मुंब्रा रेल दुर्घटना को लेकर अपना पूर्वांचल महासंघ ने रेलवे पर साधा निशाना

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र के मुंब्रा में 9 जून को हुई भीषण रेल दुर्घटना ने मुंबई की लोकल ट्रेन व्यवस्था की पोल खोल दी है। इस हादसे में कई निर्दोषों की मौत हो गई और अनेक यात्री गंभीर रूप से घायल हुए। इस हादसे को लेकर अपना पूर्वांचल महासंघ के अध्यक्ष अधिवक्ता अशोक दुबे ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर रेलवे प्रशासन की लापरवाही पर जमकर लताड़ लगाई है।
दुबे ने पत्र में कहा है, “क्या सरकार की जिम्मेदारी केवल मुआवजा देकर खत्म हो जाती है? जिनकी जान गई, उनका क्या? रेलवे की तकनीकी और सुरक्षा व्यवस्था पर जवाबदेही तय होगी या नहीं?” उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि ये हादसा मानव भूल नहीं, बल्कि सिस्टम फेल्योर का परिणाम है–जो कि वर्षों से उपेक्षित और बदहाल लोकल ट्रेन ढांचे का सीधा नतीजा है।
पत्र में महासंघ ने खुलकर सवाल उठाया कि जब वातानुकूलित ट्रेनों में दरवाज़े ऑटोमैटिक रूप से बंद रहते हैं, तो वही सुरक्षा व्यवस्था मुंबई की करोड़ों जनता को ढोने वाली लोकल ट्रेनों में क्यों नहीं? क्या आम जनता की जिंदगी की कीमत एसी क्लास के यात्रियों से कम है? दुबे ने लिखा कि जब हादसे होते हैं, तभी अधिकारी “एक्टिव मोड” में आते हैं, वरना दिन-प्रतिदिन टूटती ट्रेनों, ओवरलोडिंग और खुले दरवाजों से हो रही मौतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने इसे “अघोषित हत्या” करार देते हुए रेल प्रशासन को आड़े हाथों लिया। तकनीकी सुधारों की मांग, “अब नहीं तो कभी नहीं” महासंघ ने मांग की है कि बिना देरी के मुंबई की सभी लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़ों की व्यवस्था लागू की जाए। टिटवाला, डोंबिवली, विरार, वसई, भायंदर, मीरा रोड, अंधेरी, चेंबूर, पनवेल, बेलापुर जैसे उच्च ट्रैफिक वाले स्टेशनों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब अगर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ऐसे हादसों की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार और रेलवे प्रशासन की होगी।
पत्र का लहजा न सिर्फ सवाल करता है, बल्कि सिस्टम से जवाब भी मांगता है। अशोक दुबे ने रेल मंत्री से अपील की है कि वे इसे केवल एक दुर्घटना न मानें, बल्कि मुंबई की जान कहलाने वाली लोकल ट्रेनों की सुरक्षा के सवाल के रूप में देखें–और सुधारों की शुरुआत करें।

