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संपादकीय : ‘नीट’ की दुकानदारी …‘ऐसे बनेंगे विश्वगुरु?’

ज्ञानार्जन, विद्यार्जन और समग्र शिक्षा की उज्ज्वल और महान परंपरा से लाभान्वित हिंदुस्थान के शैक्षणिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और सौदेबाजी आक्रोश और चिढ़ पैदा करने वाली है। मोदी के राज में देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है और दिल्ली से लेकर गल्ली तक फैले भ्रष्टाचार के कैंसर ने देश के शिक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। ‘नीट’ परीक्षा में हुआ भयानक घोटाला इसी सड़ी-गली और बिकाऊ शिक्षा व्यवस्था का एक क्षोभजनक उदाहरण है। मेडिकल शाखाओं में एडमिशन के लिए होने वाली ‘नीट’ परीक्षा में हुए महाघोटाले में हर दिन जो नए-नए खुलासे हो रहे हैं, देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था और इज्जत चौराहे पर टंगी नजर आ रही है। हैरानी की बात यह है कि नीट परीक्षा घोटाले के पर्दाफाश के बाद भी केंद्र सरकार और शिक्षा विभाग यह दिखावा करने की कोशिश करते रहे कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं। एक तरह से यह घोटालेबाजों को अप्रत्यक्ष संरक्षण देने का प्रयास था। पेपर लीक का यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सोशल मीडिया पर सरकार की किरकिरी होने लगी, तब जाकर अब सरकार का माथा ठिकाने पर आया और सरकार ने मामले की सीबीआई जांच शुरू कर दी। सरकार ने जो दूसरी कार्रवाई की वह एनटीए प्रमुख के खिलाफ। सरकार ने एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को हटा तो दिया, लेकिन उनकी जगह सेवानिवृत्त अधिकारी प्रदीप सिंह खरो को नियुक्त कर एनटीए के अनियमित कारोबार में अनुशासन वैâसे लाया जा सकता है? इसके अलावा सरकार ने एनटीए के प्रशासन को स्वच्छ और पारदर्शी बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त की है और उनसे दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। सरकार द्वारा उठाए गए ये तीन कदमों से क्या नीट परीक्षा के २३ लाख छात्रों को न्याय मिल पाएगा? ६ जुलाई से मेडिकल छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। पेपर लीक घोटाले पर सवाल बरकरार रखते हुए यदि यह प्रवेश प्रक्रिया लागू हो गई तो जो छात्र पैसे फेंककर ‘टॉपर’ बने हैं, वे असली ब्रिलियंट छात्रों को कुचलकर सरकारी कॉलेजों में सम्मानजनक सीटें हासिल कर लेंगे और वे ब्रिलियंट छात्र जो दिन-रात मेहनत करने के बावजूद घोटाले के कारण पिछड़ गए हैं, उन्हें पैसे देकर निजी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेना पड़ेगा। इसी वजह से देशभर के छात्रों और अभिभावकों में आक्रोश है। अगर दो-तीन महीने बाद घोटाला साबित हो गया तो क्या सरकार पूरी प्रवेश प्रक्रिया रद्द कर देगी? इसलिए सबसे बेहतर तरीका यह है कि पिछली नीट परीक्षा रद्द कर दोबारा ली जाए। देशभर के लाखों छात्र भी यही न्याय चाहते हैं। लेकिन इसे नजरअंदाज कर सरकार कमेटी और रिपोर्ट के जरिए समय क्यों बर्बाद कर रही है? इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को होने वाली नीट-पीजी परीक्षा को अचानक रद्द कर दिया है। सरकार ने सिर्फ ११ घंटे पहले ही परीक्षा पोस्टपोन कर दी जबकि अलग-अलग शहरों में परीक्षा केंद्रों पर छात्र पहुंच चुके थे। इसे बचपना नहीं तो क्या कहा जाए? हालांकि, नीट मामले में अब सीबीआई ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस कार्रवाई में देरी अक्षम्य है। नीट परीक्षा ५ मई को हुई थी। लेकिन उससे पहले ही सोशल मीडिया के जरिए यह खबर पैâल गई कि इस परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक हो गया है और इसे खुलेआम बेचा जा रहा है। ‘पैसे फेंको और नीट क्वेश्चन पेपर खरीदकर जितने चाहें उतने अंक प्राप्त करो’ इस परीक्षा में सक्रिय दलालों द्वारा ऐसा चल रहा था। उसी वक्त सरकार के शिक्षा महकमे व ‘एनटीए’ ने इस गंभीर मामले को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? बिहार और गुजरात राज्य में तो क्वेश्चन पेपर लीक कर बेचने वाले और परीक्षा के लिए मनमाफिक सेंटर दिलाने के गोरखधंधे का खुलासा हुआ था। इनमें से कुछ दलालों और छात्रों को गिरफ्तार भी किया गया। क्वेश्चन पेपर्स की बिक्री से उसके करोड़ों रुपए के टर्नओवर की बात सामने आई। कितने लाख रुपए खर्च कर क्वेश्चन पेपर व आंसर पेपर खरीदे गए, किस तरह रातभर रट्टाबाजी की और वही क्वेश्चन पेपर दूसरे दिन परीक्षा में किस तरह से आया, यह सारी कहानी छात्रों द्वारा कहे जाने पर भी एनटीए द्वारा इस मामले को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया जाना, संदेहास्पद है। बिहार पुलिस के बार-बार अनुरोध के बावजूद दिल्ली में बैठे एनटीए अधिकारियों ने पेपर-लीक मामले और खरीद-बिक्री घोटाले की जांच में सहयोग नहीं किया। इसके उलट एनटीए और शिक्षा विभाग ने इस घोटाले पर पर्दा डालने की भूमिका निभाई। इसलिए अब यह जांचना जरूरी हो गया है कि इस घोटाले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों और एनटीए की कोई संलिप्तता है? नीट का पेपर वास्तव में कहां से आया? क्या इसी परीक्षा में यह गड़बड़ी हुई या पिछले कुछ सालों से नीट परीक्षा में यह गड़बड़ी चल रही थी? जब नीट परीक्षा में घोटाला और क्वेश्चन पेपर्स की खरीद-फरोख्त हो रही थी, तब क्या देश का सरकारी तंत्र सो रहा था? या फिर सीबीआई और ईडी जैसे तंत्र सरकार ने विपक्ष को ब्लैकमेल करने के लिए ही रखे हैं? देश को विश्व गुरु बनाने की डींगें यह सरकार हांकती है; क्या नीट सहित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक कर और बेचकर हम विश्व गुरु बनने जा रहे हैं? नीट परीक्षा में पैसों का बाजार लगाकर टॉपर्स की खूब बरसात की गई। सीबीआई जांच जारी रहेगी; लेकिन नीट की इस दुकानदारी की जानकारी एजुकेशन मिनिस्टर और स्वयं घोषित विश्व गुरु को देनी होगी!

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