होली

वसुंधरा के आंगन में,
बहे फागुन की बयार,
सात रंगों को लेकर आया
होली का त्योहार,
हाथ में अबीर, गुलाल लिए
चली हुड़दंगों की टोली है,
बच पाओ, बच पाओ, वरना
बुरा ना मानो होली है,
गले मिले, खुशियां बांटें,
बांटें स्नेह और प्यार।
सात रंगों को लेकर आया,
होली का त्योहार।
गांव, गली और चौबारे,
सतरंगों से भागें सारे,
झूम सब गाए राई गीत,
साथ में बाजे ढोल नगाड़े,
भीग गई गोरी की चुनरी,
जो हुई रंगों की बौछार।
सात रंगों को लेकर आया,
होली का त्योहार।
-पूरन ठाकुर ‘जबलपुरी’
कल्याण-पूर्व

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