प्रोजेक्ट पड़ताल : प्रशासकीय मंजूरी का इंतजार… कर्नाक ब्रिज में देरी पर देरी!..पुल शुरू करने के लिए रेलवे से एनओसी व ट्रैफिक पुलिस की स्वीकृति मिलना बाकी

ब्रिजेश पाठक

कर्नाक ब्रिज को वाहनों की आवाजाही के लिए १० जून तक शुरू किया जाना था, लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी यह ब्रिज शुरू नहीं हो पाया है। ब्रिज शुरू न होने से ट्रैफिक का बुरा हाल है। वहीं मनपा अधिकारियों का कहना है कि ब्रिज का काम पूरा हो गया है। लेकिन यह ब्रिज रेलवे पटरियों के ऊपर से गुजरता है इसलिए रेलवे से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मांगा गया है। एनओसी मिलते ही ब्रिज को शुरू कर दिया जाएगा।
१५४ वर्ष पुराना कर्नाक ब्रिज नवंबर २०२२ में तोड़ दिया गया था, जब एक संरचनात्मक ऑडिट में इसे रोजाना उपयोग के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया और इसके पुनर्निर्माण की सिफारिश की गई थी। इसके बाद अधिकारियों ने नए पुल का निर्माण शुरू कर दिया।
मनपा के एक अधिकारी ने बताया कि पुल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है और हमने १३ से १५ जून के बीच लोड टेस्ट किया है। हमने यातायात पुलिस से पुल का निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट देने के लिए कहा है, जो एक नियमित प्रक्रिया है। साथ ही रेलवे से भी एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) मांगा गया है, क्योंकि यह पुल रेलवे पटरियों के ऊपर से गुजरता है।
हमें उम्मीद है कि इस सप्ताह सभी स्वीकृतियां मिल जाएंगी और हम पुल को अगले सप्ताह की शुरुआत तक खोल सकेंगे। यह नया पुल मस्जिद और सीएसएमटी स्टेशनों के बीच दक्षिण मुंबई में स्थित है और पी’डी मेलो रोड की ओर जाने वाले वाहन चालकों को डाइरेक्ट कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
यातायात होगा सुगम
यह नया पुल ६० करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है और यह एक स्टील का सुपर-स्ट्रक्चर होगा, जिसकी लंबाई ७० मीटर और चौड़ाई ९.५ मीटर होगी। इस पुल पर चार वाहन लेनें होंगी, जिससे यातायात सुगम रहेगा, जबकि पुराने पुल पर केवल दो लेनें थीं।
दोगुना भार सहने की क्षमता
इसका अर्थ है कि नया पुल दोगुना यातायात वहन कर सकेगा। इस पुल पर आधुनिक साइनेज (संकेतक) और लाइटिंग भी लगाई जाएगी। एक बार शुरू होने के बाद कर्नाक ब्रिज दक्षिण मुंबई की सड़कों पर यातायात का बोझ काफी हद तक कम करेगा। हालांकि, इस परियोजना की निविदाएं २०१६ में आमंत्रित की गई थीं, लेकिन पुल को छह साल बाद ही तोड़ा जा सका।

संपादक के नाम पत्र : कुएं बने कचरा कुंडी

एक समय था जब उल्हासनगर के दर्जनों कुओं के पानी का इस्तेमाल परिसर के लोग नहाने और रोजमर्रा के कार्यों के लिए इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज जलापूर्ति विभाग के उचित नियोजन के अभाव और कुओं की अनदेखी करने के कारण जो कुएं कल तक लोगों को जीवन देते थे आज वो कचरे की कुंडी बन गए हैं। उल्हासनगर वैंâप नंबर-२ के आजाद नगर में गुप्ता किराना स्टोर के सामने तथा मुख्य मार्ग से गुप्ता किराना स्टोर जानेवाले मार्ग पर एक कुआं है, जिसमें कचरा फेंका जा रहा है। मनपा प्रशासन को चाहिए कि वो इन कुओं की सफाई कराने के साथ ही उनमें दवाइयों का छिड़काव कर कुएं के पानी को लोगों के इस्तेमाल लायक बनाए। इसके साथ ही कुएं के चारों तरफ जाली लगाई जाए, ताकि लोग कुएं में कचरा न फेंक सकें। ऐसा प्रबंध उल्हासनगर स्थित सभी कुओं पर किया जाए, ताकि लोग कुएं के पानी का इस्तेमाल अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए कर सकें।
– राजदयाल पांडेय, उल्हासनगर

