मेहनतकश : भाग्य को बदलने में रखते हैं विश्वास

सगीर अंसारी

मेहनत-मजदूरी कर अपने सपनों को साकार करनेवालों का शहर है मुंबई। इस शहर के हर वर्ग के लोगों की अपनी एक अलग कहानी है। हर किसी की कहानी में दर्द, मिठास और ट्रैजेडी है। बिहार के मधुबनी जिला के नवाबगंज गांव के रहनेवाले मोहम्मद सलाउद्दीन अंसारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मोहम्मद सलाउद्दीन अंसारी के पिता मोहम्मद सुल्तान अंसारी वर्ष १९७० में काम की तलाश में बिहार से मुंबई आए। मुंबई में मोहम्मद सुल्तान ने मनपा अस्पतालों में सफाई के लिए इस्तेमाल होनेवाले डस्टर की सप्लाई का काम शुरू किया। मोहम्मद सुल्तान के पांच बेटों में मोहम्मद सलाउद्दीन तीसरे नंबर पर हैं। मुंबई में जन्मे मोहम्मद सलाउद्दीन को उनके पिता परिवार के साथ गांव लेकर चले गए, जहां उन्होंने सातवीं तक शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के बाद मुंबई वापस आए और काम में पिता का हाथ बंटाने लगे। कई वर्षों की मेहनत के बाद मोहम्मद सलाउद्दीन ने समाज में अपना एक अलग मुकाम बनाया। इसी दौरान उनकी शादी हो गई और विवाहोपरांत एक लड़की और दो लड़के के वो पिता बने। मोहम्मद सलाउद्दीन ने अपने पिता के कारोबार के साथ-साथ अपना खुद का कारोबार शुरू किया और बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाई। कमलारामन नगर जैसे गरीब क्षेत्र में परवरिश पाने की वजह से उन्होंने लोगों की परेशानी को काफी करीब से देखा। दिल में लोगों की मदद का जज्बा रखनेवाले मोहम्मद सलाउद्दीन ने १० वर्ष पहले शिवसेना ज्वॉइन कर पार्टी के माध्यम से गरीबों के लिए जनसेवा का काम करने लगे। कोविड के दौरान मोहम्मद सलाउद्दीन ने सामाजिक कार्य करते हुए अप्रवासी मजदूरों को खाना पहुंचाया और उन्हें उनके गांव तक पहुंचाने में मदद की। पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर उन्होंने झोपड़पट्टी वासियों के हित में काफी जनहित कार्य किए। क्षेत्र के गरीब और जरूरतमंद विद्यार्थियों को स्कूल दाखिले से लेकर फीस ड्रेस व जरूरी चीजें उन्होंने मुहैया करार्इं। मरीजों के इलाज के लिए हरसंभव मदद करने व लोगों की हर मुमकिन मदद करने में वे हमेशा आगे रहे। मोहम्मद सलाउद्दीन का मानना है कि मेहनत करके इंसान अपने भाग्य को बदल सकता है। जब भी जिंदगी में गरीबी का आलम आए तो इंसान को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उसको दूर करने के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए।

सुरक्षा रक्षक के अभाव में फव्वारे हुए भंगार

सामना संवाददाता / उल्हासनगर
उल्हासनगर शायद विश्व का पहला शहर होगा, जहां पर धनराशि का जमकर दुरुपयोग जनप्रतिनिधि, अधिकारी तथा ठेकेदार कर करे हैं। उल्हासनगर मनपा के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो शहर की बिगड़ी दशा को सुधार सके। उल्हासनगर में करोड़ों रुपए खर्च करके सैकड़ों फव्वारे चौक, मुख्य रास्ते, बगीचों के अलावा तमाम अन्य जगहों पर लगाए गए हैं, लेकिन आज अधिकांशत: फव्वारे बंद पड़े हैं। बंद पड़े फव्वारों की मरम्मत तक नहीं हो पा रही है। जिन फव्वारों को शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया गया था, वे फव्वारे आज कचरों से पटे पड़े हैं। सुरक्षा दीवार, लोहे की फेसिंग, दरवाजे आदि सब टूटे पड़े हैं। फव्वारों में लगे काफी सामान चोरी हो चुके हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए फव्वारे सुरक्षा रक्षक के अभाव में भंगार हो गए हैं। यही स्थिति मनपा के समाज मंदिर प्रवेश द्वार की भी है, जो अब टूट रहा है। प्रवेश द्वार पर नगरसेवकों के नाम तथा अन्य जानकारियां टूट चुकी हैं। यही हाल बगीचों और सड़कों का भी है। उल्हासनगर की स्थिति ऐसी है कि यहां सड़क बनने से पहले ही व्रैâक हो जाती है। जब हर जगह कमीशन का बोलबाला है तो फिर मनपा के निर्माण की गुणवत्ता, क्वॉलिटी को कौन जांचे, कौन परखे?

