मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : तबेले में मजदूरी कर हासिल की कामयाबी

मेहनतकश : तबेले में मजदूरी कर हासिल की कामयाबी

अशोक तिवारी

मात्र चौथी तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद बरसों तक तबेले में गोबर फेंकने और मजदूरी करनेवाले शख्स ने जिंदगी में कामयाबी का एक बड़ा मुकाम हासिल किया। उसने मेहनत के बलबूते पर करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित की और अपने तीन बच्चों को कामयाब बना दिया। उसके बावजूद शिव बहादुर आज भी कुर्ला टर्मिनस से टैक्सी चलाने का काम करते हैं। जिंदगी के ६० बसंत देख चुके शिव बहादुर दल्लू प्रसाद यादव का दावा है कि जब तक उनके हाथ-पैर सलामत हैं वे टैक्सी चलाने का धंधा जिंदगी भर नहीं छोड़ेंगे। शिव बहादुर यादव की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। जीवन में बचपन से लेकर आज तक उन्होंने संघर्ष ही किया है और आगे भी संघर्ष करते रहने का उनका इरादा है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के हंडिया तहसील के बाराऊत रसार गांव के रहनेवाले शिव बहादुर यादव के पिता दल्लू प्रसाद यादव एक गरीब किसान थे। खेती-बाड़ी कर वे अपना जीवन यापन करते थे। गरीबी की वजह से दल्लू प्रसाद यादव गांव में शिव बहादुर को मात्र चौथी तक की शिक्षा दिलवा पाए। वर्ष १९८५ में मात्र १५ साल की उम्र में शिव बहादुर यादव प्रयागराज से मुंबई अपने चाचा के पास रोजी-रोटी की जुगाड़ में आ गए। शिव बहादुर यादव के चाचा दहिसर के एक तबेले में मजदूरी करते थे। उन्होंने शिव बहादुर को भी इस तबेले में मजदूर की नौकरी दिलवा दी। शिव बहादुर बतौर मजदूर इस तबेले में जानवरों का गोबर उठाना, चारा काटना और चारा देने जैसा कार्य करते रहे। कुछ पैसे जमा कर लेने के बाद शिव बहादुर ने खुद का रोजगार करने की सोची, जिसके बाद वे दहिसर चेकनाका पर केला, अंगूर और सेब जैसे फलों का ठेला लगाने लगे। इस धंधे में भी उनका मन नहीं लगा क्योंकि आमदनी ज्यादा नहीं थी। इसके बाद उन्होंने रेती की गाड़ी पर वर्ष भर बेगारी के तौर पर मजदूरी का काम किया। इसके बाद दूध की गाड़ी पर खलासी का काम करना उन्होंने शुरू कर दिया। खलासी के काम के दौरान उन्होंने गाड़ी की ड्राइविंग का काम भी सीख लिया। १६ वर्षों तक मुंबई में इसी तरह मजदूरी कर जीवन यापन करनेवाले शिव बहादुर ने वर्ष २००२ में किसी तरह खुद की टैक्सी खरीद ली। अब टैक्सी चलाने में शिव बहादुर का मन लगने लगा। इसके बाद उन्होंने एक-एक कर कई टैक्सियां बनाई। विवाह के बाद शिव बहादुर पांच लड़के और तीन लड़कियों के पिता बने। कालांतर में बैंक से लोन लेकर शिव बहादुर ने तीन ट्रक खरीद लिया, जिसे आज उनके तीनों बेटे चलाते हैं। पांच लड़कों में से चार की और तीन लड़कियों में से दो की शादी शिव बहादुर यादव कर चुके हैं। उनका सबसे छोटा बेटा आईटीआई की पढ़ाई कर रहा है और छोटी लड़की ग्यारवीं की छात्रा है। ६० वर्ष की आयु पार कर चुके शिव बहादुर यादव की तंदुरुस्ती आज भी अच्छी-खासी है और वह आज भी १८ से २० घंटे तक टैक्सी चलाते हैं। शिव बहादुर यादव का सपना है कि सभी बच्चों की शादी करने के बाद वे अपनी जन्मभूमि उत्तर प्रदेश जाकर खेती-बाड़ी कर अपना जीवन यापन करेंगे।

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