वरिष्ठ साहित्यकार राजेश विक्रांत की आमची मुंबई-2 का 20 जून को विमोचन

सामना संवाददाता / मुंबई

महानगर की अग्रणी साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था “आशीर्वाद” द्वारा आयोजित लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार राजेश विक्रांत की नई पुस्तक “आमची मुंबई-2” का विमोचन समारोह शुक्रवार 20 जून की शाम को गोरेगांव के अजंता पार्टी हॉल में आयोजित किया गया है। आशीर्वाद के निदेशक डॉ. उमाकांत बाजपेयी एवं अध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्य अतिथियों में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल, संतोष कुमार झा (अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक-कोंकण रेलवे) सुप्रसिद्ध अभिनेता विष्णु शर्मा, भुवेंद्र त्यागी (संपादक-दैनिक भास्कर), अनिल तिवारी (निवासी संपादक-दोपहर का सामना) रहेंगे, जबकि विशेष अतिथियों में (मुंबई के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, सामाजिक जीवन, अपराध पर विशिष्ट पुस्तकों/ लेखों/ उपन्यासों के लेखकों में गोपाल शर्मा (‘बंबई दर बंबई’ फेम), ह्रदयेश मयंक (‘मुंबई का साहित्यिक परिदृश्य-एक पुनरावलोकन’ फेम), मुंबई लोकल’ तथा ‘महाराष्ट्र बलिदानों की धरती’ के रचनाकार तथा मुंबई पर 1,200 से अधिक लेखों के सर्जक विमल मिश्र, 6 उपन्यासों समेत 10 किताबों के लेखक उर्दू उपन्यास रोहज़िन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता रहमान अब्बास (उन्होंने चार राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार भी जीते हैं। रोहजिन में तीन समानांतर कथा सूत्र-एक प्रेम कहानी, भारतीय मुसलमानों की पहचान का मुद्दा तथा तीसरा मुंबई यानी बॉम्बे की कहानी चलती है। तीसरा कथा सूत्र इस महान शहर के इतिहास, मिथकों, किंवदंतियों, समाजशास्त्र और राजनीति की गहराई से पड़ताल करता है), मुंबई के दिग्गज मराठी पत्रकार प्रभाकर पवार (मुंबई क्राइम पर कुल 9 पुस्तकों के लेखक), मुंबई के वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर व डॉयल 100 स्तंभ फेम सुनील मेहरोत्रा, विवेक अग्रवाल (मुंबई क्राइम पर कुल 19 पुस्तकों के लेखक), हरि मृदुल (कहानियों व लघुकथाओं में मुंबई के जनजीवन को साकार करने वाले साहित्यकार तथा नवभारत टाइम्स के ‘आमची मुंबई’ के स्तंभकार, जीतेंद्र दीक्षित (’35 डेज: हाऊ पालिटिक्स इन महाराष्ट्र चेंज् फॉरएवर इन 2019′- ‘सबसे बड़ी बगावत: महाराष्ट्र में तख्तापलट की पर्दे के पीछे की कहानी’, ‘बॉम्बे ऑफ्टर अयोध्या: ए सिटी इन फ्लक्स’- ‘अयोध्या ने कैसे बदल दी बंबई’ तथा ‘बॉम्बे-3’- ‘ये है बंबई नगरिया’ के लेखक, आचार्य पवन त्रिपाठी (‘आजादी की लड़ाई में मुंबई का योगदान’-हिंदी तथा ‘स्वातंत्र्य लढ्यातील मुंबईचे योगदान’- मराठी के सह लेखक, श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष व मुंबई भाजपा उपाध्यक्ष), शराफत खान (‘दहशत का अनसुना इतिहास: बॉम्बे के डॉन’ फेम), नितीन सालुंखे (‘अज्ञात मुंबई’ तथा ‘अज्ञात मुंबई-2’ फेम) का समावेश है। कार्यक्रम का संचालन करेंगे कवि, साहित्यकार देवमणि पांडेय, अतिथियों का स्वागत करेंगी आशीर्वाद की सहनिदेशिका नीता बाजपेयी। निमन्त्रक डॉ. बनमाली चतुर्वेदी, डॉ. जे पी बघेल, सुधा सिंह व अरविंद राही हैं।
इस कार्यक्रम में आईआरएस अधिकारी व साहित्यकार डॉ. कुंदन यादव, पत्रकारिता कोश के संपादक आफताब आलम, डिजाइनर भालचंद्र मेहेर, मुद्रक अमेय लोकरे, पत्रकार सरताज मेहदी, छायाकार अर्जुन कांबले व पत्रकार शिवपूजन पांडेय का सम्मान भी किया जाएगा।
बता दें कि मुंबई पर अब तक राजेश विक्रांत के कार्यों में “मुंबई माफिया: एक एनसाइक्लोपीडिया” (श्री प्रभाकर पवार की मराठी पुस्तक का हिंदी अनुवाद-2012), “आमची मुंबई”-2019, “आजादी की लड़ाई में मुंबई का योगदान” (आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सह लेखन-2022), “स्वातंत्र्य लढ्यातील मुंबईचे योगदान”(आचार्य पवन त्रिपाठी के साथ सहलिखित पुस्तक का सुश्री पल्लवी शिंदे-माने, मैडिसन, विस्कॉन्सिन, अमेरिका द्वारा मराठी में अनुवाद-2024) तथा “मुंबई और हिंदी” ( डॉ. दीनदयाल मुरारका के साथ सह लेखन) और ‘आदिज्ञान’ (संपादक: जीतसिंह चौहान, संस्कृति-साहित्य की शीर्षस्थ त्रैमासिकी का जुलाई 2024-जून 2025) के ‘मुंबई का कोली समुदाय विशेषांक’ का संयोजन और अतिथि संपादन शामिल है। इन महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के राज्य स्तरीय जीवन गौरव सम्मान छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता पुरस्कार-2024-25 से सम्मानित किया गया है। आमची मुंबई-2 का प्रकाशन भारत पब्लिकेशन, मुंबई द्वारा किया गया है।

