मुंब्रा स्टेशन के मोड़ पर हवा के झोंके में उड़े १३ लोकल यात्री!..४ की गई जान, ९ घायल

– रेलवे को नहीं पता, हादसा क्यों हुआ?

-जीआरपी बोली, तीव्र मोड़ पर बिगड़ा बैलेंस

ब्रिजेश पाठक / मुंबई

रविवार की छुट्टी का आनंद लेकर सोमवार को रोज की तरह लोग अपने दफ्तर जाने के लिए निकले थे, लेकिन कुछ यात्रियों का यह सफर मौत का सफर बन गया। मध्य रेलवे के मुंब्रा स्टेशन के पास तीव्र मोड़ पर अचानक तेज रफ्तार से कसारा की तरफ जाने वाली एक लोकल आई, जिससे बगल से गुजर रही दूसरी लोकल के दरवाजे पर लटक रहे यात्रियों को तेज हवा का झोंका लगा। हवा का यह झोंका इतना तेज था कि उसकी वजह से लोकल ट्रेन से करीब १३ यात्री एक के बाद एक पटरियों पर गिर गए। इस हादसे में ४ यात्रियों की जान चली गई, जबकि ९ यात्री घायल हो गए। इस हादसे पर रेलवे अधिकारी कन्फ्यूज नजर आए और वे संभावना जता रहे थे कि एक लोकल के यात्री सामने से कसारा की तरफ जाने वाली लोकल से टकराकर गिरे होंगे। मगर दो लोकल ट्रेनों में फासला रहता है, ऐसे में इसकी संभावना काफी कम है।
अचानक लगता है झटका
जीआरपी के एक अधिकारी ने बताया कि यह तीव्र घुमावदार मोड़ है, जहां गेट पर खड़े यात्री अचानक झटका महसूस करते हैं। पीक समय में लोग गेट पर लटक कर यात्रा करते हैं, जो इस मोड़ पर अधिक खतरनाक साबित होता है।
बदलते रहे बयान
गौरतलब है कि हादसे के कारण को लेकर रेलवे के अधिकारी स्पष्ट नहीं थे। मध्य रेलवे के अधिकारी के बयान पल भर में बदलते जा रहे थे। पहला कारण बताया गया कि मुंब्रा व दिवा के बीच तीव्र घुमावदार मोड़ है, जहां लोकल के तेजी से गुजरने पर झटका लगता है और संतुलन बिगड़ता है।
उल्टी हो सकती है कारण
दूसरा कारण उल्टी का बताया गया। इसके अनुसार, खचाखच भरी हुई कोच में किसी यात्री ने उल्टी कर दी, जिस वजह से लोग जगह बनाने लगे और गेट पर लटके यात्रियों का संतुलन बिगड़ा और वह गिर पड़े। इसके अलावा यात्रियों के आपसी झगड़े को भी एक कारण बताया गया है।
लोकल ट्रेनों के यात्रियों के टकराने से हुआ हादसा!
कल मुंब्रा में हुए रेल हादसे ने रेलवे की लापरवाही को फिर से उजागर कर दिया है। मुंबई में आए दिन रेल हादसों में रेल यात्रियों की जानें जाती रहती हैं, पर यात्री सुरक्षा के नाम पर कुछ खास नजर नहीं आता। मध्य रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि इस घटना की औपचारिक जांच शुरू कर दी गई है। ‘यह दुर्घटना मुंब्रा के पास दो गुजरती लोकल ट्रेनों में दरवाजे पर लटके यात्रियों के टकराने के कारण हुई।’ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस मोड़ पर जोखिम को समझते हुए यहां अतिरिक्त सुरक्षा बल हमेशा तैनात रहते हैं, क्योंकि यह एक संभावित दुर्घटना क्षेत्र है। यह दुर्घटना ट्रेनों के दरवाजों पर लटक रहे यात्रियों के टकराने की वजह से हुई।’
पटरी पार न करें
यात्रियों को पटरी पार न करने के लिए जागरूक करते हैं, फिर भी भीड़ बनी रहती है। इस भीड़ को कम करने के लिए कार्यालय समय में बदलाव एक विकल्प हो सकता है, ऐसा रेलवे ने अदालत को बताया था।
कार्यालय का समय बदलें
यदि रेलवे हादसे रोकने हैं, तो स्कूल, कॉलेज और बैंकों के कार्य समय में बदलाव करना होगा, ऐसी अपील पश्चिम रेलवे ने उच्च न्यायालय से की है। इसके लिए न्यायालय से राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
प्रयास सफल नहीं होते
हम दुर्घटनाएं रोकने के लिए अनेक उपाय और जनजागरूकता अभियान चलाते हैं, लेकिन यात्रियों के सहयोग के बिना हमारे प्रयास सफल नहीं हो पाते और दुर्घटनाएं रोकने में कठिनाई होती है। सुबह ७ बजे से ११ बजे और शाम ६ बजे से रात ९ बजे तक लोकल में भारी भीड़ रहती है। इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हम सभी प्रयास करते हैं। लोकल समय पर छोड़ते हैं।

संपादकीय : मेकअप उतर गया!

