भाग २१
मनमोहन सिंह
यूनिट जीरो ऑब्लिक २१। सन्नाटा पास आ रहा था। एजेल, एक्रेना और एन्ना तीनों की आंखों पर पट्टियां बंधी हुई थीं। फिर उस कमरे से आवाज आई, जिसने सन्नाटा तोड़ा।
‘…बोलिए मिस एन्ना क्या आप रशियन एजेंट नहीं हैं? आपकी एक झूठ आपके दोस्तों की भी जान ले लेगी! तुम्हारे सिर पर मौत नाच रही है।’
‘जाओ, मिस एन्ना के दोस्त को ले आओ… फिर देखते हैं कितना झूठ बोलती है!’
तीनों में से किसी के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था। एन्ना को समझ में नहीं आ रहा था आखिर उसके साथ क्या हुआ और क्यों? कहां वो राशाद के साथ जिंदगी भर जीने के सपने देख रही थी। आज उसे पता भी नहीं था कि राशाद कभी उससे मिल पाएगा या नहीं! एन्ना को राशाद की बहुत याद सता रही थी।
उसे याद आया वह पहला दिन जब उसने पहली दफा राशाद को गाते हुए देखा था। फिर याद आई दोनों की तकरार और फिर वह डायरी जो राशाद के दोस्त ने उसे दी थी जब वह अचानक सीरिया लौट गया था।
एन्ना ने कांपते हुए हाथों से डायरी खोला। पहले पन्ने पर उसकी तस्वीर देखकर उसके मन में एक हूक सी उठी। लरजती आंखों से वह तस्वीर देख रही थी। उसकी खूबसूरत तस्वीर राशाद ने पेंसिल से ड्रॉ की थी।
तस्वीर के नीचे अरबी में अल्फाज लिखे थे, ‘बैईशक’। उसने पन्ना पलटा। दूसरी तस्वीर भी उसी की थी। उसके नीचे लिखा हुआ था ‘तुबूरनी’। तीसरे पन्ने पर उसकी कलर पेंटिंग थी और लिखा था ‘या रूहे’! उसे इन शब्दों का मतलब कहां पता था! राशाद के दोस्त जोबान ने उसके हाथ से डायरी लेते हुए समझाया। पहले पेज पर लिखा है ‘बैईशक’ जिसका अर्थ है ‘मैं तुमसे प्यार करता हूं’। दूसरे पेज पर लिखा है, ‘तुबूरनी’ इसका मतलब है ‘तुम्हारे बिना नहीं रह सकता’ और तीसरे पेज पर लिखा है ‘या रूहे’ यानी ‘मेरी रूह’।
एन्ना की आंखें डबडबा गर्इं। भले ही आंखों पर पट्टियां बंधीं थी लेकिन भावनाएं और भावनाओं का इजहार भला वैâसे रुक सकता है।
फिर उसे लगा जैसे वह और राशाद के बगल में बैठी है और वह उसे गीत सुना रहा है। राशाद की आवाज कानों में गूंज रही थी।
‘आज मैं कोई गीत नहीं, बल्कि एक कविता सुनाऊंगा तुम्हें सीरिया की, मेरे देश की मोहब्बत की, इसे लिखा है निजार कब्बानी ने।
सुनो…
मेरी रूह, मैं तुम्हारे दूसरे आशिकों जैसा नहीं हूं
यदि दूसरा दे तुम्हें एक बादल
मैं तुम्हें दूंगा बारिश
यदि वह दे तुम्हें एक लालटेन, मैं
दूंगा तुम्हें चांद
यदि वह देगा तुम्हें एक डाली
मैं दूंगा तुम्हें पेड़
और अगर दूसरा तुम्हें देता है एक जहाज
मैं दूंगा तुम्हें सफर…’
उसे वह रात याद आयी जब राशाद अपने तरन्नुम में गाए जा रहा था। अन्ना उसकी तरफ लगातार देखती जा रही थी। वह चुपके से उठकर उसके बगल में आकर बैठ गई। उसने उसकी गोद में अपना सिर रख लिया। राशाद उसके बालों को सहलाने लगा। उसे लग रहा था जैसे यह पल सदियों तक इसी तरह स्थिर रहे। एक्रिन को नींद आ गई सुनते-सुनते।
उसकी जिंदगी में कोई राशाद जैसा दोस्त नहीं आया था। दोस्त तो उसके बहुत थे यूक्रेन में। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ था जिसे देखकर उसका दिल जोरो से धड़का था। ऐसा कोई नहीं था, जिसकी आवाज सुनकर उसकी दिल की धड़कन तेज हो जाती थी। ऐसा कोई नहीं था जिसकी उसे बहुत याद आती थी, जिसकी उसे कमी खलती थी। उसे याद आया राशाद के सीरिया जाने की खबर से वह किस तरह हिल सी गई थी। उसे लगा जैसे उसके शरीर का एक हिस्सा टूटकर अलग हो गया! उसके शरीर से जैसे उसकी जान निकल गई! पहली बार उसने एहसास किया कि राशाद के बिना उसे एक अजीब सा अकेलापन सताने लगा था! उस दिन वह गीत याद आया जिसे वह सुनती तो थी लेकिन समझती नहीं थी! उस दिन जब उसने इस गीत को दोहराया तो उसके एक-एक लफ्ज में जैसे उसके दिल के जज्बात बोलते नजर आए। उस दिन उसने महसूस किया कि मोहब्बत के सामने सारी कायनात फीकी है। वो मन ही मन में वह गीत दोहराने लगी। कितनी अजीब बात थी उसके कमर पर पिस्तौल की नोक लगी हुई थी और वह राशाद के साथ बीते हुए लम्हों को जी रही थी। उसके होंठ जीत के लफ्ज गुनगुनाने लगे…
(क्रमश:)