तहकीकात : टेलर का टेरर… भलाई के लिए की ३० से ज्यादा हत्याएं

फिरोज खान

उत्तर भारत के साथ ही कई राज्यों में अचानक लोगों की हत्याएं होने लगीं। आए दिन लाशें बरामद होने के बाद पुलिस की रातों की नींद हराम हो गई। हत्याएं एक तरह से यानी गले में रस्सी लपेटकर मारने के बाद लाशों को झाड़ियों में फेंका जा रहा था। कत्ल का सिलसिला इतना भयानक रूप ले चुका था कि तकरीबन ३० से ज्यादा लाशें बरामद हुईं। ज्यादातर मर्डर हाईवे पर हुआ और वहां कोई सीसीटीवी कैमरा न होने के कारण कातिल का सुराग नहीं लग पा रहा था। डर के माहौल के कारण रात के समय छोटी-बड़ी गाड़ियां हाईवे से गुजरना बंद हो गई थीं। इसी बीच बिलखिरिया इलाके में एक और ट्रक ड्राइवर की लाश मिली। इस बार लाश के साथ-साथ पुलिस को कातिल का सुराग मिला। मौका-ए-वारदात से पुलिस को एक संदिग्ध को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली। पकड़े गए शख्स ने बताया कि सिलसिलेवार तरीके से हो रहे कत्ल के पीछे एक ही व्यक्ति का हाथ है। वह शहर से दूर एक गांव में टेलर का काम करता है। दिन में कपड़े सिलनेवाला टेलर रात में हत्याएं कर लाश को कफन पहनाता है। अब पुलिस के सामने यह सवाल था कि टेलर इस तरह की हत्याओं को क्यों अंजाम दे रहा है? खैर, ३० से ज्यादा हत्याएं करनेवाले टेलर को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपना जाल बिछाते हुए सुलतानपुर स्थित एक छोटे से गांव को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया। कड़ी सुरक्षा के बीच पहुंची पुलिस टेलर को देखकर दंग रह गई कि दुबला-पतला सा एक साधारण व्यक्ति कैसे इतने लोगों की हत्याएं कर सकता है। टेलर को गिरफ्तार करने के बाद जब उसे थाने लाकर पूछताछ की गई तो टेलर द्वारा किए गए खुलासे को सुन पुलिस दंग रह गई। टेलर ने बताया कि उसने एक-दो नहीं, बल्कि ३३ लोगों को मौत के घाट उतारा है। टेलर ने लोगों को मौत के घाट उतारने की चौंका देनेवाली कहानी का खुलासा करते हुए बताया कि वो मर्डर उनकी भलाई के लिए करता था। वह उन्हें मुक्ति दिलाने का काम करता था। उसका सोचना था कि ड्राइवर और क्लीनर की जिंदगी बड़ी तकलीफदेह होती है। उन्हें उस तकलीफ से निजात दिलवाने के लिए वो कत्ल करता था। आरोपी टेलर ने यह भी बताया कि वो अपने मुंहबोले चाचा को अपना गुरु मानता था, जिसने उन्हें अपराध करने के बाद सबूत मिटाने, पुलिस को चकमा देने जैसे तमाम गुर सिखाए थे। तहकीकात पूरी करने के बाद पुलिस ने टेलर को जेल भेज दिया, जो आज उम्र वैâद की सजा काट रहा है।

कातिल निगाहें!

अपनी अदाओं से फैंस के दिलों पर छुरियां चलानेवाली प्रियंका चाहर चौधरी ने अपनी कातिल निगाहों से फैंस को घायल कर दिया।

हो गया चीची का तलाक!