राहुल गांधी के महाराष्ट्र चुनाव में ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाते ही भारतीय जनता पार्टी के शरीर में आगिया वेताल प्रवेश कर गया है। आगिया वेताल एक पिशाच होता है, जो अपने पूरे शरीर में आग लगाता है और दूसरों के घरों में आग लगाता है। यह एक तरह का संकटपूर्ण गठबंधन होता है। जैसे ही राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की धोखाधड़ी पर हमला किया, यह वेताल भाजपा के शरीर में प्रवेश कर गया। राहुल गांधी ने लोकतांत्रिक तरीकों से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर अपनी राय व्यक्त की। इसके लिए उन्होंने देश के कई अखबारों में लेख लिखे और इसमें विस्तार से जानकारी दी कि कैसे चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र का चुनाव चुराया। महाराष्ट्र ने लोकसभा चुनाव में मोदी एंड कंपनी को बुरी तरह से हरा दिया। ‘अबकी बार चार सौ पार’ का सपना महाराष्ट्र की वजह से खो गया था। महाराष्ट्र का संकल्प इतना मजबूत था। उसके बाद छह महीने के भीतर विधानसभा चुनाव हुए। हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस, राष्ट्रवादी और शिवसेना को मिलाकर पचास सीटें भी नहीं मिलीं। लोकसभा चुनाव के बाद सिर्फ छह महीने में ऐसा उलटफेर कैसे हो सकता है? क्या कोई इस पर विश्वास कर सकता है? इसे समझ सकता है? राहुल गांधी ने अपने लेख में खुलासा किया कि कैसे चुनाव आयोग की मदद से महाराष्ट्र चुनाव में ये सब मैच फिक्सिंग हुई, कैसे ये सब लोकतंत्र के लिए हानिकारक है और कैसे महाराष्ट्र के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में भी ‘मैच फिक्सिंग’ का यही पैटर्न लागू होगा। मोदी सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को नियंत्रित करने के लिए कई चालें चलीं, जिसमें चुनाव आयोग में अपनी मर्जी का भी पैनल बनाना शामिल है। राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में घोटाले, शाम ५ बजे के बाद ६०-७० लाख वोट बढ़ने पर सवाल उठाए। राहुल गांधी की
मांग सरल है।
उनकी पहली मांग है महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए एक एकत्रित डिजिटल मशीन-पठनीय मतदाता सूची प्रकाशित करना और दूसरी मांग महाराष्ट्र में शाम ५ बजे के बाद मतदान केंद्रों के सभी सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करना है। राहुल गांधी के सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय चुनाव आयोग ने भाजपा नेताओं को बतौर वकील नियुक्त किया है। चूंकि राहुल गांधी ने एक लेख लिखा था इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने एक लेख लिखकर राहुल गांधी को जवाब देने की कोशिश की। एक राजनीतिक दल के लिए चुनाव आयोग की वकालत करना गंभीर मामला है। फिर फडणवीस ने इसके लिए उर्दू शायरी का सहारा लिया। चूंकि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे डकैती थे और इस डवैâती के मुख्य लाभार्थी फडणवीस, इसलिए उनके शरीर में आगिया वेताल ने प्रवेश कर लिया और उर्दू में बोलने लगे।
‘ताउम्र आप यही गलती करते रहे
धूल चेहरे पे थी और
आप आईना पोंछते रहे’
यह फडणवीस ने राहुल गांधी के बारे में कहा है। यह वैसा ही है, जैसे नागपुर का अब्दुल्ला चुनाव आयोग की बेगानी शादी में दीवाने की तरह नाच रहा हो। राहुल गांधी का तीर फडणवीस और अन्य लोगों के कलेजे के आर-पार हो गया है। चुनाव आयोग ने संविधान की हत्या कर दी है। महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने के लिए अमित शाह ने दो क्षेत्रीय दलों शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़ा, विभाजित किया और उस विभाजन को दलबदल विरोधी अधिनियम की १०वीं अनुसूची की परवाह किए बिना मंजूरी दी गई। यह सब संविधान के खिलाफ है। मूल दल शिवसेना को धनुष-बाण चुनाव चिह्न के साथ
‘बाहरी’ ऐरे-गैरे
एकनाथ शिंदे के हाथों सौंपना और उसी तरह शरद पवार के जीवनकाल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को अजीत पवार की जेब में डालना, यह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को चुराने की साजिश का हिस्सा था। इस संगठित अपराध में चुनाव आयोग ने हिस्सा लिया। अब चुनाव आयोग राहुल गांधी को अपनी आपत्तियों के बारे में लिखित शिकायत दर्ज कराने की सलाह दे रहा है। यह अपने चेहरे से कीचड़ साफ करने की कायरतापूर्ण कोशिश है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के लोग ही चुनाव आयोग के चेहरे से गंदगी साफ करते नजर आ रहे हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजों के बाद चुनाव आयोग में कई शिकायतें और आपत्तियां दर्ज की गई हैं। उन पर कार्रवाई करने के बारे में चुप रहनेवाला चुनाव आयोग राहुल गांधी के आरोपों पर कह रहा है, ‘राहुल अपने आरोप लिखित में दें। फिर देखेंगे।’ राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर देश के संवैधानिक पद पर बैठे हैं। जब मोदी-शाह के हाथ में था तो उन्होंने कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलने दिया, लेकिन इस बार जनता ने राहुल गांधी को ताकत दी और वे विपक्ष के नेता बन गए इसलिए इन शिकायतों को आधार मानकर चुनाव आयोग को ‘सूओ मोटो’ कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन क्या मोदी-शाह इसकी इजाजत देंगे? यही सवाल है। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी और हमारे महान चुनाव आयोग के भ्रष्ट गठबंधन का मुखौटा उतार फेंक दिया है। इससे फडणवीस जैसे लोगों का ‘मेकअप’ खराब हो गया है। दूसरों के चेहरे से धूल झाड़ने से पहले उन्हें आईने में अपना चेहरा देखना चाहिए। अब मेकअप पूरी तरह उतर चुका है।

