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कश्मीर में जश्न-ए- बहार का मौसम आया! ….-बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों पर फूल देखने को उमड़ी भीड़

 23 से ट्यूलिप गार्डन में खिलेंगे ट्यूलिप

सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

कश्मीर में जश्ने बहार का मौसम आ गया है। अगर मौसम ने साथ दिया तो आप 17 लाख से अधिक ट्यूलिप के फूलों को शनिवार से निहार सकते हैं। वैसे बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों पर फूल समय से पहले आ चुके हैं, जिन्हें निहारने को भीड़ उमड़ने लगी है।
दरअसल, जैसे-जैसे सर्दियों की ठंड धीरे-धीरे बसंत की हल्की गर्मी की जगह ले रही है, कश्मीर का प्रतिष्ठित बादामवाड़ी गार्डन बादाम के फूलों की लुभावनी सुंदरता के साथ जीवंत हो गया है, जो स्थानीय लोगों के लिए बहुत खुशी की बात है, जो उत्सुकता से इस वार्षिक दृश्य का इंतजार करते हैं। जाफरान कॉलोनी श्रीनगर के निवासी अजान का कहना है कि हम कश्मीरियों के लिए बादामवाड़ी गार्डन में बादाम के पेड़ों का खिलना एक पोषित और सुंदर दृश्य है, जो बसंत की शुरुआत का प्रतीक है। यह एक ऐसा दृश्य है, जो हमारे दिलों को खुशी से भर देता है और हमें हमारी भूमि की लचीलेपन की याद दिलाती है।
मुंबई से कश्मीर घूमने आए एक पर्यटक राहुल ने बताया कि बादामवाड़ी गार्डन के बादाम के खिलने की मनमोहक सुंदरता और बसंत का आगमन आपकी नग्न आंखों से स्वर्ग को देखने जैसा है। बर्फ से ढके पहाड़ों की पृष्ठभूमि के खिलाफ गुलाबी और सफेद फूलों की जीवंत छटा लोगों में आश्चर्य और श्रद्धा की भावना पैदा करती है। बादाम के फूलों को निहारने बादामवाड़ी गार्डन में आए एक अन्य स्थानीय निवासी साहिल के बकौल, यह सुंदरता अद्वितीय है। यह एक परी कथा में कदम रखने जैसा है, जहां हर पेड़ नाजुक फूलों से सजा हुआ है। बसंत के आगमन का जश्न मनाने के लिए परिवार फूलों के बीच इकट्ठा होते हैं और हवा एक उत्सव के रूप से भर जाती है।
बादामवाड़ी का इतिहास
एक जमाने में धूम मचाने वाला यह ऐतिहासिक बाग तकरीबन 28 साल तक सही देख-रेख न मिलने के कारण अपनी साख खो चुका था। यहां तक कि उस समय की सरकार की गलत नीतियों के कारण बादामवाड़ी, जो 309 वर्ष पहले 750 कनाल जमीन पर फैली थी, सिमटते-सिमटते केवल 280 कनाल तक ही सीमित रह गई, क्योंकि सरकार ने वहां पर तिब्बती कॉलोनी का निर्माण किया। इसको नए सिरे से सजाने-संवारने के लिए जेके बैंक ने इसके निर्माण की जिम्मेदारी संभाली थी। वर्ष 2006 में इसका दोबारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था।
तकरीबन 280 कनाल तक फैले हुए इस बाग को बड़ों के साथ-साथ बच्चों के आकर्षण के हर सामान से सजाया गया है, जिसमें एक किमी लंबा जौगर, तकरीबन तीस मीटर ऊंचा बादाम के आकार का फव्वारा भी शामिल है। इस अवसर पर यादें ताजा करते हुए लोगों का कहना था कि बादामवाड़ी केवल एक पर्यटनस्थल ही नहीं, बल्कि इसके साथ हमारा इतिहास भी जुड़ा है। ये जगह हमारी परंपरा का प्रतीक भी है।

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