मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : पहली बारिश में खुल गई पोल

संपादकीय : पहली बारिश में खुल गई पोल

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने राणा भीमदेवी के अंदाज में दहाड़ लगाई थी कि मानसून के दौरान मुंबई में पानी नहीं भरेगा, मुंबई नहीं रुकेगी। यह भी दावा किया गया कि इस मानसून सीजन में मुंबईकरों को बिल्कुल भी परेशानी नहीं होगी। लेकिन सोमवार को हुई पहली बारिश ने ही मुख्यमंत्री की गरज को भरे हुए पानी में डुबो दिया। रविवार रात से सोमवार सुबह तक मुंबई शहर और उपनगरों के साथ-साथ ठाणे, पालघर जिले में भारी बारिश हुई। इस बारिश ने राज्य सरकार के कुप्रबंधन की इज्जत को चौराहे पर टांग दिया। कम समय में भारी वर्षा और उसी वक्त ज्वार की वजह से जल का निकास नहीं हो सका। परिणामस्वरूप, निचले इलाकों में पानी जमा हो गया, सरकार ने हमेशा की तरह अपनी सफाई दी। अगर आपको इसी का राग अलापना था तो आपने क्यों बड़ी-बड़ी डींगें हांकी, ‘मुंबई में पानी नहीं भरेगा, मुंबई नहीं रुकेगी’? मुंबईकरों से झूठे वादे क्यों किए? सोमवार की सुबह होने से पहले ही मुंबई जैसे महानगर की सारी संचार व्यवस्था ही सिर्फ चार-पांच घंटे की बारिश में चरमरा कर ढह गई। यह आपके प्री-मानसून कार्य का स्तर है। पहली ही बारिश ने आपकी बदइंतजामी की पोल खोल कर रख दी। लाखों सामान्य मुंबईकरों और नौकरीपेशा लोगों का बुरा हाल हो गया। नि:संदेह, आपका इससे क्या लेना-देना है? अब कहा जा रहा है कि महानगरपालिका ने कहा है कि वह सोमवार को उन स्थानों का अध्ययन करेगी जहां पानी जमा हुआ है और इस बात का ध्यान रखेगी कि वहां फिर से पानी जमा न हो। सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने से क्या फायदा? मानसून से पहले सोते रहना और मुंबई में पानी भर जाने पर जाग जाने का नाटक करना। आपने नाला सफाई और मानसून पूर्व कार्यों के खूब दावे किए थे। आपने जबरदस्त दावा किया था कि नालों की सफाई १०० नहीं बल्कि ११० प्रतिशत पूरी हो चुकी है। आपने यह भी कहा कि इस साल नालों की सफाई और मैनहोल व्यवस्था में काफी सुधार किया गया है। आपने शेखी बघारते हुए कहा था कि मुंबई में ४८१ पंप लगाए गए हैं, जहां बारिश के दौरान पानी जमा हो जाता है लेकिन आपके सारे दावे सोमवार की बारिश ने आप ही के गले में डाल दिए। जल निकासी पंप, पंपिंग स्टेशन और अन्य आवश्यक प्रणालियां होने के बावजूद, पहली बारिश ने मुंबई को डुबा दिया। आपकी दहाड़ ‘मुंबई न डूबेगी, न रुकेगी’, ११० फीसदी नालों की सफाई का दावा, इसके लिए खर्च किए गए २५० करोड़ रुपए पहली बारिश में बह गए। दोष केवल बारिश का नहीं है, बल्कि आपके ‘कट एंड कमीशन’ कारोबार का है, आपका प्रेम मुंबईकरों के बजाय पसंदीदा ठेकेदारों के प्रति है। नालियां साफ करने की बजाय ‘रेड कार्पेट’ पर खड़े होकर ‘फोटो’ खिंचवाना खुद को चमकाने का है। आपको न तो मुंबई से प्यार है और न ही मुंबईकरों के प्रति कोई जिम्मेदारी इसीलिए पहली ही बारिश में आपके कामकाज की पोल खुल गई और इसका खामियाजा आम मुंबईकरों को भुगतना पड़ा। आप इस जिम्मेदारी से हाथ नहीं झटक सकते। मुंबईकरों को खोखले वादे करने के बजाय, नाली सफाई में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की जांच करने की हिम्मत दिखाएं। मुंबई में भरी एक-एक बूंद और नाली सफाई के भ्रष्टाचार में ‘बर्बाद’ हुए मुंबईकरों के एक-एक पैसे का हिसाब दें। मुंबईकर भी इसे आपसे लेने ही वाले हैं। वह वक्त दूर नहीं है!

अन्य समाचार