मुंब्रा हादसे के बाद लोकल के बंद दरवाजे पर छिड़ी ‘जंग’!

-रेल यात्रियों में बंटी राय

१ : बंद दरवाजे से बचेगी जान

२ : भीड़ में लोगों का घुटेगा दम

सामना संवाददाता / मुंबई

सोमवार को मध्य रेलवे के मुंब्रा स्टेशन के नजदीक हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में चार यात्रियों की मौत और ९ के घायल होने के बाद मुंबई में एक बार फिर लोकल ट्रेन के बंद दरवाजों को लेकर जंग छिड़ गई है। इस मामले में रेल यात्रियों के दो गुट बन गए हैं और उनकी राय बंट गई है।
कुछ लोगों का मानना है कि बंद दरवाजे की वजह से यात्रियों की जान बच सकती है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि बंद दरवाजे होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिससे यात्रियों का दम घुट सकता है। ऐसे में बंद दरवाजे को लेकर विवाद के बढ़ने की संभावना है। फिलहाल, एसी लोकल के दरवाजे ही खुलते और बंद होते हैं। मगर लोकल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
ट्रेन लेट होने से बढ़ती है भीड़!
मध्य रेल की लोकल सेवाएं हमेशा देरी से चलती हैं। ट्रेन लेट होने का परिणाम है कि प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ती जाती है। लोकल ट्रेनों में दरवाजे तो हैं, पर वे हमेशा खुले रहते हैं। वे खुद से बंद नहीं होते। जब बारिश की तेज बौछारें आती हैं तो यात्री अपने हाथों से उसे बंद करते-खोलते हैं। मुंब्रा हादसे के बाद अब एसी लोकल की तरह सामान्य लोकल में भी ऑटोमेटिक दरवाजे लगाए जाने की मांग होने लगी है।
इस मामले में रेलवे प्रवासी संघ से जुड़े राजेश पंड्या ने बताया कि रेलवे को बंद दरवाजे वाली ट्रेन चलानी चाहिए, ताकि लोगों को चलती ट्रेन से पटरियों पर गिरने से बचाया जा सके। कलवा निवासी यूसुफ ने बताया कि मध्य रेलवे में गेट पर लटककर यात्रा करना आम बात हो गई है। इस मार्ग पर लोकल ट्रेन प्रतिदिन १० से १५ मिनट लेट रहती हैं, ऐसे में भीड़ बढ़ती रहती है। इस वजह से कई लोग अपने दफ्तर समय पर पहुंचने के लिए ट्रेन के फुटबोर्ड पर लटक कर यात्रा करते हैं। ऐसे में बंद दरवाजा एकमात्र उपाय है, जिससे लोगों की जान बच सकती है। इसके अलावा कई यात्री ऐसे हैं, जो रेलवे के इस आइडिया के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि एसी लोकल में बंद दरवाजा सही है, लेकिन नॉन-एसी में दरवाजों को बंद करना मतलब यात्रियों के लिए घुटन पैदा करना। वेंटिलेशन का एकमात्र जरिया खिड़की रहेगी, जिससे स्वच्छ हवा का आना कम हो जाएगा। दूसरी तरफ स्वचलित दरवाजे अगर समय पर बंद नहीं हुए तो ट्रेन लेट हो सकती है। यात्री अर्चना पाल ने बताया कि बंद दरवाजे की वजह से फुटबोर्ड पर यात्रा करने वाले लोग नहीं रहेंगे, जिससे अन्य ट्रेनों में भीड़ बढ़ सकती है।
कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ेगी
कल्याण में रहनेवाले तेवर सिंह ने बताया कि बंद दरवाजे होने की वजह से गिरने का खतरा तो नहीं रहेगा, लेकिन कोच में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाएगी, जिससे महिलाओं व बुजुर्गों को सांस लेने में समस्या आ सकती है।
दरवाजे पर लगेंगे लूवर्स
हादसे के बाद जागी रेलवे का कहना है कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि नए नॉन-एसी कोच अलग तरीके से डिजाइन और निर्मित किए जाएंगे, जिससे वेंटिलेशन की समस्या का समाधान हो सके। दरवाजों में लूवर्स (हवादार पट्टियां) लगाए जाएंगे, ताकि बंद दरवाजों के बावजूद हवा का प्रवाह बना रहे।

