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दूसरों को परेशान करनेवाले ऑटोरिक्शा चालक ई-बाइक से परेशान!.. सड़कों की समस्या बन चुके हैं ऑटो और ई-बाइक

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई की सड़क पर चलते समय कभी आपके लेन में जबरदस्ती घुस जाना, मुड़ते समय इंडिकेटर न देना, ऑटोरिक्शा चलाते समय कान में इयरफोन पहनना, दूसरे वाहन चालकों से बेवजह उलझना जैसी तमाम बेकार की आदतें रिक्शाचालकों की हैं। महाराष्ट्र की ऑटोरिक्शा चालक-मालिक संघ समिति ने २१ मई २०२५ को राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है।
अपनी आदतों से कभी बाज नहीं आनेवाले इन रिक्शाचालकों को अब ई बाइक से परेशानी है। ई-बाइक अपने आप में एक समस्या है, इनकी हरकतें भी रिक्शाचालकों से कम नही हैं, वो कहते हैं ना एक शेर तो दूसरा सवा शेर।
बता दें कि ई-बाइक की भी शिकायतें लगातार आती रहती है। सिग्नल तोड़ना, नंबर प्लेट साफ न दिखना, हेलमेट न पहनना, रैश ड्राइविंग, इयरफोन पहनकर बाइक चलाना जिससे पीछे बैठे हुए यात्री की जान जोखिम में रहती है। ऑटोरिक्शा यूनियन का यह आंदोलन महाराष्ट्र सरकार द्वारा ई-बाइक टैक्सी सेवाओं को मंजूरी देने के निर्णय के विरोध में किया जा रहा है। पूरे राज्य के सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) के सामने प्रदर्शन किए जाएंगे। संयुक्त समिति के अध्यक्ष शशांक राव ने कहा कि हमारे संगठन ने ई-बाइक टैक्सियों की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिए नियुक्त की गई सरकारी समिति के समक्ष अपनी चिंताएं रखीं थीं। इसके बावजूद, सरकार ने हमसे बिना किसी परामर्श के ही मंजूरी दे दी।
यह एकपक्षीय निर्णय मौजूदा सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र की चिंताओं की पूरी तरह अनदेखी करता है। मुंबई, कोकण, पश्चिम महाराष्ट्र-विदर्भ, मराठवाड़ा, खानदेश और ग्रामीण क्षेत्रों के ऑटोरिक्शा संघ नेताओं की एक संयुक्त बैठक २७ अप्रैल २०२५ को आयोजित की गई। इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि २१ मई २०२५ को आंदोलन किया जाएगा, ताकि ई-बाइक टैक्सी को दी गई मंजूरी को तुरंत वापस लेने की मांग की जा सके। ऑटोरिक्शा संयुक्त कार्रवाई समिति ने सभी संबद्ध संगठनों और उनके सदस्यों से इस आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया है। समिति ने सरकार से पारंपरिक रिक्शाचालकों की आजीविका की सुरक्षा और परिवहन क्षेत्र में न्यायसंगत निर्णय प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की अपील की है

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