-मनपा से लेकर केंद्र सरकार की खुली नींद
-जीका के लिए जारी हुई गाइडलाइन
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले तीन महीने से पुणे, नगर और कोल्हापुर में जीका वायरस के मरीज मिल रहे थे। इसके बावजूद राज्य की घाती सरकार की तरफ से इसे नजरअंदाज किया गया। यही नजरअंदाज अब घाती सरकार के जी का जंजाल बन गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रदेश में इस साल अब तक कुल आठ केस मिले हैं। इसके साथ ही न केवल मुंबई मनपा और शिंदे सरकार, बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की भी नींद भंग हुई है। साथ ही जीका वायरस की भयावहता को देखते हुए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के साथ ही सभी राज्यों को गाइडलाइन जारी किया है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में जीका का पहला मामला जुलाई २०२१ के दौरान मिला था। तब से लेकर अब तक राज्य में जीका के कुल २९ मामले सामने आए हैं, जिनमें से ८ मामले २४ मई से अब तक मिले हैं। इस साल मई महीने के दौरान कोल्हापुर, नगर में क्रमश: एक-एक जून व जुलाई के बीच पुणे में छह मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जीका मच्छरों से पैâलने वाली एक वायरल बीमारी है। यह मुख्य रूप से एडीज मच्छर द्वारा प्रसारित वायरस के कारण होता है, जो दिन के दौरान काटता है। जीका वायरस फ्लेविवायरस जीनस से संबंधित है और एडीज मच्छर द्वारा पैâलता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस के संक्रमण से शिशु का जन्म माइक्रोसेफली और अन्य जन्म दोषों के साथ हो सकता है, जिसे जन्मजात जीका सिंड्रोम कहा जाता है।
ये हैं लक्षण
जीका से संक्रमित अधिकांश रोगियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। यह आमतौर पर डेंगू के समान होते हैं। इससे संक्रमित मरीजों में बुखार, शरीर पर दाने, आंखों में जलन, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और २ से ७ दिनों तक रहते हैं। जीका के मामले में अधिकांश मामलों में मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है साथ ही इसमें मृत्यु दर नगण्य है।
केंद्र का सभी राज्यों को एडवाइजरी
महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों का पता चलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की जांच और जीका से संक्रमित गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के विकास की निगरानी के जरिए लगातार नजर रखने को कहा है। एडवाइजरी में राज्यों को रेसिडेंशियल एरिया, वर्कप्लेस, स्कूल, कंस्ट्रक्शन साइट, इंस्टीट्यूशन और हेल्थ पैâसिलिटी वाली जगह पर निगरानी को मजबूत करने और वेक्टर कंट्रोल एक्टिविटीज को तेज करने के लिए कहा गया है।