मनपा की बढ़ी मुश्किलें…गणेशभक्तों की जय-जय!.. हाई कोर्ट ने हटाई पीओपी मूर्तियों से पाबंदी

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य के गणेश मंडलों को मुंबई हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की गणेश मूर्तियों पर लगी रोक हटा दी गई है। अब इन मूर्तियों को बनाना और बेचना प्रतिबंधित नहीं रहेगा। हालांकि, इन मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम तालाबों में ही किया जा सकेगा, यह शर्त पूर्ववत लागू रहेगी। ऐसे में हाई कोर्ट के निर्णय से मनपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
इस पैâसले पर न्यायालय में दोनों पक्षों ने सहमति जताई है। कुछ दिन पहले ही मुंबई हाई कोर्ट ने पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब वह प्रतिबंध हटा लिया गया है।
राज्य सरकार को निर्देश
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन हफ्तों के भीतर एक समिति गठित करे और पीओपी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर क्या उपाय किए जाएंगे, इसकी विस्तृत और गहन जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।

पीओपी की मूर्तियों का नहीं कर सकते विसर्जन!

पीओपी मूर्तियों पर लगी रोक हटा ली गई है। इस मामले में कल मुंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि पीओपी से बनी मूर्तियां बनाई जा सकती हैं। मगर इसका विसर्जन कृत्रिम तालाबों में करना होगा। इस निर्णय से मूर्तिकारों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में पीओपी मूर्तियों का विसर्जन प्राकृतिक जल स्रोतों में करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि पीओपी मूर्तियां बनाई जा सकती हैं, लेकिन उन्हें प्राकृतिक जल स्रोतों में विसर्जित नहीं किया जा सकता।
-२२ साल पहले खोया था पति अब बेटे की गई जान!

-बदनसीब मां का रो-रोकर बुरा हुआ हाल

मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास हुई रेल दुर्घटना में १३ यात्री लोकल ट्रेन से नीचे गिर गए, जिनमें से चार यात्रियों की मौत हो गई। इस दुर्घटना में किसी ने पिता खोया तो किसी ने पति। ऐसी ही एक महिला ने इस दुर्घटना में अपना बेटा खो दिया है। जबकि ठीक २२ साल पहले इसी तरह दुर्घटना में उसने अपना पति खो दिया था। ४४ वर्षीय मयूर अपने सपनों का घर डोंबिवली में लेने के लिए जा रहे थे। जाते समय वे लोकल ट्रेन से गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद उनकी बदनसीब मां का रो-रोकर बुरा हाल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस हादसे में ४४ वर्षीय इस मृतक का नाम मयूर शाह बताया जा रहा है। मयूर शाह पेशे से आईटी इंजीनियर थे। मयूर शाह ठाणे के घोड़बंदर इलाके में अपनी मां के साथ रहते थे। उनके पिता का निधन २२ साल पहले हो चुका था। मयूर की दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। मयूर अविवाहित थे और विद्याविहार इलाके में काम करते थे। वे डोंबिवली में एक फ्लैट खरीदने की प्रक्रिया में थे, जिससे वे यह फ्लैट खरीदने वाले थे, वह व्यक्ति डोंबिवली में ही रहता है। इसलिए मयूर संभवत: उसी से मिलने डोंबिवली जा रहे थे, ऐसा उनके परिवार का अनुमान है।