ये कहना गलत नहीं होगा कि जितना चीची यानी गोविंदा ने अपनी एक्टिंग से सुर्खियां नहीं बटोरी, उससे ज्यादा सुर्खियां उनकी पत्नी सुनीता आए दिन अपने बयानों से बटोरती रहती हैं। यकीन न हो तो हमारी मिसेस चटर-पटर से ये खबर सुन लें, जिससे उनके तलाक की बू आ रही है। दरअसल, हाल ही में सुनीता ने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने नाम के आगे से आहूजा सरनेम हटाकर नाम के साथ एक्स्ट्रा ‘ए’ लगा लिया है। बीते कुछ सालों से हर जगह अकेले नजर आनेवाली सुनीता पिछले दिनों अपने जन्मदिन पर भी अकेले ही उज्जैन में कालभैरव मंदिर में पूजा करती नजर आई थीं। हालांकि, अब जब उन्होंने एक बार फिर गोविंदा के साथ अपने तलाक की खबरों को जोर पकड़ते देखा तो धीरे से हमारी मिसेस चटर-पटर के कान में फुसफुसा दिया कि वे मरते दम तक आहूजा रहेंगी। सरनेम हटाकर नाम में बदलाव उन्होंने नेम-फेम पाने के लिए किया है। यानी कि हैप्पी फैमिली के साथ हम साथ-साथ हैं का गाना गाती ६१ वर्षीय सुनीता को अब इस उम्र में नेम-फेम चाहिए? आई नो, आई नो, एज इज जस्ट ए नम्बर, लेकिन अगर वे बता देती कि उन्हें किस तरह का नेम-फेम चाहिए, तो हमें थोड़ी आसानी हो जाती। बाकी हमें क्या, हमारे लिए तो सब चंगा सी।

मुस्लिम वर्ल्ड : धमाकों के बीच स्टूडियो से लाइव!.. सहर बनी ईरान की आवाज

सूफी खान

ईरान इजरायल में हो रही भयानक जंग के बीच राजधानी तेहरान में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ब्रॉडकास्टिंग जो वहां का सरकारी न्यूज चैनल है, उस पर प्राइम टाइम बुलेटिन चल रहा था। वहां की स्टार एंकर सहर इमानी उस वक्त लाइव थीं और वो उस वक्त प्राइम टाइम में खबरें पढ़ रही थीं। लाइव बुलेटिन के दौरान ही जोरदार धमाका होता है। आवाज इतनी भयंकर कि कान सुन्न हो जाएं। स्टूडियो की छत खुल गई थी। इतने तेज विस्फोट के बावजूद एंकर सहर इमानी बच जाती हैं, वो तेजी से लाइव बुलेटिन के बीच अपनी चेयर से उठती हैं और आनन-फानन में बाहर की तरफ भागती हैं।
ये इजरायल का ईरान के टीवी पर खतरनाक हमला था। न्यूज रूम में अल्लाह हू अकबर की आवाज आने लगती है। इसके बाद की कहानी और दिलचस्प है। बताया जाता है कि स्टूडियो में आग लग गई। बावजूद इसके टीवी चैनल का स्टाफ बाहर निकला और उसने कुछ ही मिनटों में स्टूडियो के बाहर से लाइव बुलेटिन शुरू कर दिया। इसके बस कुछ ही मिनट बाद ईरान की जांबाज कही जा रही न्यूज एंकर सहर इमानी फिर चैनल पर लाइव आर्इं और वो अपने साथी एंकर के साथ दुनिया को बता रही थीं कि ये हमारे बोलने की आजादी को दबाने की इजरायली कोशिश थी। ये नया न्यूज बुलेटिन हम फिर लेकर हाजिर हुए हैं इसलिए कि ईरान की करोड़ों औरतों और मर्दों की आवाज बन सके। वो कर रही थीं कि आप किसी के विचारों को मारकर खत्म नहीं कर सकते। टीवी स्क्रीन पर एक टेक्स्ट में लिखा था कि चैनल के सभी प्रोग्राम `बिना किसी व्यवधान के फिर से शुरू हो रहे हैं।’ इसके बाद तो चैनल में इजरायली हमलों की बीच न्यूज पढ़ने वाली और स्टूडियो में डटी रहने वाली एंकर सहर इमानी के वीडियो, तस्वीरें और बुलेटिन तेजी से और वायरल होने लगे। ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई ने सहर की फोटो के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा ये `ईरान की आवाज’ है।
`इजरायली मीडिया को हम नहीं छोड़ेंगे’
सरकारी न्यूज चैनल पर इजरायल के हमले के बाद ईरान बेहद गुस्से में है। सोमवार की रात को ही ईरान ने एलान कर दिया कि इजरायल के न्यूज एंकर और स्टाफ अपने-अपने चैनल खाली कर दें। ईरान ने धमकी दी कि इजरायल के चैनल अब सुरक्षित नहीं हैं। वो इजरायल के मीडिया को नहीं छोड़ेगा।