भारत की कारीगरी ने विश्व मंच पर बिखेरी चमक…लास वेगस में रत्नों के महोत्सव का भव्य समापन

अमेरिका, लास वेगस 

विश्व के सबसे प्रतिष्ठित रत्न एवं आभूषण व्यापारिक आयोजन-जेसीके शो और एजीटीए जेमफेयर 2025-का समापन समारोह वेनिशियन एक्सपो के प्रांगण में रविवार की रात उत्सव की भव्यता और भारत की गरिमा के साथ संपन्न हुआ। चार दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में जहां एक ओर कार्टियर, टिफ़नी, स्वरोवस्की और शोपार्ड जैसे वैश्विक ब्रांड्स की उपस्थिति रही, वहीं भारत की पारंपरिक और आधुनिक कारीगरी ने अपनी अलग पहचान स्थापित की।
इस आयोजन में भारत के लगभग हर प्रमुख आभूषण केंद्र की विशिष्ट कला को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर मान्यता मिली। जयपुर से आए कारीगरों ने पारंपरिक थक्किका कारीगरी और कुंदन-मीना शैली की झलक दिखाई, जो राजस्थानी गौरव का प्रतीक हैं।कोलकाता के शिल्पकारों ने बारीक फिलिग्री वर्क और नक्काशीदार सोने की चूड़ियों की अद्भुत श्रृंखला प्रस्तुत की, जो बंगाल की सूक्ष्मता और कलात्मक बारीकी का परिचायक हैं। चेन्नई और कोयंबटूर से आए कारीगरों ने टेम्पल ज्वैलरी-जिसमें देवी-देवताओं की आकृतियां शुद्ध सोने में उकेरी जाती हैं-का प्रदर्शन कर दक्षिण भारतीय परंपराओं को वैश्विक दर्शकों के सामने रखा।
मुंबई के डिजाइन हाउसों ने 3D प्रिंटिंग तकनीक और AI आधारित डिज़ाइनिंग से बने स्मार्ट आभूषणों की प्रस्तुति दी, जो पारंपरिक सौंदर्य और आधुनिक टेक्नोलॉजी का अद्वितीय समन्वय था। वहीं सूरत के हीरा काटने और पॉलिशिंग विशेषज्ञों ने दुनिया को दिखाया कि ‘फिनिशिंग’ केवल तकनीक नहीं, एक भारतीय परंपरा भी हैं। अमदाबाद और राजकोट के कारीगरों की हाथ से जड़ी जरी-जड़ाऊ कारीगरी और गुजराती नक्काशीदार झुमके ने भी खासा आकर्षण प्राप्त किया।
इसी सांस्कृतिक वैभव के मध्य भारतीय प्रतिनिधि भरतकुमार सोलंकी ने गोलमेज परिचर्चा में कहा, “भारत की आर्थिक समृद्धि के पीछे उसकी कला, कारीगरी और श्रम का अपार बल छिपा हैं। यदि हम अपने कलाकारों और शिल्पकारों को वैश्विक डिजाइन और निवेश मूल्य की मुख्यधारा में लाए, तो न केवल लाखों परिवारों को रोजगार मिलेगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी नई उड़ान मिलेगी।” उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि “Gem & Jewellery Investment Index” जैसे आर्थिक संकेतक तैयार किए जाएं, जिससे आभूषण क्षेत्र पारंपरिक श्रृंगार से निकलकर संरचित निवेश वर्ग में रूपांतरित हो सके।
जैसे-जैसे समापन समारोह आगे बढ़ा, भारतीय स्टॉलों की ओर विदेशी खरीदारों और निवेशकों की कतारें लंबी होती गई। अमेरिकी, यूरोपीय और मध्य-पूर्वी प्रतिनिधियों ने भारत के कारीगरों को सीधे ऑर्डर और साझेदारी प्रस्ताव दिए, जो दर्शाता हैं कि भारत अब केवल कारीगरी नहीं बेच रहा, वह ‘आर्ट बेस्ड इकोनॉमी’ की पहचान बन रहा हैं।
लास वेगस की यह रात न केवल रत्नों की चमक से भरी रही, बल्कि यह भारत की कारीगरी, संस्कृति और निवेश क्षमता का एक वैश्विक उद्घोष भी बन गई। यह इवेंट सिर्फ एक व्यापारिक मेला नहीं था, बल्कि गोल्ड और डायमंड इंडस्ट्री के ग्लैमर, टेक्नोलॉजी और हेरिटेज का मिलाजुला महोत्सव था। भारत इस क्षेत्र में तकनीक, कला और वॉल्यूम-तीनों में अग्रणी बनकर उभरा हैं और इस इवेंट ने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को और सुदृढ़ किया हैं।

