मुख्यपृष्ठखबरेंमेहनतकश : लोगों को नौकरी देने का सपना हुआ पूरा

मेहनतकश : लोगों को नौकरी देने का सपना हुआ पूरा

रवींद्र मिश्रा

हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी मुंबई, जिसे लोग ड्रीम सिटी यानी सपनों का शहर भी कहते हैं। इस शहर में आनेवाला हर व्यक्ति कुछ न कुछ बनने का सपना आंखों में लेकर जरूर आता है। राजस्थान स्थित डूंगरपुर जिले के बनियाप गांव के रहनेवाले कांतिलाल पाटीदार भी कुछ बनने का सपना लेकर मुंबई आए। कांतिलाल पाटीदार के एक रिश्तेदार वसई (पूर्व) स्थित एवरशाइन नगर में रहते थे। गांव से बीए पास कर मुंबई आनेवाले कांतिलाल पाटीदार को किसी काम का अनुभव नहीं था इसलिए उनके रिश्तेदार ने उनसे कहीं नौकरी करने की बात कही तो उन्हें अच्छा नहीं लगा। कांतिलाल पाटीदार ने आत्मविश्वास भरे लहजे में अपने रिश्तेदार से कहा कि मैं नौकरी नहीं करूंगा, बल्कि लोगों को नौकरी दूंगा। खैर, कुछ दिनों तक मुंबई में रहने के बाद कांतिलाल गुजरात चले गए। वापी के पास दादरा नगर हवेली चेक पोस्ट के पास उनके एक करीबी रिश्तेदार का ‘शिल्पा रिप्रâेशमेंट’ नामक एक होटल था। वहां जाकर उन्होंने होटल के सारे गुण सीखे। पांच वर्षों के होटल का अनुभव लेकर वे फिर से मुंबई लौट आए और एवरशाइन नगर स्थित अपने रिश्तेदार के यहां रुक गए। अब कांतिलाल ने उनसे कहा कि मुझे कोई भाड़े की जगह दिलाओ जहां मैं अपना होटल व्यवसाय शुरू कर सकूं। दलालों के मार्फत अब जगह की खोजबीन होने लगी। सातीवली में तुंगारेश्वर रोड पर कांतिलाल पाटीदार को एक जगह पसंद आई। कांतिलाल ने वहां ‘महादेव रिप्रâेशमेंट’ नामक एक होटल शुरू कर वहां चाय-नाश्ता बेचने का काम शुरू किया। होटल का नाम ‘महादेव रिप्रâेशमेंट’ क्यों रखा इसके बारे में बताते हुए कांतिलाल कहते हैं कि मैं बचपन से ही शिवभक्त हूं इसलिए यह नाम मुझे अच्छा लगा। तकदीर ने साथ दिया और महादेव के आशीर्वाद से धंधा चल पड़ा। किराए का एक मकान लेकर मैंने बीवी-बच्चों को गांव से मुंबई बुला लिया। बच्चों को पास के विद्यालय में दाखिला दिलवा दिया। बड़ा बेटा कृष्णा पाटीदार कामण के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढाई कर रहा है और छोटा बेटा जानवरों के डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा है। कांतिलाल कहते हैं कि छोटे बेटे को जंगल, जमीन तथा जानवरों के प्रति बचपन से ही प्यार था। वह कहता था कि इंसान के लिए तो देश-विदेश में बहुत से डॉक्टर हैं लेकिन इन मूक जानवरों का दर्द कौन समझेगा, इसलिए मैं बड़ा होकर जानवरों का डॉक्टर बनकर उनकी सेवा करूंगा। कांतिलाल कहते हैं कि मैं भाग्यशाली हूं जो मुझे एक संस्कारी पत्नी मिली है। पत्नी संगीता ने जरूरतमंंद महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण देने के लिए ‘कृष्णा क्लासेस’ खोलकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम शुरू किया है। सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाली महिलाएं आज रोजगार प्राप्त कर रही हैं। महादेव की कृपा से आज मैं और मेरा परिवार बेहद खुश है। उससे ज्यादा खुशी मुझे इस बात की है कि हमसे जुड़े सभी लोगों का परिवार महादेव की कृपा से पल रहा है।

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