मुख्यपृष्ठसंपादकीयतानाशाही की हार होगी!

तानाशाही की हार होगी!

हिंदुस्थान में पिछले दस वर्षों में लोकतंत्र की पूरी तरह से धज्जियां उड़ गई हैं। तब भी ‘दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र’ का ढोल बजाया जाता है। अब इस देश में लोकतंत्र रहेगा कि मोदी-शाहकृत तानाशाही की शुरुआत होगी? यह देश की जनता को तय करना है। लोकसभा के रणसंग्राम की घोषणा हो गई है। देश में १९ अप्रैल से एक जून तक सात चरणों में चुनाव होंगे। पंडित नेहरू से नरसिम्हाराव, मनमोहन सिंह तक दो-चार चरणों में ही चुनाव होते थे। अब ‘चंद्रयान’ भेजनेवाले देश को सात चरणों में चुनाव कराना पड़ रहा है। २००४ में लोकसभा चुनाव ४ चरणों में हुआ था, लेकिन उसके बाद दुनिया तेजी से बदली है। भारत में भी विज्ञान, तकनीकी ने उड़ान भरी, ‘डिजिटल इंडिया’ का श्रेय तो प्रधानमंत्री मोदी ले ही रहे हैं। फिर पूरे देश में एक ही दिन में चुनाव कराने की क्षमता हमारे चुनाव आयोग के पास क्यों नहीं है? चुनाव आयोग ने समय सारिणी घोषित कर दिया है। भाजपा की सुविधानुसार है, ऐसा प्रथमदृष्ट्या ये स्पष्ट होता है। तानाशाहीवाले देशों में भी चुनाव की समय सारिणी घोषित होती है। रूस में भी राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए मतदान शुरू है। पुतिन को फिर से सिंहासन पर बैठाने के लिए वहां के चुनाव आयोग का स्वांग शुरू है। पुतिन के रूस में भी लोकतंत्र, स्वतंत्रता, मानवाधिकार का दमन शुरू है तो फिर भारत में इससे अलग क्या हो रहा है! अब की बार हम ‘चार सौ’ जीतेंगे, यह अहंकार इसी हेराफेरी से आता है। तानाशाह लोकतंत्र का चोला ओढ़कर राज कर रहा है। सरकारी खर्च से, सरकारी यंत्रणा का पूरी तरह से दुरुपयोग करके मोदी भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। यही तानाशाही के मुख्य लक्षण हैं। देश के उद्योगपति, ठेकेदारों से तिजोरी में छह हजार करोड़ चुनावी फंड जमा किया और विरोधियों की मदद करनेवाले उद्योगपतियों पर छापे डाले। इसे ही तानाशाही कहना होगा। फिर देश के चुुनाव आयुक्त चुनावी कार्यक्रम घोषित करते हुए बड़ी ही सहजता से कहते हैं, चुनाव काल में मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। इस सख्त उपाययोजना में क्या भाजपा के अमीर उम्मीदवारों और मोदीभक्तों का समावेश होगा? छह हजार करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स भ्रष्टाचार और अपराध के रूप में पैसों की गंगोत्री है, जो भाजपा के खाते में जमा हुई। चुनाव आयोग ने उस पर क्या कार्रवाई की? दुम दबाए हमारा चुनाव आयोग मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है, तब आश्चर्य होता है। चुनावों में होनेवाली गड़बड़ी को रोकने के लिए आयोग ने धनशक्ति, गुंडागर्दी, अफवाह फैलानेवालों और आचार संहिता का उल्लंघन, ऐसे चार अपराधों पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन यह चारों गुनाह करनेवाले लोग भाजपा के ही हैं। पुलिस का उपयोग कर भाजपा चुनाव यंत्रणा को अपने कब्जे में लेगी। गुंडे और पैसे उनके पास हैं ही। इसलिए चुनाव आयोग को भारतीय जनता पार्टी पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। चुनाव लोकतंत्र का उत्सव होता है लेकिन पिछले १० वर्षों में तो यह पैसों और भीड़तंत्र का विकृत उत्सव बन गया है। पूरे देश में चुनाव हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं होगा। फिर कश्मीर में धारा ३७० हटाने का क्या लाभ हुआ? कश्मीर को देश की चुनाव प्रक्रिया से अलग रखना घातक राजनीति है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में ५ चरणों में चुनाव हो रहे हैं। महाराष्ट्र पर कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, महाराष्ट्र में शांति है। फिर भी चुनाव पांच चरणों में कराना, यह रहस्य है। पूरे देश में चुनाव प्रक्रिया चलेगी। प्रगति और विकास का यह लक्षण नहीं है। भारतीय जनता पार्टी हमेशा चुनाव प्रचार में लीन रहनेवाली पार्टी है। प्रधानमंत्री मोदी चुनकर आने के बाद पांच वर्षों तक भाजपा और खुद का प्रचार करते रहे हैं। मोदी की यह आत्ममग्नता ही तानाशाही है। सत्य और स्पष्ट बोलनेवालों का सिर कलम कर देना ही मोदी सरकार की नीति है। प्रधानमंत्री मोदी ने कल ईडी और अन्य जांच एजेंसियों की फिर से प्रशंसा की। इन्हीं जांच एजेंसियों के माध्यम से मोदी ने भाजपा के खाते में हजारों करोड़ रुपए जमा किए। इसलिए मोदी उनकी ‘नाजी’ फौज की तारीफ तो करेंगे ही! इस नाजी फौज के दम पर मोदी आगामी चुनाव जीतने की भाषा बोल रहे हैं तो यह दुनिया में लोकतंत्र का दुर्भाग्य होगा! मोदी के प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल अन्याय और भ्रष्टाचार का काल साबित हुआ। मोदी के कार्यकाल में आर्थिक अपराधियों को खुली छूट मिली। क्योंकि ये सभी अपराधी भारतीय जनता पार्टी को हजारों करोड़ रुपए की रिश्वत देते थे। देश को लूटने की खुली छूट रिश्वतखोरों की दी गई और लूट का हिस्सा सत्ताधारियों तक पहुंचा। यह सब सुप्रीम कोर्ट ने उजागर किया है। मोदी सरकार की खूब फजीहत हुई, बचा हुआ वस्त्रहरण ४ जून को होगा। इस दिन देश में तानाशाही की पराजय हो गई होगी!

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