सरकार ने नहीं किए हीटवेव से बचने के इंतजाम

– योजना के तहत लगने थे वाटर कूलर, रास्तों पर कूलिंग शैल्टर, फुटपाथों पर शेडिंग स्ट्रक्चर और ग्रीनछत जैसी सुविधाएं

– कांग्रेस ने कहा-ये वादा भी निकला जुमला

रमेश ठाकुर / नई दिल्ली

दिल्ली में झुलसाने वाली भीषण गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है। सड़कों, सार्वजनिक स्थलों, बस स्टॉपों, बाजारों में दिल्लीवालों को अपनी अजीविका चलाने के लिए हीटवेव से जूझना पड़ रहा है, जबकि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अप्रैल के मध्यांतर में हीटवेव से बचाने के लिए जो व्यापक योजना की घोषणा की थी, शायद भाजपा उसको भूल चुकी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि रेखा गुप्ता सरकार ने हीटवेव से दिल्लीवालों को राहत देने के लिए जिस व्यापक योजना की घोषणा की थी, उसमें 3,000 वाटर कूलर, सार्वजनिक स्थानों पर शीतल केंद्र, बस स्टॉपों पर शीतल जल का इंतजाम, फुटपाथों पर छायादार संरचनाएं और हरित छतें आदि बनाने का प्रस्ताव रखा गया था और बड़े अस्पतालों में भीष्ण गर्मी से प्रभावित लोगों के उपचार के लिए हीटवेव वार्ड बनाने की घोषणा की थी। परंतु दिल्ली कांग्रेस द्वारा दौरा करने पर उजागर हो चुका है कि भाजपा सरकार का हीटवेव से निपटने का कोई इंतजाम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि दिल्ली केबिनेट में विस्तृत चर्चा करने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हीटवेव से निपटने की व्यापक योजना की घोषणा की थी, जिसका इस समय झुलसाने वाली गर्मी पड़ने के वक्त जमीनी स्तर पर अता पता नही है। उन्होंने कहा कि जुमले छोड़ना और झूठी योजनाओं का प्रचार करना भाजपा की कार्यशैली का हिस्सा है।
वहीं, ‘आप’ प्रवक्ता घरेंद्र भारद्वाज ने कहा कि 3,000 वाटर कूलर, रास्तों पर कूलिंग शैल्टर, फुटपाथों पर शेडिंग स्ट्रक्चर, ग्रीन छत जैसी सुविधाओं का दिल्लीवाले इंतजार कर रहे हैं, परंतु सरकार इसकी घोषणा करके चुप्पी साधकर बैठ गई है। भाजपा सरकार के लिए दिल्ली की जनता की जान की कीमत सिर्फ कागजों तक सीमित है, वास्तविक परेशानियों को खत्म करने में पूरी नाकाम साबित हुई है।

बीमार महिला कार्यकर्ता को संभालने के वायरल वीडियो ने ले ली भाजपा जिलाध्यक्ष की कुर्सी!