रेल मंत्री नहीं रील मंत्री हैं वैष्णव!..रेल समस्याओं पर सरकार का ध्यान नहीं…आदित्य ठाकरे का सरकार पर जोरदार हमला

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास कल सुबह एक बेहद दुखद हादसा हुआ। लोकल ट्रेन से गिरने की वजह से ६ लोगों की मौत हो गई, जबकि ६ लोग घायल हुए हैं। घायलों का इलाज नजदीकी अस्पताल में चल रहा है। इस दुर्घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है। विपक्ष ने इस हादसे के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
इस मामले में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता आदित्य ठाकरे ने सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधा। मुंबई रेलवे हादसे के बाद आदित्य ठाकरे ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना के लिए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हादसा कोई नई बात नहीं है। ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। समझ नहीं आता कि वे रेल मंत्री हैं या ‘रील मंत्री’। वे रेलवे की असली समस्याओं पर ध्यान ही नहीं देते। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
बता दें कि मुंबई से सटे ठाणे में सुबह मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास लोकल ट्रेन से गिरकर ६ यात्रियों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रेलवे अधिकारियों ने हादसे की जांच शुरू कर दी है। इस हादसे के बाद रेलवे प्रशासन ने दावा किया कि जल्दी ही मुंबई लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाए जाएंगे।

खतरनाक है मोड़…एक तरफ झुक जाती है लोकल…पीक ऑवर में होते है ६,००० यात्री प्रवासी संगठन सामने लाया वास्तविकता

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई में लोकल ट्रेन से यात्रा करना यानी जान हथेली पर रखकर सफर करना होता है। हर दिन क्षमता से अधिक यात्री लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं। आमतौर पर १,५०० यात्रियों की क्षमता वाली लोकल में ऑफिस टाइम यानी भीड़भाड़ के समय करीब ५,००० से ६,००० यात्री यात्रा करते हैं। कल सुबह हुए हादसे में भी यही स्थिति थी। रेलवे प्रवासी संगठन के सिद्धेश देसाई ने मुंब्रा के पास रेलवे ट्रैक के खतरनाक मोड़ की सच्चाई सामने रखी है। उन्होंने कहा कि इस मोड़ पर ट्रेन एक ओर झुक जाती है। जब इसमें ६,००० से ज्यादा यात्री होते हैं तो ट्रेन ओवरलोड होकर एक तरफ झुक जाती है।
देसाई ने कहा कि मुंब्रा के इस मोड़ के बारे में पहले भी हमने रेलवे प्रशासन को पत्र लिखा था। एक लोकल में सामान्यत: ३,६०० यात्री यात्रा करते हैं, लेकिन पीक ऑवर में यह संख्या ६,००० से भी अधिक हो जाती है। इतनी अधिक भीड़ के कारण ट्रेन पर अतिरिक्त भार पड़ता है और वह एक ओर झुक जाती है। उन्होंने कहा कि हमने बार-बार दिवा से ठाणे के बीच लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन रेलवे प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। यहां जो मोड़ बना है, उस पर अब इंजीनियर्स भी कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह खतरनाक मोड़ यात्रियों के लिए जानलेवा और रेल दुर्घटनाओं को आमंत्रित करने वाला है, यह एक सच्चाई है।
एक साल से जीएम ने मिलने का नहीं दिया समय
मुंब्रा लोकल ट्रेन दुर्घटना को लेकर यात्री संगठनों ने मध्य रेलवे पर तीव्र नाराजगी जताई है। संगठनों का कहना है कि पिछले एक साल से उन्हें जीएम से मिलने का समय नहीं दिया गया। रेलवे द्वारा ट्रैक और ट्रेनों पर खर्च न कर अमृत योजना के तहत स्टेशन सौंदर्यीकरण पर अधिक खर्च किए जाने का आरोप यात्री संगठन के नंदकुमार देशमुख ने लगाया। उन्होंने कहा है कि वे मध्य रेलवे के जीएम से मिलने का समय मांगेंगे, अगर समय नहीं मिला तो आंदोलन किया जाएगा।
वर्ष २०२४ में रेल हादसे का आंकड़ा
मध्य रेलवे
मृतक – १,५३३
घायल – १,६५५
पश्चिम रेलवे
मृतक – ९३५
घायल – १,०४२
ट्रैक पार करते समय
मृतक – १,१५१
घायल – २३४
चलती ट्रेन से गिरे यात्री
मृतक – ५७०
घायल – १,३२९
खंभे से
टकराने के मामले
मृतक – ६
घायल – ३८
प्लेटफॉर्म के गैप में गिरने की घटनाएं
मृतक – १४
घायल – १०
बिजली के झटके से
मृतक – ३
घायल – १०
आत्महत्या
मृतक – १२९
घायल – १
बीमारी के चलते मौत
मृतक – ५६२
घायल – ५९२

