औषधालयों का उन्नयन कर ग्रामीण जनता को गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेद, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा की सुविधाओं को देने का सराहनीय क़दम उठाया था, इसी के तहत विदिशा जिले में संचालित 36 आयुष औषधालयों में से 14 आयुष औषधालयों का उन्नयन कर 3 वर्ष पूर्व हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) स्वीकृत किया गया।लेकिन विभाग की उदासीनता के चलते आज तीन वर्ष बाद भी किसी भी एचडब्ल्यूसी औषधालय में निर्धारित चिकित्सा सेवा शुरु नहीं की जा सकी।
मॉडल औषधालय में नहीं लगी डॉक्टर की ड्यूटी
जिला आयुष विभाग की उदासीनता और बेफिक्री देखिए कि जिस औषधालय को नई दिल्ली की टीम ने मॉडल बनाया, आज वही माडल औषधालय पीकलोन चिकित्सक विहीन है। औषधालय की संविदा डॉक्टर दर्शना रघुवंशी का चयन स्थाई डॉक्टर में होने के कारण वे 4 नवंबर से 3 महीने के प्रशिक्षण पर गई हैं और उनका कार्यभार एक महिला कार्यकर्ता को दे दिया गया, जबकि मॉडल औषालय होने के कारण यहां किसी डॉक्टर की ड्यूटी लगाना थी। 3 दिन के लिए गंजबासौदा के कंपाउंडर की ड्यूटी लगाई गई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयुष विभाग की उदासीनता विदिशा जिले में किस कदर है और कोई देखने वाला नहीं है।
जबकि बासौदा औषधालय के डॉक्टर की ड्यूटी लटेरी के पास मुरारिया औषधालय में सप्ताह में 2 दिन लगाई गई है और कुल्हार औषधालय के डॉक्टर की ड्यूटी बामौरीशाला औषधालय में सप्ताह में 2 दिन लगाई गई है। इसी तरह उदयपुर औषधालय के डॉक्टर की ड्यूटी सप्ताह में 2 दिन सिरोंज औषधालय में लगाई गई है, लेकिन मॉडल एचडब्लूसी पीकलोन औषधालय में किसी डॉक्टर की ड्यूटी नहीं लगाकर आयुष की विभागीय योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है।
प्रशिक्षण के बाद भी शुरू नहीं हुई पंचकर्म सुविधा
पीकलोन औषधालय के दो कर्मचारियों को एक वर्ष पहले पंडित खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय भोपाल में पंचकर्म कार्यों का विधिवत प्रशिक्षण दिया जा चुका है, इसके बाद भी पंचकर्म सुविधा आज तक शुरू नहीं की जा सकी, जबकि कर्मचारी इन सेवाओं के नाम पर सरकार से मोटा वेतन हर महीने ले रहे हैं।
सामान्य चिकित्सा सुविधा उपलब्ध-डॉ, दिनेश अहिरवार
इस संबंध में जिला आयुष अधिकारी डॉ. दिनेश अहिरवार का कहना है कि मॉडल औषधालय पीकलोन में कंपाउंडर की ड्यूटी लगाकर सामान्य चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। डॉक्टर के प्रशिक्षण से लौटने अथवा नई पोस्टिंग के बाद ही पीकलोन में डॉक्टर की सेवा मिल सकेंगी, क्योंकि जिले में चिकित्सकों की कमी है। उन्होंने स्वीकार किया कि मरीजों को पंचकर्म सुविधा कुछ माह से उपलब्ध नहीं है।

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