जगन्नाथपुरी : बहन-भाई का अनूठा मंदिर

शीतल अवस्थी

उड़ीसा के पुरी को भगवान जगन्नाथ का धाम कहा जाता है। हिंदुओं की आस्था का केंद्र है भगवान जगन्नाथ का मंदिर। १२वीं शताब्दी में निर्मित यह प्राचीन मंदिर चार धामों में से एक धाम है। यह भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), बलभद्र व उनकी बहन सुभद्रा को समर्पित है।
हिंदुस्थान की पूर्वी समुद्र तट पर स्थित उड़ीसा राज्य प्राचीन कलाकृति, भव्य मंदिरों, मनोरम हस्तशिल्प और विस्तृत फूल और फलों से परिपूर्ण है। यहां की समृद्ध वनसंपदा, रमणीय हृद, आकर्षक सामुद्रिक विश्राम स्थल और चमत्कारी जलप्रपात पर्यटकों के लिए सदैव आनंददायक रहे हैं। पुरी का जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर और राजधानी भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर को उड़ीसा का स्वर्ण त्रिभुज माना जाता है। श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण १२वीं शताब्दी में गंग वंश के प्रतापी राजा अनंगभीम देव के द्वारा हुआ था। लगभग ८ सौ साल पुराना यह मंदिर कलिंग स्थापत्य कला और शिल्पकला का बेजोड़ उदाहरण है। इसकी ऊंचाई २१४ फुट और इसका आकार पंचरथ जैसा है। इस मंदिर के चारों तरफ दीवारें, जिसे मेघनाद प्राचीर कहते हैं, की लंबाई ६६० फुट और ऊंचाई २० फुट है। श्री मंदिर के चार भाग हैं- विमान, जगमोहन, नाट्यमंडप और भोगमंडप। इस स्थान पर अनगिनत भक्त शांति की खोज में पहुंचते हैं, जो जगन्नाथ मंदिर के त्रय देवताओं द्वारा प्रदान की जाती है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। मंदिर में मुख्यत: तीन विग्रह हैं, बाएं ओर बलभद्रजी, बीच में सुभद्राजी और दाहिने ओर श्री जगन्नाथजी। ये विग्रह नीम के दारु (लकड़ी) से बने हैं। यानी ये सभी मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं। जिस साल मलमास या दो आषाढ़ आते हैं, उसी साल इनका नवकलेवर होता है यानी नए विग्रह बनाए जाते हैं। इस साल सौभाग्य से यह शुभ अवसर आया था। आम तौर पर यह नवकलेवर १२ साल के अंतराल में होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा राजा इंद्रद्युम्न ने की थी। जगन्नाथजी की सारी यात्राओं में से रथयात्रा सर्वश्रेष्ठ है। यह यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीय तिथि में होती है। श्री जगन्नाथजी, बड़े भाई श्री बलभद्रजी और बहन सुभद्रा देवी के साथ सुसज्जित तीन रथों पर बैठकर श्री गुंडिचा मंदिर को जाती है। श्री जगन्नाथजी के रथ को नंदिघोष, श्री बलभद्रजी के रथ को तालध्वज और श्री सुभद्राजी के रथ को देवदलन कहा जाता है। यह एक विस्तृत समारोह है। दस दिन तक यह पर्व मनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ त्रिलोक के स्वामी हैं, उनकी भक्ति से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है, लेकिन खुद इनके हाथ-पांव नहीं हैं। तीनों प्रतिमाओं का समान रूप से हाथ-पांव नहीं होना अपने आप में एक अद्भुत घटना का प्रमाण है। कहा जाता है कि मालवा के राजा इंद्रद्युम्न को भगवान विष्णु ने स्वप्न में कहा था कि समुद्र तट पर जाओ, वहां तुम्हें एक लकड़ी का लट्ठा मिलेगा, उससे मेरी प्रतिमा बनाकर स्थापित करो। राजा ने वैसा ही किया। तब देव शिल्पी विश्वकर्मा एक बुजुर्ग मूर्तिकार के रूप में राजा के सामने आए और एक महीने में मूर्ति बनाने का समय मांगा। उन्होंने शर्त रखी कि जब तक वह खुद आकर राजा को मूर्तियां नहीं सौंपते, तब तक वह एक कमरे में ही रहेंगे और वहां कोई नहीं आएगा। राजा ने शर्त मान ली, लेकिन एक महीना पूरा होने से कुछ दिनों पहले मूर्तिकार के कमरे से आवाजें आनी बंद हो गईं, तब राजा को चिंता होने लगी कि उस बुजुर्ग को कुछ हो तो नहीं गया। इसी आशंका में उन्होंने मूर्तिकार के कमरे का दरवाजा खुलावा दिया। अर्धनिर्मित मूर्तियों के शिवाय कमरे में कोई नहीं था, मूर्तियों के हाथ-पांव नहीं थे। राजा को अपनी भूल पर पछतावा हुआ, तभी आकाशवाणी हुई कि यह सब भगवान की इच्छा से ही हुआ है। इन्हीं मूर्तियों को ले जाकर मंदिर में स्थापित करो। तब से जगन्नाथजी इसी रूप में पूजे जाने लगे। विश्वकर्मा चाहते तो एक मूर्ति पूरी होने के बाद दूसरी मूर्ति का निर्माण कर सकते थे, लेकिन उन्होंने सभी मूर्तियों का काम एक-साथ शुरू किया। इसके पीछे भी एक कथा है, बताते हैं कि एक बार देवकी और रुक्मिणी, श्रीकृष्ण की अन्य रानियों को राधा-कृष्ण की कथा सुना रही थीं। उस समय छिपकर यह कथा सुन रहे कृष्ण, बलराम और सुभद्रा इतने विभोर हो गए कि मूर्तिवत वहीं पर खड़े रह गए। वहां से गुजर रहे देवर्षि नारद ने उनका यह अनोखा रूप देखा, उन्हें ऐसा लगा जैसे तीनों के हाथ-पांव ही न हों। तब नारदजी ने श्रीकृष्ण से कहा कि आपका जो रूप अभी-अभी मैंने देखा है, मैं चाहता हूं कि वह भक्तों को भी दिखे। श्रीकृष्ण ने नारदजी को वरदान दिया कि वे इस रूप में भी पूजे जाएंगे। इसी कारण श्रीजगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के हाथ-पांव नहीं हैं।

