– रेलवे को नहीं पता, हादसा क्यों हुआ?
-जीआरपी बोली, तीव्र मोड़ पर बिगड़ा बैलेंस
ब्रिजेश पाठक / मुंबई
रविवार की छुट्टी का आनंद लेकर सोमवार को रोज की तरह लोग अपने दफ्तर जाने के लिए निकले थे, लेकिन कुछ यात्रियों का यह सफर मौत का सफर बन गया। मध्य रेलवे के मुंब्रा स्टेशन के पास तीव्र मोड़ पर अचानक तेज रफ्तार से कसारा की तरफ जाने वाली एक लोकल आई, जिससे बगल से गुजर रही दूसरी लोकल के दरवाजे पर लटक रहे यात्रियों को तेज हवा का झोंका लगा। हवा का यह झोंका इतना तेज था कि उसकी वजह से लोकल ट्रेन से करीब १३ यात्री एक के बाद एक पटरियों पर गिर गए। इस हादसे में ४ यात्रियों की जान चली गई, जबकि ९ यात्री घायल हो गए। इस हादसे पर रेलवे अधिकारी कन्फ्यूज नजर आए और वे संभावना जता रहे थे कि एक लोकल के यात्री सामने से कसारा की तरफ जाने वाली लोकल से टकराकर गिरे होंगे। मगर दो लोकल ट्रेनों में फासला रहता है, ऐसे में इसकी संभावना काफी कम है।
अचानक लगता है झटका
जीआरपी के एक अधिकारी ने बताया कि यह तीव्र घुमावदार मोड़ है, जहां गेट पर खड़े यात्री अचानक झटका महसूस करते हैं। पीक समय में लोग गेट पर लटक कर यात्रा करते हैं, जो इस मोड़ पर अधिक खतरनाक साबित होता है।
बदलते रहे बयान
गौरतलब है कि हादसे के कारण को लेकर रेलवे के अधिकारी स्पष्ट नहीं थे। मध्य रेलवे के अधिकारी के बयान पल भर में बदलते जा रहे थे। पहला कारण बताया गया कि मुंब्रा व दिवा के बीच तीव्र घुमावदार मोड़ है, जहां लोकल के तेजी से गुजरने पर झटका लगता है और संतुलन बिगड़ता है।
उल्टी हो सकती है कारण
दूसरा कारण उल्टी का बताया गया। इसके अनुसार, खचाखच भरी हुई कोच में किसी यात्री ने उल्टी कर दी, जिस वजह से लोग जगह बनाने लगे और गेट पर लटके यात्रियों का संतुलन बिगड़ा और वह गिर पड़े। इसके अलावा यात्रियों के आपसी झगड़े को भी एक कारण बताया गया है।
लोकल ट्रेनों के यात्रियों के टकराने से हुआ हादसा!
कल मुंब्रा में हुए रेल हादसे ने रेलवे की लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया है। मुंबई में आए दिन रेल हादसों में रेल यात्रियों की जानें जाती रहती हैं, पर यात्री सुरक्षा के नाम पर कुछ खास नजर नहीं आता। मध्य रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि इस घटना की औपचारिक जांच शुरू कर दी गई है। ‘यह दुर्घटना मुंब्रा के पास दो गुजरती लोकल ट्रेनों में दरवाजे पर लटके यात्रियों के टकराने के कारण हुई।’ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस मोड़ पर जोखिम को समझते हुए यहां अतिरिक्त सुरक्षा बल हमेशा तैनात रहते हैं, क्योंकि यह एक संभावित दुर्घटना क्षेत्र है। यह दुर्घटना ट्रेनों के दरवाजों पर लटक रहे यात्रियों के टकराने की वजह से हुई।’
पटरी पार न करें
यात्रियों को पटरी पार न करने के लिए जागरूक करते हैं, फिर भी भीड़ बनी रहती है। इस भीड़ को कम करने के लिए कार्यालय समय में बदलाव एक विकल्प हो सकता है, ऐसा रेलवे ने अदालत को बताया था।
कार्यालय का समय बदलें
यदि रेलवे हादसे रोकने हैं, तो स्कूल, कॉलेज और बैंकों के कार्य समय में बदलाव करना होगा, ऐसी अपील पश्चिम रेलवे ने उच्च न्यायालय से की है। इसके लिए न्यायालय से राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
प्रयास सफल नहीं होते
हम दुर्घटनाएं रोकने के लिए अनेक उपाय और जनजागरूकता अभियान चलाते हैं, लेकिन यात्रियों के सहयोग के बिना हमारे प्रयास सफल नहीं हो पाते और दुर्घटनाएं रोकने में कठिनाई होती है। सुबह ७ बजे से ११ बजे और शाम ६ बजे से रात ९ बजे तक लोकल में भारी भीड़ रहती है। इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हम सभी प्रयास करते हैं। लोकल समय पर छोड़ते हैं।