एड. राजीव मिश्र मुंबई
आज दुइ दिन भवा, गजोधर के बिटवा परेम के बियाह सीहीपुर के चंदू के बिटिया सोनकली से भवा। दुलहिन बिदा होइके ससुराल पहुंचि गई है। पूरे गांव के मेहरारू एक-एक कइके दुलहिन देखि-देखि जाइ रहीं हैं। पूरे गांव में चंदू के मेहरिया सोनकली के सुंदरता के चर्चा होइ रही है। सोनकली के नईहर वाले बिदाई के समय सर समान के साथ-साथ दुइ सौ किलो पाहुर भी भेजें हैं। जेहिके बाटि के चंदू के माई फूलदेई निहाल होइ गर्इं हैं। बहुरिया के साथ प्रâीज, वाशिंग मशीन, कूलर, पंखा अउर न जाने का का आवा है। समान से गजोधर के पूरा घर भरि गवा है। जे भी गजोधर के दुआर पे आवत है चंदू के ससुराल वालन के भरि-भरि के तारीफ कई रहा है। केतना मजबूत बेवस्था रहा भैया, अउर साज-सज्जा तो पुछबय न करो। गांव में मानो अलकापुरी उतार दिए होय। धीरे-धीरे बियाह के चार दिन बीति गवा और आज चंदू के ससुराल से चौथियार आय हैं। अब गजोधर काहें पीछे रहिहैं, उनहु अपने दुआरे एकदम दबंग बेवस्था किये रहें। खाना-पीना के बाद फल बंटा सब खाइ के लंबी-लंबी डकार लिहें। ओहिके बाद शुरू भवा मिलना। एक-एक कइके घर वाले, नात-हित, गांव के सबके मिलना होइ गवा। अब बचे गजोधर अउर चंदू, अंत में सोनकली के बाबू बवंडर प्रसाद गजोधर की ओर बढ़े और उनके उंगरी में सोने के अंगूठी पहिनाय दीहें। गजोधर फूल के कुप्पा होइ गए। ओहिके बाद बवंडर भइया गजोधर के हाथ में एक ठो लिफाफा पकड़ाए अउर बोले ई पकड़ो समधी जी, ई हमरे बिटिया अउर दमाद के बिदाई है। `एहिमा का है भइया?’ एहिमा बिटिया अउर दमाद के शिमला हनीमून के टिकट और होटल के बुकिंग स्लिप अहइ। नई- नई शादी भई है, दूनउ जने जाय घूमिके आवैं, हम लोगन के अउर का चाही? इतना सुनतै गजोधर अंगुरी से अंगूठी निकारि के अपने समधी के मुंह पर फेंकि दिहें और कोने में रखी लाठी लइके अपने समधी की ओर दौरि परे। लोगन के पकरत-पकरत गजोधर अपने समधी के दुइ लाठी मारि दिये। ससुर हमरे बिटवा के राजा रघुवंशी समझे हव? मारि के मूंज कइ देबय ससुर के नाती। तब से लइके आज पांच बरिस होइ गवा, सोनकली नईहर के मुंह नही देखि पार्इं हैं।