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सिटीजन रिपोर्टर : उल्हासनगर में कामगारों का हो रहा है शोषण

उल्हासनगर
उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में निजी व ठेकेदारी प्रथा पर काम कर रहे हजारों कामगारों को सरकार द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक सुविधा न देते हुए सालों-साल से अत्याचार किया जा रहा है। कामगारों पर ठेकेदार, मालिकों के द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ कामगार संगठन कार्रवाई की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि सहायक कामगार आयुक्त के बुलाने के बावजूद ठेकेदार आयुक्त कार्यालय में जाने को तैयार नहीं हैं। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर संदीप गायकवाड कामगारों की समस्या को प्रकाश में लाए हैं।
संदीप गायकवाड ने बताया कि उल्हासनगर में लाखों लोग काम करते हैं, परंतु केंद्र व राज्य सरकार के बनाए कानून को अधिकांश मालिकों द्वारा ठेंगा दिखाया जाता है। कामगारों के हित के लिए बनाई गई यंत्रणा तक मजबूर होती दिखाई दे रही है। उल्हासनगर के काफी कामगारों को बीमा और पीएफ जैसी सुविधाएं नहीं हैं। ताज्जुब की बात ये है कि दोनों ही सरकारों के कामगार हितों के रक्षक जब अपने आपको अधिकार विहीन समझने लगें तो गरीब, मजदूरों को न्याय कौन दिलाएगा? कचरा संकलन के साथ ही सफाई करनेवाले कामगारों को समय पर वेतन न देते हुए उनके स्वास्थ्य व सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है। कामगार व इनके परिवार के स्वास्थ्य, सुरक्षा की व्यवस्था की जाए उसके लिए लढ़ा कामगार संगठन के पदाधिकारियों को भूख हड़ताल करनी पड़ती है। सहायक कामगार आयुक्त-कल्याण ने एक नहीं आठ बार कार्यालय में पक्ष सुनने के लिए बुलाया पर ठेकेदार एक बार भी कार्यालय में नहीं पहुंचा। इस बात से खुला संकेत मिलता है कि ठेकेदार कानून के रक्षक अधिकारियों को नहीं मानता।
उल्हासनगर का कचरा संकलन तथा शहर की सफाई का जिम्मा कोणार्क ग्रीन इनवायरो को ठेके पर दिया गया है। ८०० कामगार शहर की सफाई कर रहे हैं, परंतु कामगारों को परिचय पत्र, समय पर वेतन नहीं दिया जाता है। जितना वेतन दिया जाता है वो पर्याप्त नहीं है। न्यूनतम वेतन कायदा लागू किया जाए, वेतन स्लिप नहीं दी जाती है। कामगार, भविष्य निर्वाह निधि, राज्य कामगार बीमा योजना शुरू की जाए। काम का समय निर्धारित नहीं है। निरीक्षक व वाहन चालक को मोबाइल दिया जाए, जिससे अड़चन न हो। किसी तरह की गलती न होने पर वाहन चालक को आर्थिक दंड न दिया जाए। कामगारों को सुरक्षा के साधन दिए जाएं, जो नहीं दिया जा रहा है। कामगारों के स्वास्थ्य को लेकर मनपा का स्वास्थ्य विभाग उदासीन है। कामगार को कानूनी सुविधा नहीं दी जा रही है। वेतन स्लिप नहीं देने से कामगारों के वेतन से काटी गई राशि का ब्यौरा नहीं मिल पाता है। ठाणे जिले के उल्हासनगर में शहर की साफ-सफाई करनेवाले कामगारों को सताया जा रहा है। इतनी गंभीर समस्या को लेकर मनपा आयुक्त अजीज शेख गंभीर नहीं हैं। संदीप गायकवाड़ ने शिकायत की प्रति आयुक्त से लेकर, जिलाधिकारी, सहायक कामगार आयुक्त को दी है। संदीप गायकवाड़ ने आगे बताया कि उल्हासनगर में मशीन में दबकर, ऊंचाई से गिरकर दर्जनों लोगों की मौत हो गई है। इतना ही नहीं, अब तक सैकड़ों लोग अपंग हो गए हैं। उनकी अनदेखी पुलिस के साथ ही अन्य विभागों द्वारा की जाती रही है। उल्हासनगर मनपा में जल विभाग में काम करनेवाले वाल्व मैन, पंप मैन को पोशाक, वेतन स्लिप, समय पर वेतन न देने के साथ ही परिचय पत्र तक भी नहीं दिया जाता है। ईएसआईएस, पीएफ जैसे केंद्रीय सरकार के अधिकारी कामगारों की सही संख्या तक नहीं रख पाए हैं। उल्हासनगर में कितने ठेकेदार हैं और उनके अंडर कितने कामगार काम कर रहे हैं इसकी जानकारी तक नहीं है? कामगार आयुक्त कार्यालय द्वारा जांच की सूचना पहले ही मिल जाने पर निजी कारखाने वाले कामगारों को या तो छुट्टी दे देते हैं या दूसरे दरवाजे से कामगारों को भगा देते हैं।
कामगारों को रोज पगार दिया जाता है। इस तरह के बोर्ड के नीचे कामगारों के अधिकारों का हनन शुरू है। सरकार ने कामगारों के लिए कानून तो काफी बनाए हैं, परंतु सरकारी अधिकारियों की किताब तक ही सीमित रह गई हैं। उस पर अमल नहीं होता है, जो कामगार कानूनी अधिकार की बात करता है उसे घर का दरवाजा दिखाया जाता है अर्थात नौकरी से छुट्टी कर दी जाती है। इस तरह अत्याचार सहन करते हुए कामगार काम कर रहे हैं।

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