मुख्यपृष्ठस्तंभकिस्सों का सबक : व्यवहार में बदलाव

किस्सों का सबक : व्यवहार में बदलाव

डॉ. दीनदयाल मुरारका

एक राजा को चित्रकारी से बड़ा लगाव था। वह अपने राज्य में चित्रकारी की कला को हमेशा बढ़ावा देता था। वह राज्य के योग्य चित्रकारों को समय-समय पर सम्मानित करता रहता था। एक बार राजा ने एक चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन रखा और दूर-दूर से प्रसिद्ध चित्रकारों को आमंत्रित किया। विभिन्न क्षेत्रों से चित्रकार निर्धारित स्थान पर पहुंचने लगे। राजा ने सभी चित्रकारों को यथोचित सम्मान देकर उन्हें ठहराया। एक चित्रकार बेहद गरीब दिख रहा था। वह फटे-पुराने किंतु स्वच्छ कपड़े पहने हुए था। राजा ने उसे एक नजर से देखा। फिर अनदेखा कर दिया। चित्रकार के मन में यह बात खल गई।
नियत समय पर प्रतियोगिता आरंभ हो गई। निर्णय करते समय तीन श्रेष्ठ चित्रों को चुना गया। चित्रकारों के नाम पुकारे जाने पर वही गरीब चित्रकार मंच पर आया। उसे देखकर राजा ने पुरस्कार दिया तथा कुछ दिन और महल में ठहरने के लिए विनती की। राजमहल में कुछ दिन बिताकर जब वह चित्रकार लौटने लगा तो राजा ने उसे बहुमूल्य उपहार दिए। उससे बहुत ही विनम्रता से पेश आए। जाते समय चित्रकार ने पूछा- महाराज जब मैं प्रारंभ में आपके पास आया था तो आपने मुझे अनदेखा कर दिया था। किंतु आज आप मेरे साथ बहुत ही इज्जत के साथ पेश आए। आखिर आपके व्यवहार में यह बदलाव क्यों?
उसकी बात सुनकर राजा मुस्कुराते हुए बोले- जब आप प्रतियोगिता में भाग लेने आए थे। तब आप मेरे लिए अनजान थे, साथ ही साथ आपकी प्रतिभा से भी मैं अनजान था। तो मैंने आपकी वेशभूषा एवं रंग-रूप के आधार पर ही अपना व्यवहार तय किया। अब मुझे आपकी योग्यता की जानकारी हो गई है। इसलिए मेरे व्यवहार में आपके साथ आपकी योग्यता के प्रति भी दर्शाए गए सम्मान की झलक है। व्यक्ति की पहचान उसके काम से ही होती है। मेरे लिए उस समय भी आपकी आर्थिक स्थिति का कोई महत्व नहीं था और आज भी नहीं है। मैं आपकी प्रतिभा को तराशकर उसे चोटी पर पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूं। सुनकर चित्रकार संतुष्ट हो गया और राजा के प्रति अपना सम्मान एवं आभार प्रकट किया। यह सच है कि जीवन में किसी भी व्यक्ति का मूल्य उस व्यक्ति की योग्यता एवं गुणों पर निर्भर होती है।

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