अवधी व्यंग्य : मेड़ छँटाई

एड. राजीव मिश्र
मुंबई

गाँव-जवार में जेतनी उपज पूरे खेत मा नाही होत है, ओहि से ज्यादा उपज मेड़ मा होत है। जेहिके देखा हर साल फरुहा से पहिले मेड़ चिकनाई, ओकरे बाद ओहिके घास निकारी फिर सीधा करी अउर सीधा करत-करत एक दिन उ मेड़ एक पातर छीर भरि रहि जात है।
खैर, गाँव में आधा से जियादा रार और झगरा आम, मछरी अउर मेड़ छाँटय का लय के होत है। मेड़ छँटाई भी एक कला हय, जवन सबके नही आवत है। गाँव मा कुछ लोग यहि काम के एक्सपर्ट होत हैं अउर ई कला उ अपने सबसे प्रिय अउर खुराफाती लड़िका के सिखाय के सुरधाम जात हैं। मेड़ छँटाई के पहिला दाँव है खुरपा से मेड़ के घास छीलब। घास छीलत की ई धियान रहे कि खुरपा थोड़ी-थोड़ी दूर पे घास के साथ मेड़ के माटी भी झारि देय अउर माटी झारत की धियान रहे कि मेड़ सीधी लाठी से चलत कीरा की तरह होइ जाय। ई भवा पहिले बरिस के दाँव।
दूसरे बरिस जब ट्रैक्टर वाला खेत जोतय आवै तो ड्राइवर से कहो, ‘भैया तनी मेड़वउ झारि दिहो।’ जब ट्रैक्टर वाला खेत जोति के जाय तो फरुहा लइके मेड़ के सीधा करो अउर ई क्रिया तब तक करो जब तक दस कड़ी के चकरोट दुइ कड़ी के न रहि जाय। डरायो तनिकउ नही। होइहै कछु नही। अरे, जब नाला के बगल मा सटाई के जमीन खोदि के कोचिंग चलि सकत है तो तू तो जमीन के ऊपर खोदत हौ।

५ साल का बच्चा बंदूक लेकर पहुंचा स्कूल

बिहार के सुपौल जिले में बुधवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब एक पांच साल का बच्चा अपने स्कूल में बंदूक लेकर पहुंचा और एक अन्य बच्चे पर गोली चला दी, जिससे कक्षा ३ का छात्र घायल हो गया। यह घटना उत्तर बिहार के सुपौल जिले में हुई, जहां नर्सरी का छात्र अपने बस्ते में बंदूक छिपाकर स्कूल लाया था। पुलिस अधीक्षक शैशव यादव के अनुसार, छात्र ने १० साल के बच्चे पर गोली चलाई, जो उसी स्कूल में कक्षा ३ में पढ़ता है। गोली उसके हाथ में लगी। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है और अभिभावकों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया ह। पुलिस मामले की जांच कर रही है कि इतनी छोटी उम्र का बच्चा बंदूक कहां से और कैसे लाया।

गड्ढों में मिट्टी भरकर की गई लीपापोती …सड़क पर फिसलकर गिर रहे नागरिक

अशोक तिवारी / मुंबई
कुर्ला के ‘एल’ वॉर्ड के अंतर्गत आनेवाले काजू पाड़ा पाइपलाइन रोड से घास कंपाउंड गणेश मैदान तक जानेवाली सड़क को तीन महीने पहले ठेकेदार द्वारा काट दिया गया था। इस सड़क को बीचों-बीच काटा गया था, जिसमें पानी की पाइपलाइन डाली गई थी। पाइपलाइन डालने के बावजूद पिछले तीन महीनों से सड़क जस की तस पड़ी थी। बीचों-बीच सड़क पर बने गड्ढे में पानी भरने से आम नागरिक गिरकर घायल होते रहते थे। ‘दोपहर का सामना’ ने इस संदर्भ में खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद मनपा प्रशासन हरकत में आया। इन गड्ढों में सिर्फ गिट्टी और कंक्रीट डालकर गड्ढों को आनन-फानन में तो भर दिया गया, परंतु उसके ऊपर न तो डामर डाला गया और न ही सड़क को सीमेंटेड बनाया गया। इसके अलावा कहीं-कहीं पर गड्ढों को पूरी तरह से नहीं भरा गया, जिसकी वजह से सड़क पर गिट्टी और मिट्टी उभर आई है। गिट्टी और मिट्टी की वजह से सड़क पूरी तरह से फिसलन भरी हो गई है, जिसकी वजह से न केवल पैदल चलने वाले नागरिक, बल्कि दोपहिया वाहन चालक भी फिसलकर गिर रहे हैं। स्थानीय नागरिक दयानंद मालवी का कहना है कि महानगरपालिका जनता के साथ दुर्व्यवहार कर रही है। बता दें कि काजूपाड़ा में करीब ८०,००० लोगों की आबादी है और उनके बाहर निकलने का यही एकमात्र रास्ता है। पिछले तीन महीने से काजू पाड़ा में ऑटोरिक्शा तक नहीं आ पाया है क्योंकि सड़क को बीचों-बीच से काटा गया है। अंतत: जब गड्ढों में मिट्टी भरी गई तो सड़क पर इतनी फिसलन हो गई कि वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामलों में बाढ़ सी आ गई। इस सड़क के निर्माण को तुरंत पूरा करने की मांग जनता द्वारा की जा रही है।