-कार्रवाई एकपक्षीय हुई…वायरल करने वाले को भी सजा मिले-नवर्तमान अध्यक्ष

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

गोंडा जिला भाजपा अध्यक्ष अमर किशोर कश्यप को बीमार महिला कार्यकर्ता को संभालने की कीमत कुर्सी गवां कर देनी पड़ी। उसके वायरल वीडियो मामले में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रांतीय नेतृत्व ने बड़ी कार्रवाई की है। जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। 25 मई को सोशल मीडिया पर भाजपा कार्यालय का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वह एक महिला कार्यकर्ता के साथ नजर आए थे। कार्रवाई के बाद निष्कासित किए गए भाजपा जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप खुद कैमरे के सामने आए। कहा कि हमने पहले ही कहा था कि पार्टी का जो भी निर्णय होगा वह हमें मान्य होगा, लेकिन पार्टी ने एकपक्षीय कार्रवाई की है। पार्टी को इसकी जांच करानी चाहिए। फुटेज जारी करने वालों पर कार्रवाई करना चाहिए। उन्होंने कुछ नेताओं का नाम लेते हुए सीसीटीवी फुटेज वायरल करने का आरोप लगाते हुए इन लोगों को भी निष्कासित करने की मांग की है।
यह वीडियो 12 अप्रैल की रात का था। इसके बाद भाजपा जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप ने सामने आकर कहा था कि वायरल वीडियो उनका है। वह पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता को चक्कर आने पर सहारा दे रहे थे। महिला ने भी सामने आकर खुलकर अपनी बात कही थी। उसने जिलाध्यक्ष को अपना भाई बताते हुए गलत तरीके से वीडियो वायरल करने के मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच मनकापुर पुलिस कर रही है। इन सबके बीच पार्टी नेतृत्व ने भी जिलाध्यक्ष से जवाब मांगा था। इस पर 28 मई को जिलाध्यक्ष ने अपना जवाब दिया था। बीते सात मई को भाजपा जिला प्रभारी विजय बहादुर पाठक दौरे पर आए थे। उस वक्त पार्टी पदाधिकारियों ने खुलकर नाराजगी जाहिर की थी। यही नहीं, कुछ लोगों ने तो बैठक का भी बहिष्कार किया था। इसके बाद जिला प्रभारी ने पूरी रिपोर्ट प्रांतीय नेतृत्व को सौंपी थी। बुधवार की सुबह भाजपा के प्रदेश महामंत्री व मुख्यालय प्रभारी गोविंद नारायण शुक्ला ने जिलाध्यक्ष अमर किशोर कश्यप को पार्टी से निष्काषित कर दिया है।

नगर की डगर

हथकड़ी लिए खड़ी थी दहलीज पर
गुमनाम गलियों का इशारा कर रही थी
दिल की दुकान बंद कर दी थी
दिमाग ने दरवाजा खटखटाया
जाना था किसी और नगर
लड़खड़ाए कांपे कदम
आगे का सवेरा कैसा होगा
इठलाती बलखाती तितली बोली
बेफिक्र चल आगे सब कुछ तेरा होगा
बस आत्मविश्वास रख, तत्पर मत रख
धीरे-धीरे अनजाने से
सब कुछ जाना पहचाना होगा
पर उस डगर को पार करना होगा
बीच में कुछ रुकावट होगी
दुःख सुख की मिलावट होगी
अपना पराया कोई नहीं होगा
पग जरा संभल कर रखना
ये भी तेरा नहीं वो भी तेरा नहीं
चलना है तुझको अपने गुजारे पर
उतनी ही उड़ान भरना
जितनी तुझमें क्षमता हो।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा

प्रेम और समर्पण

प्रेम तर्पण नहीं समर्पण है
प्रेम भाव नहीं भक्ति है
प्रेम पूजा नहीं आराधना है
प्रेम ईश्वर नहीं सखा है
प्रेम गीत नहीं मीत है
प्रेम अगन नहीं लगन है
प्रेम भोग नहीं योग है
प्रेम भाषा नहीं परिभाषा है
प्रेम पथ नहीं परिक्रमा है
प्रेम आशक्ति नहीं विरक्ति है
प्रेम व्यक्त नहीं अव्यक्त है
प्रेम रति नहीं रीत है।
-प्रभुनाथ शुक्ल

