मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनाजब दे मेट! ... गाजा में डॉक्टरों के साथ दरिंदगी! -भाग १९

जब दे मेट! … गाजा में डॉक्टरों के साथ दरिंदगी! -भाग १९

मनमोहन सिंह
अस्पताल के कमरे में राशाद आज बैठा हुआ था। उसकी तबीयत काफी हद तक दुरुस्त हो गई थी। उसके साथ यूनुस भी था। उसका फोन बज उठा। उसने फोन उठाया। उसके चेहरे के भाव तेजी से बदलते चले गए। यूनुस ने उससे पूछा। उसने कोई जवाब नहीं दिया। यूनुस ने उसे एक मैगजीन दी और कहा ‘राशाद इसे पढ़ो… कभी-कभी लगता है हमारे हालात फिर भी काफी हद तक ठीक हैं।’ राशाद ने उसके हाथ से मैगजीन लिया और पढ़ते-पढ़ते उसमें गुम हो गया।
१५ फरवरी, २०२४ खान यूनुस का दक्षिणी गाजा शहर का एक अस्पताल। हमास और इजरायल के बीच चल रही जंग के चलते हालात बेहद खराब हैं। अस्पताल में मरीज बहुत हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी है। पैरामेडिकल स्टाफ जैसे-तैसे मरीजों को सपोर्ट कर रहे हैं। अस्पताल में दवाइयों की इतनी किल्लत थी कि ऑपरेशन के बाद कभी-कभी मरीज को दर्द निवारक दवाइयों के बिना ही रहना पड़ता है। डॉक्टर, नर्स और अस्पताल के स्टाफ मजबूर होकर देखते हैं, वो करें तो भी तो क्या? फिर भी अस्पताल अपने अस्पताल होने का सारा फर्ज अदा कर रहा है।
अचानक आईडीएफ के जवान अस्पताल को चारों तरफ से घेर लेते हैं। एक-एक करके सारे डॉक्टरों को एक कतार में खड़ा कर देते हैं। जो डॉक्टर आईसीयू में हैं और जहां मरीजों को उनकी सख्त जरूरत है वहां पर भी जबरदस्ती खींचकर लाया जाता है। मरीज अब अस्पताल के उन कर्मचारियों के हवाले है, जिन्हें इस बात की उतनी जानकारी नहीं है इमरजेंसी के दौरान आईसीयू के मरीज को मेडिकल ट्रीटमेंट क्या और वैâसे दिया जाए। दूसरी ओर सभी डॉक्टरों के कपड़े उतरवा लिए जाते हैं। सभी डॉक्टर इस वक्त सिर्फ अंडरवियर में हैं। उन्हें जानवरों की तरह डंडे से मारते हुए दूसरी इमारत की छत पर ले जाया जा रहा है। चिलचिलाती धूप है। सभी घुटनों के बाल बैठे हैं जमीन पर। पूछताछ की जाती है। जिस डॉक्टर से पूछताछ हो रही है उसे बेदर्दी से पीटा भी जा रहा है। उससे सवाल किए जा रहे हैं कि अस्पताल में हमास के लोग कहां पर छिपे हुए हैं? क्या उसने उन लोगों की मदद की है? सवाल का जवाब न देने पर जवान उसे डंडे से पीटता है। उसकी चीख सुनकर जब दूसरा डॉक्टर उसकी तरफ देखने की कोशिश करता है उसे राइफल के बट से मारा जाता है। उसकी गलती इतनी है कि वह पिटते हुए डॉक्टर को क्यों देख रहा था? अब अगली बारी दूसरे डॉक्टर की है। सवाल सबसे लगभग इसी तरह के हैं। डॉक्टर क्या जवाब देंगे। लेकिन टॉर्चर तो चलता ही रहेगा। इस बीच एक डॉक्टर के हाथ की हड्डी टूट जाती है। उसे एक स्ट्रेचर में डालकर दूसरी ओर भेज दिया जाता है। दूसरी गाड़ी में भी भर-भर कर डॉक्टर ले जा रहे हैं। ये खौफनाक मंजर जारी है। कुछ लोगों को वापस भेज दिया जाता है लेकिन उन्हें सख्त ट्रीटमेंट की जरूरत है। उनको कपड़े जरूर दे दिए गए हैं लेकिन उनकी हालत इतनी खराब है कि वह अपने कपड़े तक नहीं पहन पा रहे हैं। आईसीयू से कई मरीजों के दम तोड़ने की खबर आती है। वजह इमरजेंसी के दौरान जब उन्हें डॉक्टर के मदद की जरूरत थी तब डॉक्टर टॉर्चर रूम में अपनी जिंदगी की भीख मांग रहे थे। जो डॉक्टर किस्मत वाले थे वे अस्पताल लौट आए। कई डॉक्टरों के परिवारवालों को इंतजार है उनके लौट आने का। इन डॉक्टरों का कोई अता-पता नहीं है। रेड क्रॉस की इंटरनेशनल कमिटी ने इस बात की पुष्टि की है कि कई डॉक्टर और उनके परिवार वाले गायब हैं। इजरायली फौजी की डॉक्टर के साथ की गई दरिंदगी के वीडियो फुटेज मौजूद हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के सेंटर फॉर इंटरनेशनल लॉ के को-डायरेक्ट डॉ लॉरेंस हिल कॉथ्रोन का मानना है कि मेडिकल स्टाफ और अस्पतालों को इस अमानवीय संघर्ष से बचाना जरूरी है और यह सशस्त्र संघर्ष में लागू होनेवाले कानून के एक बहुत ही बुनियादी विचार के खिलाफ हैं। मानव अधिकार की वकालत करनेवाले जानकार का कहना है कि यह बेहद संवेदनशील और चिंता का विषय है तथा यह अति क्रूर और अमानवीय कृत्य है। लेकिन दूसरी तरफ इजरायल की आईडीएफ इस बात से इनकार करता है कि उन्होंने डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को टॉर्चर किया है। उसका कहना है कि कपड़े उतरवाकर उसे पोजीशन में बंधकों को इसलिए रखा जाता है, ताकि वह उन पर हमला न कर सकें।
राशाद का चेहरा लाल हो गया था। उसने मैगजीन बगल में रख दी और एक लंबी सांस ली।

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