मुख्यपृष्ठस्तंभदेश का मूड : दुष्प्रचार और खात्मे का विचार!

देश का मूड : दुष्प्रचार और खात्मे का विचार!

अनिल तिवारी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित देश के अन्य विपक्षी दलों के कई कद्दावर नेता विभिन्न आरोपों में पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। देश में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होते ही लगा था कि अब यह सिलसिला थमेगा और केंद्र में सत्ता सुख भोग रही भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस अब चुनाव प्रचार में लग जाएगा, परंतु हकीकत में ऐसा कुछ होता नजर तो नहीं आया। उल्टे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री केसी. राव की बेटी के. कविता की गिरफ्तारी के साथ ही यह गिरफ्तारी सत्र और भी तेज हो गया, जिसे देखकर कहा जा सकता है कि भाजपा को प्रचार में नहीं, बल्कि सियासी धरपकड़ में ज्यादा दिलचस्पी है। और क्यों न हो? जो पार्टी पिछले ५ वर्षों के पूरे कार्यकाल में जब चुनावी पर्चे की तैयारी ही करती रही हो तो उसे आखिरी क्षण में रिवीजन की क्या जरूरत है? वह राजनीति के टॉपरों को रास्ते से हटाकर भी तो अव्वल आ सकती है। मौजूदा वक्त में वही हो रहा है। लिहाजा, यह चुनाव किस दिशा में जाने वाला है, उस पर ज्यादा टिप्पणी करने जैसा कुछ बचा नहीं है।
अरविंद केजरीवाल को ईडी की रिमांड पर भेजा जा चुका है। उनकी पार्टी के कई मंत्री गण व सांसद पहले ही जेल में बंद हैं और जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कह रहे हैं, मुमकिन है जल्द ही `आप’ के एक और सांसद राघव चड्ढा भी गिरफ्तार हो सकते हैं। इस फेहरिस्त में संभव है और भी कई नाम हों।
कांग्रेस के हाई प्रोफाइल नेता राहुल गांधी द्वारा २०१८ में अमित शाह के खिलाफ की गई टिप्पणी वाली फाइल भी खुल गई है। इस मामले में उन्हें पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, उन्हें जमानत मिल चुकी थी पर अब फिर से सुनवाई शुरू हो चुकी है। उधर, वैâश फॉर क्वेरी मामले में सीबीआई ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। उस पर भाजपा खेमे से जिस तरह के बयान आ रहे हैं, उन्हें सुनकर तो बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गिरफ्तारी भी संभव नजर आने लगी है। लालू परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी भी होती दिख रही है और किसी भी क्षण अखिलेश यादव पर कोई मामला बनने की संभावना भी नजर आ रही है। पंजाब, हिमाचल, महाराष्ट्र समेत दक्षिण के राज्यों में कई गिरफ्तारियां संभव लगने लगी हैं। गौर से देखें तो आगामी २- ४ सप्ताह में राजनीति से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े बहुत से लोगों के गिरफ्तार होने की संभावना बनने लगी है। इस पर एडवोकेट कपिल सिब्बल की कोर्ट में दी गई दलील के हवाले से कहें तो `अगर यह प्रक्रिया इसी तरह चलती रही तो वोट पड़ने से पहले ही कई वरिष्ठ नेता सलाखों के पीछे होंगे’, क्योंकि देश में चुनाव है और अब शायद चुनाव में सत्ता के काम का प्रचार नहीं गूंजता, बल्कि विपक्षियों का कथित दुष्प्रचार ही ट्रेंड करता है।
गत दो-तीन दिनों से देश में कई खबरों ने ट्रेंड किया है। जैसे मेघालय में यूपी के एक मैकेनिक अखिलेश सिंह के अपहरण का मामला अच्छा खासा ट्रेंड हुआ, परंतु देश में लोकतंत्र के अपहरण का मामला ट्रेंड नहीं हो सका। राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा विधायक अभय सिंह को मिली सीआरपीएफ के आठ जवानों वाली वाय श्रेणी की सुरक्षा का मामला ट्रेंड हुआ पर लोकतंत्र में विपक्षी नेताओं के सुरक्षा का अधिकार ट्रेंड नहीं कर पाया। सांप और सांप के जहर से जुड़ी एल्विस यादव की रेव पार्टी और गिरफ्तारी ट्रेंड हुई पर लोकतंत्र को जहर दिए जाने की खबर ट्रेंड नहीं हो सकी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा यूपी बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट २००४ को असंवैधानिक बताना ट्रेंड हुआ पर लोकतंत्र में असंवैधानिक कानूनी कार्यवाहियां ट्रेंड नहीं हो सकीं। तमिलनाडु की किसी सभा में पीएम का भाजपा के दिवंगत स्थानीय नेता को याद करके भावुक होना ट्रेंड हुआ पर लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर दुखी हुआ संविधान ट्रेंड नहीं हुआ। कुल मिलाकर दिल्ली सरकार की शराब नीति में कथित १०० करोड़ रुपए के किकबैक को लेकर केजरीवाल की कस्टडी ट्रेंड हुई पर खुद सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद हजारों करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड की अनियमिता ट्रेंड नहीं हो सकी। इसलिए जब चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर यह कहते हैं कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हर एक सरकारों ने किया है। सो, लोगों को यह दुरुपयोग दिक्कत नहीं देता, बल्कि एजेंसियों के दबाव में भाजपा ज्वाइन करते ही कार्यवाही का रुक जाना उन्हें दिक्कत देता है। उन्हें इससे ऐतराज होता है, फिर जब उस एतराज पर गौर नहीं होता तब देश का मूड बदलते वक्त नहीं लगता है। अर्थात देश का मूड बदल रहा है।

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