मुख्यपृष्ठनए समाचारमतों के ध्रुवीकरण पर मचमच! ...सीएए पर कोई नरम, कोई गरम

मतों के ध्रुवीकरण पर मचमच! …सीएए पर कोई नरम, कोई गरम

संसद से सड़क तक संग्राम कर सकता है सरकार को परेशान

लोकसभा चुनाव के घोषित होने से पहले भाजपा सरकार अपने तरकश में रखे सभी तीरों का इस्तेमाल कर लेना चाहती है। अब उसने सीएए की गेंद उछाल दी है। यह कानून तो काफी पहले बन चुका था और इसके खिलाफ काफी विरोध-प्रदर्शन भी हुआ था, पर इसका नोटिफिकेशन एन चुनाव के पहले जारी किया गया है। सीएए का सबसे ज्यादा असर पूर्वोत्तर राज्य में असम में पड़ना है। वहीं से आंदोलन की शुरूआत हुई थी जो बाद में दिल्ली के शाहीनबाग तक पैâल गई थी।
यह सभी को पता है कि सीएए का मतलब वोटों का ध्रुवीकरण होना है। अब इस पर मचमच शुरू हो गई है। भाजपा ने गत जनवरी में अधूरे मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा करके चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी थी। दो दिन पहले पीएम मोदी ने देश में लाखों करोड़ रुपयों की सड़क परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की हैं। इसके अलावा चुनावी बॉन्ड का मामला भी भाजपा के गले की हड्डी बन गया है। इससे ध्यान भटकाना भी भाजपा के लिए जरूरी था।
सीएए कानून के तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को हिंदुस्थान की नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। केंद्र द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दरअसल, २०१९ के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने सीएए को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। गृह मंत्री अमित शाह हाल ही के अपने चुनावी भाषणों में कई बार सीएए को लागू करने की बात कर चुके थे। अब केंद्र सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू कर दिया है। सीएए के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल तैयार किया है। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। मगर चूंकि असम में मामला बिगड़ सकता है इसीलिए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सीएए के बहाने दूसरे राजनीतिक दलों को धमकी भी दे दी है कि अगर उन्होंने इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया तो यह अदालत की अवमानना होगी और इससे उस पार्टी का रजिस्ट्रेशन रद्द भी हो सकता है।
गौरतलब है कि असम में ही सबसे पहले सीएए के खिलाफ हंगामा शुरू हुआ था। हिमंता बिस्वा सरमा का कहना है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९ (सीएए) के किसी भी विरोध को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि कानून पहले ही बन चुका है। हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन अगर कोई राजनीतिक दल अदालत के आदेश की अवहेलना करता है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। गौरतलब है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च २०१९ के एक आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि सड़क और रेल नाकेबंदी सहित सभी प्रकार के बंद अवैध और असंवैधानिक हैं। इसने असम सरकार को एक बंद हानि मुआवजा कोष गठित करने का भी निर्देश दिया था और बंद का आह्वान करने वालों से नुकसान की वसूली का रास्ता खोल दिया था। उन्होंने सीएए लागू होने पर विपक्ष द्वारा तीव्र आंदोलन की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर कोई राजनीतिक दल उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता है, तो हम चुनाव आयोग के पास जाएंगे।’ बता दें कि विपक्षी दलों, छात्रों और अन्य संगठनों ने सीएए के खिलाफ तीव्र विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। १६-पार्टी यूनाइटेड अपोजिशन फोरम असम (यूओएफए) ने शुक्रवार को राज्य के कलियाबोर में धरना प्रदर्शन किया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे।

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