सीपीआरओ ने यात्रियों पर फोड़ दिया ठीकरा!.. शरद पवार ने लगा दी क्लास

सामना संवाददाता / मुंबई

मध्य रेलवे के दिवा और मुंब्रा स्टेशनों के बीच कल सुबह हुई भीषण दुर्घटना के बाद काफी समय तक मध्य रेलवे के पीआरओ सहित अन्य अधिकारी दुर्घटना वैâसे हुई और कितने लोग मरे, यह स्पष्ट नहीं कर पाए। यात्रियों को यह भी भ्रम था कि वे पुष्पक एक्सप्रेस या लोकल ट्रेन से नीचे गिरे हैं। घायल यात्रियों को अस्पताल ले जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर तुरंत एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकीं। इस पर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल नीला ने पत्रकार सम्मेलन में अप्रत्यक्ष रूप से इस हादसे का ठीकरा यात्रियों पर फोड़ डाला। इसके बाद इसे लेकर राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने जमकर फटकार लगाई है।
पीआरओ ने बताया कि हादसे के वक्त कई यात्री फुटबोर्ड पर खड़े थे। ट्रेन में भारी भीड़ थी। एक ट्रेन में यात्री के बैग से दूसरी लोकल ट्रेन में खड़े यात्रियों को धक्का लगा, जिससे करीब १३ यात्री ट्रेन से नीचे गिर गए। इस पर शरद पवार ने रेलवे प्रशासन को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि दिवा और मुंब्रा स्टेशनों के बीच यात्रियों के गिरकर मरने की यह घटना बेहद दुखद है। वे सभी निर्दोष यात्रियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।
शरद पवार ने केंद्र रेल प्रशासन से इस गंभीर घटना को गंभीरता से लेने का आग्रह करते हुए कहा कि मध्य रेलवे को समय प्रबंधन बेहतर कर मुख्य मार्गों पर लोकल की संख्या बढ़ानी चाहिए। यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम तुरंत उठाने होंगे। बार-बार ऐसे हादसों को रोकने के लिए लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाने का निर्णय समय पर लागू किया जाना चाहिए।

मुंब्रा लोकल ट्रेन हादसे में बेसहारा हो गया परिवार!