दिल बनाम आईना

वो आईना
शीशे का टुकड़ा ही तो था
उसे कभी न कभी तो
टूटना ही था
वो चकनाचूर हो गया…
खैर है उस बेजुबान आईने की
मगर दिल तेरा
पत्थर सा फौलादी, मजबूत था
वो कैसे पसीज गया!
फर्क होता है
‘आईने और दिल’ में
शीशे का वो आईना
दिखता तो है मगर
इनसान को फकत
उसके चेहरे से
पहचान दिलाता है
‘दिल’ खुद
भले ही नहीं दिखता है
कर इनसान का दिल
उसकी तहजीब से
साफ झलक जाता है
आईना बोलता नहीं
वो सिर्फ तुम्हारी
नकल करता है
दरअसल आईने के समक्ष
खड़े रह, मुंह हम फुलाते हैं
बदनाम आईना होता है।
दिल की बात और है
दिल ‘मनमौजी’ भी है
और दिल ‘भावुक’ भी है
ये दिल, जाने कब
किसी पे आ जाए
और जिस पे छा जाता है
उसे ही अपने दिल में
बसा लेता है
न बोलता आईना घूरता जरूर है
पर अहसास नहीं जगाता है
दिल, न बोलकर भी
बहुत कुछ बोल जाता है
भले-बुरे का अहसास जगाता है
आईने ने दिल नहीं बनाया
पर किसी इनसान के
भावुक दिल को जाने क्या सूझी
उसने खुद की पहचान के वास्ते
अपने फन की खूबी से
दर्पण, जिसे हम आम भाषा मे
‘शीशा या आईना’ कहते हैं
शक्ल देखने-दिखाने के वास्ते
इसका आविष्कार कर के
एक सफलता अपने
दिल के नाम दर्ज करा ली।
मगर मलाल उसे
फिर भी सालता है
कि इनसान का बनाया आईना
चाहकर भी किसी व्यक्ति के
जिस्म में पनाह लिए बैठा
‘दिल’ नहीं दर्शा सकता है
आज तक तो संभव नहीं हो पाया है
पर कल का कहा नहीं जा सकता है।
होने को असंभव भी संभव हो सकता है।
-त्रिलोचन सिंह अरोरा

