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१२,००० महिलाओं में दो फीसदी लोगों में मिली गांठें …. स्तन वैंâसर विरोधी अभियान

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के सरकारी अस्पताल कामा में पिछले एक साल के दौरान आयोजित स्तन कैंसर विरोधी अभियान के तहत १२,००० महिलाओं की जांच हुईं, जिसमें केवल १९३ यानी महज दो फीसदी महिलाओं में ही गांठों का पता चला। इसके साथ ही इस बीच संदिग्ध महिला मरीजों को आगे की जांच और इलाज के लिए रेफर कर दिया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, जिन महिलाओं को अपने स्तनों में अनियमितताएं महसूस होती हैं, उन्हें बिना देर किए जांच करानी चाहिए। महिलाओं में गर्भाशय के बाद स्तन कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है।
हिस्टोपैथ जांच है जरुरी
पिछले एक वर्ष में मुंबई के कामा अस्पताल में ३३ शिविर आयोजित किए गए, जिसमें ३,७९५ महिलाओं की जांच की गई। इनमें १२ महिलाओं के स्तन में गांठ का पता चला। अस्पताल के स्तन ओपीडी विभाग में आर्इं ८,२६५ महिलाओं की जांच की गई। इनमें से १८१ के स्तन में गांठ की पुष्टि हुई। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने कहा कि आई ब्रेस्ट डिवाइस स्तन में कठोर ऊतकों की पहचान करने में मददगार साबित हुई है। रेडियोलॉजी से पता चलता है कि ग्रेड शून्य से एक में बी ग्रेड के परिणाम में कैंसर ट्यूमर की संभावना बहुत कम होती है। ग्रेड दो में कैंसर को संदिग्ध माना जाता है और ग्रेड तीन में अक्सर कैंसर युक्त गांठ होती है। ग्रेड चार और पांच में एक कैंसर युक्त गांठ की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, गांठ का ग्रेड चाहे जो भी हो, हिस्टोपैथ जांच की आवश्यकता होती है।
देशभर में मिले १.९२ लाख नए मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, साल २०२२ में पूरे देश में १.९२ लाख नए मामले पाए गए। जिसके बाद कई मेडिकल कॉलेजों में जागरूकता और स्क्रीनिंग अभियान शुरू किया गया है।

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