– इकलौता कमानेवाला था शख्स

-परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंब्रा लोकल हादसे में मृतकों में शामिल २८ वर्षीय राहुल संतोष गुप्ता एक गरीब परिवार से था। वह घर का इकलौता कमाऊ पूत था। वह अपनी छोटी बहन की शादी के लिए पैसे जोड़ रहा था। कल की दुर्घटना में उसकी जान चली गई, जिससे घरवालों पर न केवल दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, बल्कि पूरा परिवार भी बेसहारा हो गया है। इस हादसे के बाद घरवालों के अश्रु मानों थम ही नहीं रहे हैं। दूसरी ओर राहुल की मौत के बाद अब घरवालों के सामने बहन की शादी और घर चलाने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। मुंब्रा में दो लोकल ट्रेनें एक खतरनाक मोड़ पर आमने-सामने आ गर्इं और ट्रेन में सवार यात्रियों के बैग एक-दूसरे से टकराने के कारण कुछ यात्री चलती ट्रेन से पटरी पर गिर पड़े। इस हादसे में कुल १३ यात्री ट्रेन से नीचे गिरे थे। इस दुर्घटना ने एक बार फिर मुंबई लोकल की भीड़ और सुरक्षा की गंभीर समस्या को सरकार के सामने ला खड़ा किया है।
 जानकारी के अनुसार, मयूर अपनी मां के साथ ठाणे में रहते थे। उनके पिता का निधन कई साल पहले हो गया था। मयूर विद्याविहार में नौकरी करते थे। उन्हें डोंबिवली में घर लेना था इसलिए कभी-कभी वे वहां के मालिक से मिलने जाया करते थे। कल सुबह भी वह शायद उसी सिलसिले में गए होंगे और उसी दौरान यह हादसा हुआ। पुलिस ने मां को इस दुर्घटना की सूचना दी।
 घटनास्थल पहुंचे राहुल के दोस्त
राहुल की मौत की खबर मिलते ही उसके दोस्त मुकेश चौबे और अन्य मित्र घटनास्थल पर पहुंचे और भावुक हो गए। राहुल रोज मुंब्रा से लोकल पकड़कर मुंबई में एक स्टेशनरी दुकान में काम करने जाता था। कल सुबह काम पर जाते समय ही यह हादसा हुआ और उसकी जान चली गई। उसके परिवार में मां-बाप, दो छोटी बहनें और एक छोटा भाई है। अब मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से राहुल के परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग उसके दोस्तों ने की है।
 शिवा गवली गंभीर रूप से घायल
साकीनाका की ओर सफर करनेवाले शिवा गवली इस हादसे में घायल हुए हैं। वह ट्रेन से गिर गए और उनके सिर पर गंभीर चोट आई है। अभी उनका इलाज ठाणे के जुपिटर अस्पताल में चल रहा है। यह जानकारी उनके रिश्तेदारों ने दी।
 प्रत्यक्षदर्शी ने सुनाई आपबीती
एक प्रत्यक्षदर्शी शिवा सुरवई ने बताया कि मैं अपनी पत्नी को स्टेशन छोड़ने आया था। जैसे ही बाहर निकलने वाला था, स्टेशन परिसर से अचानक चीख-पुकार सुनाई दी। देखा कि लोकल जैसे ही आगे बढ़ी, कुछ महिला और पुरुष ट्रैक पर गिरे हुए दिखे। स्थानीय यात्रियों ने तुरंत मदद के लिए दौड़ लगाई। किसी वाहन से घायलों को अस्पताल ले जाया गया, वहीं मृतकों को एंबुलेंस से भेजा गया।
पुलिसकर्मी की भी मौत
वर्ष २००४ से ही ठाणे रेलवे पुलिस विभाग में कार्यरत मच्छींद्र मधुकर गोतरणे भी इस दुर्घटना के शिकार हुए। इससे पहले वे कल्याण पुलिस थाने में कार्यरत थे और वहीं के रहने वाले थे। नाइट ड्यूटी खत्म करके वे ठाणे से कल्याण लौट रहे थे, तभी यह हादसा हुआ। जब ट्रेनें एक-दूसरी को क्रॉस कर रही थीं, उसी समय वे ट्रेन से नीचे गिर गए। पुलिसकर्मी की मौसी प्रमिला जाधव के मुताबिक, फोन आने पर वे तुरंत अस्पताल पहुंचीं। कांस्टेबल के मामा राहुल म्हस्के ने कहा कि शुरू में कुछ समझ में नहीं आया, बाद में मौत की खबर मिली। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है।

प्रोजेक्ट पड़ताल :  रेलवे ने खुले रखे हैं लोकल ट्रेनों के दरवाजे…जुमला साबित हुई बंद दरवाजों की बात…हादसे के बाद रेल प्रशासन यात्रियों को परोसता है बंद दरवाजों का शगूफा

ब्रिजेश पाठक

सोमवार सुबह मध्य रेलवे की चलती लोकल ट्रेन से कुछ यात्री मुंब्रा व ठाणे के बीच गिर गए। रेलवे के मुताबिक, अधिक भीड़ होने की वजह से यात्री लोकल के गेट पर लटककर यात्रा कर रहे थे, जिस वजह से यह अनहोनी हुई। इस घटना के बाद रेलवे ने एक बार फिर नौटंकी शुरू कर दी है। यह नौटंकी है बंद दरवाजे की यानी लोकल ट्रेन के दरवाजे चलते समय बंद हो जाएंगे, जिससे यात्री ट्रेन में सुरक्षित रहेंगे। बता दें कि रेलवे का यह जुमला नया नहीं है। कई वर्षों से बंद दरवाजे की बात चलती रहती है, लेकिन हकीकत में अब तक कुछ नहीं हुआ है।
पिछले २० वर्षों में ५१ हजार से अधिक यात्रियों ने ट्रेन से गिरकर अपनी जान गंवाई है। लगातार बढ़ते हुए हादसोें को देखते हुए मुंबई हाई कोर्ट ने रेलवे को फटकार लगाई थी और कुछ उपाय सोचने को कहा था। इस पर रेलवे द्वारा बंद दरवाजे का प्रस्ताव लाया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका। रेलवे विशेषज्ञों की मानें तो बंद दरवाजों में यात्रियों को कुछ दिक्कतें आ सकती हैं, जिसमें पहला है ऑक्सीजन की कमी। प्रचुर मात्रा में अगर ऑक्सीजन नहीं होगा तो यात्रियों को दिक्कत हो सकती है। वहीं दूसरी समस्या है गर्मी की। दरवाजे बंद होने की वजह से कोच में बाहरी हवा कम हो जाएगी जिस वजह से गर्मी बढ़ सकती है। पीक समय में यह समस्या गंभीर हो सकती है। इसके अलावा रेलवे सूत्रों का कहना है कि लोकल ट्रेन के फुटबोर्ड पर ४ से पांच व्यक्ति यात्रा करते हैं। ट्रेन के हर डिब्बे को मिला दें तो यह आंकड़ा ७० से ८० यात्रियों का है जो फुटबोड (ट्रेन के दरवाजे) पर यात्रा करते हैं। ऐसे में दरवाजे बंद होने की वजह से यात्रियों की संख्या घट जाएगी। गौरतलब है कि कल हुई दुर्घटना के बाद रेलवे एक बार फिर बंद दरवाजे का जुमला यात्रियों को परोस रहा है। इस पैâसले पर कब तक अमल होगा इसको लेकर रेलवे अधिकारी अभी साफ बात नहीं कर रहे हैं।

