सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पिछले कुछ समय से इस बात की खुलेआम चर्चा हो रही है कि न्यायपालिका सरकार के दबाव में काम कर रही है। इस बारे में पूर्व जजों के साथ ही प्रबुद्ध नागरिकों ने सीजेआई को पत्र लिखकर अपनी चिंता भी दर्ज कराई थी। अब सुप्रीम कोर्ट में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत की सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने यह बात खुलकर कह दी। उन्होंने साफ कहा कि मी लॉर्ड आप दबाव में हैं।
बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने इस मामले में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस संजीव खन्ना ने इस दौरान हेमंत सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता व समाजवादी पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल से पूछा कि वो क्या चाहते हैं? इस पर सिब्बल ने कहा कि वो अंतरिम जमानत के लिए अर्जी लेकर आए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले सप्ताह में नोटिस जारी करने की बात की। जब कपिल सिब्बल ने कहा कि शुक्रवार को ही मामला सुना जाए, तो सुप्रीम कोर्ट के जजों ने पूछा कि ये क्या है? उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि हमें थोड़ा विवेकाधिकार दीजिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें पता है कि जज लोग दबाव में हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ६ मई से शुरू होने वाले सप्ताह में ये मामला सुनेंगे। हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है, जिस पर सोमवार २९ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस भी जारी किया।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी का जवाब आने तक उच्च न्यायालय रिजर्व मामले में जजमेंट सुना सकता है। ‘झारखण्ड मुक्ति मोर्चा’ का कहना था कि झारखण्ड हाईकोर्ट इस मामले में फैसला सुनाने में देरी कर रहा है। वहां गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका दायर है। इससे पहले भी वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें झारखंड हाई कोर्ट जाने के लिए कहा था।