शरणार्थी

जहां जमीं पर अंधेरे अधिक होते हैं
वहीं आसमां के तारे अधिक चमकते हैं।
जो पास है मेरे उसे नहीं
जो खो गया उसे संभालना चाहता हूं।
जिस घर को छोड़ आया हूं
उसकी दीवार की ईंटों को
याद कर रहा हूं।
जिस गांव को छोड़ आया हूं
उसके बरगद की छांव की ठंडक से
मैं आज भी सिहर जाता हूं।
जिस मंदिर से भगा दिया गया हूं, आज
उसकी घंटियों की गूंज कानों में सुनता हूं ।
असल में उस मां को छोड़ आया हूं
जिसकी गोद की गर्माहट में पला हूं।
आज भी लगता हे तुझसे बिछड़ कर
किसी दूसरे आदमी की जिंदगी जी रहा हूं।
उस मिट्टी की महक किसी इत्र से कम नहीं
आज भी मेरे रोम-रोम में रची-बसी है।
आज भी जन्म भूमि से बिछड़ने की कसक
रह-रह कर मन को सालती है।
मैं तेरे पास लौट नहीं सकता
उस मिट्टी में अब लोट पोट नहीं सकता।
जी यहां रहा हूं, मरने के बाद
अपने जिस्म की राख तुझमें समेट देना चाहता हूं।
बस घर के एक कमरे से
दूसरे में ही तो आया हूं
आज भी अपने को शरणार्थी मानता हूं।
-बेला विरदी

कलंक

तुम स्त्री जाति पर एक कलंक हो
तुम स्त्री के गौरव, प्रेम, त्याग पर प्रश्न चिह्न हो
पत्नियां तो पति के प्राण, यमराज से भी छीन लाती हैं
तुमने तो अपने पति के प्राण खुद ही हर लिए
पत्नियां तो पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ, तीज व्रत करती हैं
पति पर कोई आंच न आए,
उनकी ढाल बन उनके साथ चलती हैं
तुमने सात फेरे लिए, जन्म-जन्म के साथ का वादा किया
कैसे तुमने अपने पति की हत्या की साजिश रची
तेरी अंतरआत्मा ने तुझे रोका नहीं?
मौत का इशारा करते हुए तेरे हाथों ने तुझे टोका नहीं?
अरे! कलंकनी औरत, तुझे भी यही सजा मिलनी चाहिए
तुझपे भी वार कर उसी पहाड़ी से फेंक देना चाहिए!
पूर्ण हो जाएगा, तुम्हारा हनिमून !!
वंदना मौर्या, इंदौर

स्त्रियां

वे सिर्फ स्त्रियां हैं
नहीं वे जीवन की चकबेनियां
वे जब चलती हैं तो गढ़ती हैं
एक परिवार, एक समाज और एक परिवेश
वे समर्पित और संघर्षशील हैं
घर, परिवार, बच्चे और पति के लिए
वे नींद में जागती हैं और बुनती हैं सपने
वे गतिशील हैं कुम्भार की चाक जैसी
उठ खड़ी होती हैं भोर के साथ
और चलती हैं चांद के पार
चूल्हा, चौका और वर्तन है उनका संगीत
परिवार की चाहत है उनकी संतुष्टि
वे नहीं जाती होटल, रेस्तरां और सिनेमा
चुनती हैं चावल और दाल के दाने
सूप की परछती में उड़ा देती हैं मायके का सुख
और कभी बचती नहीं दाल तो सूखी खाती हैं रोटियां
जेठ की दोपहरी में तोड़ती हैं पत्थर
पीठ पर बच्चों को लाद ढोती हैं ईंटें
वे पति को मानती हैं परमेश्वर
एक जोड़ी बिछुवे, मांग भर सिंदूर और
भरे गोड़ के महावर से रहती हैं खुश
वे नहीं करती स्त्री स्वतंत्रता की बात
वे नहीं होना चाहती बेड़ियों से आजाद
वे बस, चाहती हैं
बेटियों के पीले हाथ, बहू की गोंद में किलकारियां
और शांत होती सांसों में पति का साथ।
-प्रभुनाथ शुक्ल