उल्हासनगर महापालिका चुनाव 2025: प्रारूप प्रभाग रचना हेतु बैठक संपन्न

सामना संवाददाता / उल्हासनगर

आगामी उल्हासनगर महानगरपालिका चुनाव 2025 के मद्देनज़र महाराष्ट्र शासन के नगर विकास विभाग से प्राप्त आदेश के तहत “डी” वर्ग की महापालिकाओं के लिए प्रारूप प्रभाग रचना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस सिलसिले में उल्हासनगर महानगरपालिका प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया।

महानगरपालिका के स्थायी समिति सभागार में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त आयुक्त डॉ. किशोर गवस ने की। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। बैठक का उद्देश्य चुनाव आयोग एवं माननीय न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए गोपनीयता और नियमों की कड़ाई से पालन करते हुए प्रभाग रचना की रूपरेखा तैयार करना था।

अतिरिक्त आयुक्त डॉ. गवस ने निर्देश दिया कि प्रभाग रचना के लिए जनगणना आंकड़ों, भौगोलिक एवं प्राकृतिक घटकों को ध्यान में रखते हुए, गूगल मैप जैसी तकनीकी सहायता का उपयोग किया जाए। इसके लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है, जो क्षेत्रीय निरीक्षण कर सीमाओं का निर्धारण करेगी।

उन्होंने आगे बताया कि संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों की एक टीम बनाकर क्षेत्रीय सर्वेक्षण किया जाएगा, ताकि वास्तविक स्थिति के अनुसार विभाजन सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, प्रत्येक प्रभाग का नक्शा तैयार कर, उस पर नागरिकों से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। इन पर सुनवाई कर अंतिम प्रारूप तैयार कर चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया जाएगा।

डॉ. गवस ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्य पूर्णत: निष्पक्ष, पारदर्शी और विधिसम्मत तरीके से किया जाएगा, ताकि आगामी महापालिका चुनावों में कोई बाधा न उत्पन्न हो। बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे समयबद्ध तरीके से कार्य को पूर्ण करें और प्रत्येक चरण की जानकारी उच्चाधिकारियों को नियमित रूप से दें।

मुंबई पुलिस की बड़ी सफलता! … एटीएम से 6.60 लाख की चोरी करने वाला अंतरराज्यीय गैंग पंजाब से गिरफ्तार

सगीर अंसारी
मुंबई: नेहरूनगर पुलिस और क्राइम ब्रांच यूनिट 6 की संयुक्त कार्रवाई में एटीएम सेंधमारी के बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। मुंबई के कुर्ला-पूर्व स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र की एटीएम मशीन से गैस कटर की मदद से ₹6.60 लाख की चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के तीन शातिर अपराधियों को पंजाब से गिरफ्तार किया गया है।

7 जून को सुबह 6:23 से 6:26 के बीच चार अज्ञात चोरों ने कुर्ला के करयान अग्रवाल बैंक शाखा में एटीएम मशीन को काटकर वारदात को अंजाम दिया था। इस गंभीर मामले की जांच नेहरूनगर पुलिस ने बीएनसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कर तकनीकी साक्ष्य के आधार पर अपराध शाखा ने तीन आरोपियों जसविंदर सिंह, जसवीर सिंह और रूपिंदर सिंह को पंजाब से धरदबोचा।

गिरफ्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने चोरी में इस्तेमाल की गई स्विफ्ट डिजायर कार, गैस कटर, नकली नंबर प्लेट, मोबाइल फोन, इंटरनेट डोंगल और अन्य औजार भी जब्त किए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि ये आरोपी पहले भी देश के कई हिस्सों में एटीएम सेंधमारी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।

इस सफलता में पुलिस उपायुक्त समीर शेख के नेतृत्व में नेहरूनगर पुलिस और क्राइम ब्रांच यूनिट 6 की अहम भूमिका रही। पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े अन्य मामलों की भी जांच कर रही है और उम्मीद है कि इससे कई पुराने मामलों का भी खुलासा हो सकता है।

यह कार्रवाई मुंबई पुलिस की सतर्कता और तकनीकी दक्षता का उदाहरण है, जिससे शहर में एटीएम चोरी के मामलों पर लगाम कसने की उम्मीद बढ़ गई है।