रौबीलो राजस्थान :  देवो दाता रै नांव…

बुलाकी शर्मा राजस्थान

कबीर भीख मांगण नै मिरत्यु सूं ई माड़ी बताई है। स्यात बां जिसै फक्कड़ संत कनै कोई मंगतो पूगग्यो हुवैला। आपरै द्वारै ‌आयोड़ै भिखारी नै खाली कियां काढता। सगळा रुपिया-टक्का देय दिया अर आपरी जोड़ायत लोई साथै भूखै पेट रात काढी जणै खिन्न हुयनै बां लिख्यो, `मांगन मरण समान है मत मांगो कोई भीख।’
स्यात दूजै दिन भोरान-भोर बुनाई करावण सारू कोई गिरायक आयग्यो अर कीं पीसा हाथ में आयां दोनूं धापनै जीम्यां‌ जणै सोचण लाग्या, `म्हैं नीं देंवतो तो ल्याई मंगतै नै भूखो सोवणो पड़तो।’
भावुक हुयनै बां आपरी पैला री सीख बिसराय’र नवी सीख दीवी कै दान कियां धन ना घटे, कह गए दास कबीर।
कबीर जी ई मानग्या वैâ भिखारी अर दानी रो जोड़ो अखंड है। दान करियां पुन्न मिलै। आगोतर सुधरै। सुरग मिलै अर जे कोई दान लेवणियो नीं हुवै जणै? साच ओ है वैâ दान लेवणियो ई किणी नै दानवीर बणावै। भिखारी आपरो नीं, दूजां रो आगोतर सुधारण में लाग्यो रैवै। हर भांत री तजबीज ‌काम में लेयनै बो लोगां नै दान करण सारू त्यार करै। मूंजी सूं मूंजी जीव सूं पूंजी कढ़ावणी बो जाणै।
पण सऊदी अरब, कतर, इराक, ओमान आद देस दान री महिमा सूं साव अणजाण लाग्या। बठै रा लोगां नै दानी बणावण नै पाकिस्तान रा भिखारी चोखी तादाद में लाग्योड़ा हा। मांगण री सीख बांनै आपरै देस सूं ई मिली। आं देसां में भीख रो धंधो कर रैया हा पण भागफूट्योड़ां नै बठै सूं धक्का देयनै खदेड़ दिया कै जावो‌ खुद रै भिखारी देस!
आपांरै देस रै भिखारियां अर दानवीरां री महिमा निरवाळी। पश्चिम बंगाल निवासी अ‍ेक भिखारी दस सालां सूं मुंबई में भीख रो धंधो करै। टाबर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ै अर खुद हवाई जहाज में सफर करै। अ‍ेक भिखारी तो मोटा-मोटा दानवीरां नै लारै छोड़ न्हाख्या। आईआईअ‍ेम कोलकाता सूं आच्छी रैंक में बीई। सात करोड़ रै लगैटगै मासिक आमदनी। अठारह सौ भिखारी काम करै। मुंबई में आठ विला अर आठ अपार्टमेंट किरायै दियोड़ा। अ‍ेक होटल न्यारो। निजू इस्तेमाल सारू दो बंगळा अर चार घरवाळियां। बाइस करोड़ रो नवो बंगलो खरीदण लाग्यो जणै इनकम टैक्सआळां री नजर पड़ी। दोनूं बंगलां री तलासी में मिलिया फकत ४६० करोड़ रोकड़ा।
पकौड़ा तळो जिसा धंधा करण री सीख री ठौड़ भीख मांगण रै धंधै नै प्रोत्साहित करण री जरूरत है। दानदाता नै पुन्न मिलै अर भिखारी नै रुजगार। अ‍ेक पंथ दो काज।